स्वर्ण सिंह ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कायम की मानसा की पहचान, रोइंग खेल में उत्कृष्ठ प्रदर्शन की बदौलत
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जिला मानसा के गांव दलेलवाला का जंमपल है स्वर्न सिंह विर्क
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9 जुलाई को मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह करेंगे महाराजा रणजीत सिंह पुरुस्कार से सम्मानित
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वर्तमान में भारतीय सेना में सूबेदार के तौर पर सेवाएं निभा रहे स्वर्न सिंह विर्क
मानसा(सच कहूूँ/सुखजीत मान)। साहित्यकारों, कलाकारों और नाटककारों वाला जिला मानसा अब खिलाड़ियों वाला भी हो गया है। यहां के खिलाड़ियों ने मानसा की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कायम की है। शिक्षा बोर्ड के परिणामों व वोट पोलिंग में भी जिला मानसा वाले पहले नंबर का झंडा गाढ़ने लगे हैं। जिले ताजा उपलब्धि गांव दलेल वाला के जंमपल अर्जुन अवार्डी स्वर्न सिंह विर्क के हिस्से आई है। विर्क इस समय भारतीय सेना में सूबेदार के तौर पर सेवाएं निभाने के साथ-साथ रोर्इंग (किश्ती चलाने) का चमकता भारतीय सितारा है। इस होनहार खिलाड़ी की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की उपलब्धियों बदले पंजाब सरकार द्वारा 9 जुलाई को चंडीगढ़ में महाराजा रणजीत सिंह पुरूस्कार मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा प्रदान किया जाएगा।
विवरणों मुताबिक गांव दलेलवाला के गुरमुख सिंह और सुरजीत कौर के इस बेटे ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बनकर गोल्ड मैडल जीतेगा। घरेलू हालात चाहे बहुत से अच्छे नहीं थे परंतु उसकी मेहनत रंग लाई। स्वर्ण के पिता गुरमुख सिंह ने बताया कि सेना में भर्ती होने से पहले स्वर्ण ने जिद कर कर घोड़ी खरीदी थी और प्रतिदिन ही सुबह वह घोड़ी की लगाम पकड़कर उसके साथ दौड़ लगाता था। सेना में जाने के बाद ही उसने रोइंग खेल की चयन किया, जिसमें वह लगातार सफल हो रहा है। स्वर्न सिंह के माता-पिता बताते हैं कि जब उसने सेना में खेल शुरू किया था तब कोई उपलब्धि न होने के कारण शुरू में अधिकतर खर्चा अपनी जेब से ही करना पड़ता था। उसका अपना वेतन तो खेल अभ्यास पर खर्च होता था बल्कि अन्य जरूरत के लिए परिवार तंगी के बावजूद घर से पैसे भेजता थे।
पंजाब सरकार द्वारा अब 9 जुलाई को स्वर्न सिंह विर्क की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की उलब्धियों बदले दिए जाने वाले महाराजा रणजीत सिंह पुरुस्कार के लिए परिवार में भारी खुशी पाई जा रही है। स्वर्न सिंह के भाई लखविन्दर सिंह का कहना है कि पंजाब सरकार द्वारा इससे पहले एशियाई खेल में गोल्ड मैडल जीतने बदले स्वर्न सिंह को नगद राशि दे कर सम्मानित किया था और अब इस पुरुस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस प्रयासों से खिलाड़ियों के हौसले और भी बुलंद होंगे, जिसके निष्कर्ष के तौर पर वह भविष्य के मुकाबलों में देश के लिए मैडल जीतने के लिए सख़्त मेहनत करेंगे।
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सख़्त मेहनत का शौकीन है स्वर्न सिंह
2018 की एशियाई खेल जो इंडोनेशिया में हुई थी तो उस समय स्वर्न सिंह विर्क ने जब गोल्ड मैडल जीता था तो जीत के बाद में मानसा लौटे स्वर्ण के हाथ बताते थे कि सख़्त मेहनतों से ही मैडल झोली में आते हैं। किश्ती चलाते समय जिस चप्पू को पूरे जोर के साथ चलाया जाता है उसकी पकड़ से स्वर्ण के हाथों पर निशान पड़ गए थे जो उसकी मेहनत को दर्शा रहे थे।
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7 सालों से पड़ा हुआ था महाराजा रणजीत सिंह पुरुस्कारों का सोका
साल 1978 से शुरू हुआ पंजाब के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को देने वाला महाराजा रणजीत सिंह पुरूस्कार भी लगातारता नहीं बना सका। वैसे सरकार द्वारा हर वर्ष की उपलब्धियों के हिसाब के साथ इस पुरुस्कार के लिए खिलाड़ियों की चयन जरूर किया जाता है। साल 2011 से 2018 तक इस पुरुस्कार के लिए 81 खिलाड़ियों की चयन हुआ है, जिनको को अब 9 जुलाई को चण्डीगढ़ में मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह इस पुरूस्कार सम्मानित करेंगे। 12 पूर्व खिलाड़ियों सहित कुल 93 खिलाड़ी इस पुरूस्कार को हासिल करने वालों की सूची में शामिल हैं। पंजाब के इस खेल पुरुस्कार को हासिल करने वाले हर खिलाड़ी को दो लाख रुपये की नगद राशि, महाराजा रणजीत सिंह की जंगी पोशाक में घोड़े पर सवार ट्रॉफी, बलेजर सहित पॉकिट व सक्रोल मिलेगा।
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