सत्संग में आने से कटते हैं पाप कर्म : पूज्य गुरु जी

पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि सत्संग भागों वालों को मिला करता है, और जो सत्संग में चलकर आते हैं वो और भाग्यशाली बन जाया करते हैं। क्योंकि दुनिया में कहीं भी आप जाओ, दुनिया में चुगली है, निंदा है, टांग खिंचाई है, लड़ाई-झगड़े, काम-वासना, मोह-ममता, मन-माया इसका मकड़जाल फैला हुआ है।

कहीं भी आप जाएंगे लोग ऐसा कर्म करते आपको नजर आएंगे। सत्संग में आते हो तो जिस तरह आप अपने मैले कपड़े धोबी को दे देते हो वो बिल्कुल धोकर साफ कर देता है, चमका देता है उसी तरह सत्संग में आने से आपके पाप कर्म कटना शुरु हो जाते हैं। आप पाक-पवित्र बन जाते हैं, आत्मा उज्जवल हो जाती है, हृदय निर्मल हो जाता है और आप इस लायक बन जाते हैं कि मालिक की याद में ध्यान लगने लगता है।

पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि यदि आप अपने विचारों का शुद्धिकरण चाहते हो, अपने विचारों को बदलना चाहते हो और चाहते हो कि आप को परमानंद मिलें, खुशियां मिले तो जरूरी है सत्संग में चलकर आओ। दुनियादारी में लोग गुमराह करने के सिवाए कुछ नहीं करते। आप से प्यार करते हैं, अगर अच्छा व्यवहार करते हैं उसके पीछे कोई न कोई उनकी मंशा जरूर छिपी होती है।

कोई न कोई स्वार्थ जरूर होता है। फिर भी आपको लगता है कोई नि:स्वार्थ आपको प्यार करता है तो वो संत करते हैं या फिर सच्चे शिष्य करते हैं। अदरवाईज दुनिया में बहुत मुश्किल है कि कोई बेगर्ज प्यार करे। नि:स्वार्थ भावना से आपसे बात करे। लोग खिलाते पिलाते हैं। उसके पीछे भी बहुत मकसद होेते हैं।

कई बार अपना साजो सामान बेचने के लिए अपना उल्लू सीधा करने के लिए लोग आपको बरगला लेते हैं। मीठी-मीठी बातें करते हैं, आपको भरमाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनानते हैं ताकि आप गुमराह हो जाएं और मालिक से दूर हो जाएं। तो ये जरूरी है कि आप रब का नाम लें, ईश्वर को याद करें, सत्ंसग सुनें। तभी आपको अच्छे बुरे की समझ आएगी।

 

 

 

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