मुद्दों पर पर्दा डालने के बजाय ‘मंदी पर अक्लमंदी’ दिखाए सरकार

Government need to act sensibly on recession instead veiling the issue
  •  जम्मू-कश्मीर में आखिर क्यों नहीं जाने दिया आप लोगों को?

यही सवाल हम केंद्र सरकार से कर रहे हैं। आखिर हमें क्यों रोका गया। मैं आपको बता दूं, सरकार द्वारा जो दिखाया, बताया और जो सुनाया जा रहा है, तस्वीर उसके बिल्कुल अलग है। ठीक है, हम केंद्र सरकार की दलीलों को कुछ समय के लिए मान लेते हैं कि जम्मू-कश्मीर में सब सामान्य है, किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है? तो फिर डर किस बात का है। हमें क्यों वहां जाने से रोका गया? देखिए, वहां के हालात कैसे हैं हमें बताने की जरूरत नहीं। सूनी सड़के, खाली पड़े बाजार गवाही देने के लिए प्रयाप्त हैं कि वहां सबकुछ ठीक नहीं हो रहा है। जो सड़के हमेशा गुलजार हुआ करती थीं, उनमें सन्नाटा पसरा हुआ है। पर, सरकार का कहना है कि सबकुछ ठीक है। कैसे मान लें, सब ठीक है?

  •  आपको ऐसा क्यों लगता है कि केंद्र सरकार तानाशाही कर रही है?

तानाशाही नहीं तो क्या है? कोई शख्स किसी से संपर्क नहीं कर पा रहा है। समूचा जम्मू और लद्दाख छावनी में तब्दील है। प्रत्येक घरों के चौखट पर बंदूकधारी खड़े हैं। किसी को कहीं भी आने-जाने की इजाजत नहीं है। इसलिए मुझे ये सब तानाशाही जैया लगता है। इस स्थिति को मैं अघोषित आपातकाल ही कहंूगा। मेरी बहन जम्मू में रहती हैं उनसे भी मेरी बात नहीं हो सकी। देखिए, देश में मंदी और जम्मू-कश्मीर में बंदी का माहौल है। लेकिन सरकार का नेटवर्क इतना मजबूत है, सभी पर पर्दा डालने की कोशिशें हो रही हैं। सही तस्वीर सरकार पेश नहीं कर रही।

  •  ऐसा क्या हुआ जो आपको वहां नहीं जाने दिया गया?

सरकार को कहीं न कहीं डर है। डर इस बात का है कि हम वहां की यथास्थिति को उजागर कर देंगे। इसलिए हमें रोका गया। हम इजाजत लेकर गए थे, लकिन ऐन वक्त पर फैसला बदल दिया गया। फैसला उस वक्त बदला गया जब हम श्रीनगर पहुंच चुके थे। हवाई अड्डे पर हम लोगों से प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कहा गया कि हम एयरपोर्ट से बाहर नहीं जा सकते। सुनकर बड़ा अजीब लगा है।

जेहन में तमाम तरह के सवाल उठने लगे। उसके बाद घाटीवासियों के प्रति चिंताएं और गहराने लगीं। लोगों की फिक्र होने लगी। उसी दिन अरूण जेटली का निधन भी हुआ था, जिससे हम खुद शांति के माहौल में अपना दौरा समाप्त करना चाहते थे। हवाई अड्डे पर राहुल गांधी ने अधिकारियों को काफी समझाया भी, कि वह शांति के साथ लोगों से मिलेंगे। लेकिन किसी ने नहीं सुनी उनकी बातें। उनके पास दिल्ली से सख्त आदेश पहुंच चुका था कि हमें बाहर न जाने दिया जाए। आप इस बात से ही अंदाजा लगा सकते हो, जो आपके मीडियाकर्मी हमारे साथ गए थे। उनके साथ भी धक्कामुक्की की गई। उनको कवरेज करने से रोका गया। सरकार आखिर क्या छिपाना चाहती है। क्यों घाटी को नर्क में धकेलने पर आमादा है।

  •  जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित राज्य बनाया गया है आप सहमत हैं?

