नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने केंद्र सरकार को लताड़ लगाई
देश की पवित्र नदी गंगा में प्रदूषण मामले का समाधान होता नहीं दिख रहा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस मामले में केंद्र सरकार को लताड़ लगाई है और नदी के किनारों पर ऐसे बोर्ड लगाने के आदेश दिए हैं जिनमें यह लिखा जाए कि नदी का पानी स्नान करने के योग्य नहीं। लोग श्रद्धा से गंगा जल पीते हैं और स्नान करते हैं। यह हमारे लिए शर्मनाक बात है कि हजारों करोड़ों का बजट व गंगा की सफाई के लिए अलग मंत्रालय बनाने के बावजूद इस नदी की सफाई सपना बनी हुई है।
केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा सफाई के दावे कागजों तक सीमित
यह नदी केवल श्रद्धा का केंद्र नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में सिंचाई भी इसके जल से होती है। पहाड़ों से निकलते ही इस नदी में लोग गन्दगी के ढेरों के ढेर फेंकना शुरू कर देते हैं। केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा सफाई के दावे कागजों तक सीमित हैं। दरअसल राजनीतिक घोषणाएं केवल औपचारिक कार्रवाई बनकर रह जाते हैं। जब तक दिल से नदियों की सफाई को आम जनता तक नहीं पहुंचाया जाता तब तक परिवर्तन की उम्मीद कम ही है।
स्वच्छता मुहिम भी केवल औपचारिकता बनकर रह गई
स्वच्छ भारत का नारा बड़े जोर-शोर से दिया गया था। यह बड़ी बात थी कि एनडीए सरकार ने स्वच्छता के लिए बजट में अलग फंड रखकर ऐतिहासिक पहल की थी लेकिन यह मुहिम भी केवल औपचारिकता बनकर रह गई। केंद्र से लेकर राज्यों तक प्रशासिनक अधिकारी एक दो झाड़ू जरूर लगाते हैं लेकिन शहरों में कूड़े के ढेÞरों के ढ़ेर उठाने के लिए कोई भी तैयार नहीं होता। हमारे शहर विशेष तौर पर उत्तरी भारत में तो गन्दगी के नमूने बने हुए हैं। जो व्यक्ति एक बार विदेश चला गया वह वापिस लौटने को तैयार नहीं।
2012 में डेरा सच्चा सौदा ने गांगा की सफाई के महाअभियान चलाया था
सफाई के लिए केवल राजनीति स्तर पर ही पहल की जरूरत नहीं बल्कि यह देश की संस्कृति का भी हिस्सा होना चाहिए। फिर गंगा नदी तो हमारी संस्कृति का अटूट अंग है इसकी संभाल करने की जरूरत है। डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने सन 2012 में जिस प्रकार गंगा की सफाई का महाअभियान चलाया था उसे देश भर के मीडिया ने ऐतिहासिक पहल करार दिया था। यदि सरकार डेरा सच्चा सौदा का सहयोग निरंतर करती तब यह संभव था कि गंगा से प्रदूषण खत्म हो जाता। उस वक्त अभियान में सात लाख लोगों ने शिरकत की थी। डेरा सच्चा सौदा की मुहिम जन मुहिम थी आज भी उसी मुहिम से प्रेरणा लेकर काम करने की आवश्यकता है।
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