नई दिल्ली। भारतीयों ने विदेशों या विदेशी बैंकों में कितना कालाधन जमा कर रखा है, उस बारे में सरकार के पास कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है। लोकसभा में एक सवाल का लिखित में जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने यह बात कही। हालांकि, उन्होंने बताया कि वित्त मामलों पर स्थाई समिति की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने देश के अंदर और बाहर इस तरह के धन का अनुमान लगाने के लिए एक अध्ययन शुरू कराया है।
उन्होंने बताया कि यह अध्ययन राष्ट्रीय लोकवित्त एवं नीति (एनआईपीएफपी), राष्ट्रीय आर्थिक प्रयुक्त अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) और राष्ट्रीय वित्त प्रबंध संस्थान (एनआईएफएम) द्वारा किया जा रहा है। इन संस्थानों की रिपोर्टों के नतीजों पर सरकार की प्रतिक्रिया वित्त मामलों की स्थाई समिति के समक्ष जल्द ही रखी जाएगी।
628 भारतीयों के बैंक खाते का लगा पता
सरकार का कहना है कि स्विट्जरलैंड में एचएसबीसी के बैंक खातों में 628 भारतीयों के बैंक खाते होने की सूचना सरकार को फ्रांस सरकार से दोहरे कराधान से बचाव समझौते (डीटीएसी) के तहत मिली थी। इन मामलों की जांच के जरिए 8,437 करोड़ रूपए की अघोषित आय को मई 2017 तक कर के दायरे में लाया गया। गौरतलब है कि काला धन पर रोक लगाने के लिए सूचना के आदान प्रदान के लिए जनवरी 2017 तक भारत के 139 देशों सिंगापुर सहित विदेशी क्षेत्राधिकारों के साथ कर समझौते हैं।
10 वर्षों में कालेधन को सफेद करने के 2,260 मामले दर्ज
देश में पिछले 10 वर्षों के दौरान धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत 2,260 मामले दर्ज किए। केंद्रीय वित्त मंत्री जेटली ने लोकसभा में बताया कि देश में पिछले 10 वर्षों में धन शोधन (मनी लाउंडिंÑग) निवारण अधिनियम के तहत 2,260 मामले दर्ज किए गए। उन्होंने बताया कि इस कानून के तहत 370 मामलों में मुकदमा दायर किया गया और धन शोधन को लेकर दो मामलों में दो लोगों की दोष सिद्धि हुई।
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