बात सहमत और असहमत की नहीं। मुल्क कानून और संविधान से चलता है। सरकार ने संसद में दावा किया है कि आर्टिकल 370 के हटाने को लेकर रायशुमारी की थी। मैं पूछना चाहता हूं, किससे राय ली गई। मुझसे तो नहीं पूछा, जबकि मैं प्रदेश का सीएम भी रहा हूं। कांग्रेसी हुकूमत के वक्त सन् 1950 और 1960 में धारा 370 और 35ए में संशोधन किया गया था। तब बकायदा हमारी सरकार ने विपक्ष से मंत्रणा की थी। लेकिन भाजपा सरकार ने धारा 370 हटाते वक्त वैसा नहीं किया। इस मसले की आड़ में कई कानूनी पेचीदगियां थी, लेकिन सरकार ने किसी की परवाह नहीं की। जो मन में आया वह किया? उनकी मनमानी न सिर्फ कांग्रेस, बल्कि देश के प्रत्येक इंसान ने देखी है। सरकार के खिलाफ जो भी मुखर होता है, उसका अंजाम क्या होता है? शायद बताने की जरूरत नहीं। मोदी-शाह के फैसलों पर सवाल उठाने वालों के पलभर में पर कतर दिए जाते हैं।

  •  370 के हटने से पाकिस्तान भी परेशान है?

मैं इस मसले पर कुछ नहीं कहना चाहता। हां इतना जरूर है कि हर मसले को पाकिस्तान से लिंक करना मौजूदा सरकार की आदत हो गई है। मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि कश्मीर हमारा हिस्सा था है रहेगा। कांग्रेस सरकार ने हमेशा सभी राज्यों को विकासरूपी चश्मे से देखा, न कि सियासी चश्मे से। एक सोची समझी प्लानिंग के तहत कांग्रेस के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है। लेकिन, अगर सुबह हुई है तो रात भी होगी। बाजी पलटेगी आज नहीं तो कल। हिंदुस्तान को आधुनिक बनाने की नींव राजीव गांधी ने रखी थी, जिसे बखूबी आगे सोनिया गांधी ने बढ़ाया। देश की तरक्की में कांग्रेसियों के बलिदान को कोई नहीं भूला सकता। जो लोग हमें पाकिस्तानी भाषा से जोड़कर देखते हैं। उनको नहीं भूलना चाहिए कि ग्लोबल स्तर पर पाकिस्तान को आतंकी हमारी कोशिशों ने घोषित करवाया था।

  •  केंद्र सरकार का मानना है कि उनके निर्णय से घाटीवासी खुश हैं?

घाटी के हालात इस वक्त जैसे हैं वैसे कभी नहीं रहे। रही बात खुश होने की, तो आपको बता दूं, जो खुशी का इजहार करने का नाटक कर रहे हैं वह सभी भाजपा कार्यकर्ता हैं। अगर सभी खुश हैं तो पूरे प्रदेश में जनमत संग्रह कराओ, फिर देखो रिजल्ट क्या निकलता है? जम्मू-कश्मीर को हिंदुस्तान के साथ बनाए रखने के लिए अनगिनत लोगों ने कुर्बानियां दी थी। मुल्क आजादी से लेकर अभी तक कश्मीरवासियों ने आतंकवाद से जमकर मुकाबला किया। अनुच्छेद 370 ने जम्मू-कश्मीर को एक सूत्र में बांधकर रखा था लेकिन केंद्र सरकार ने सत्ता के नशे में राजनीति, संस्कृति और भूगोल से भिन्न तरह के राज्य जम्मू-कश्मीर में एक झटके में चीजों को खत्म कर दिया। इसका परिणाम जल्द देखने को मिलेगा।
-रमेश ठाकुर

 

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