सरसा: पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि नाम की महिमा अपरम्पार है और वो जीव बहुत भाग्यशाली होते हैं, जो इस घोर कलियुग में उस मालिक के नाम से अपने-आपको जोड़ लेते हैं।
इस घोर कलियुग में जीव राम-नाम से जुड़ना तो दूर उसे राम नाम कभी-कभार ही याद आता है। इन्सान अपने बनाए गए जाल में इतना फंस जाता है कि वह काम-धंधे, परिवार आदि में उलझकर उस मालिक को भूला देता है। वो उसे तभी याद आता है, जब इन्सान को कोई गम, दु:ख, दर्द या परेशानी हो। जब इन्सान के सामने कोई मुश्किल आ जाए, तब उसे मालिक बहुत प्यारा लगता है।
इन्सान मालिक से दूर होकर रहता है परेशान
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि जब इन्सान के सामने सभी सुख-सुविधाएं होती हैं, तो उसे कोई याद नहीं रहता और इन्सान का मन इन्सान को ही इसका पूरा श्रेय देता है। ये सभी चीजें इन्सान को मालिक से दूर रखती हैं और इन्सान मालिक से दूर होकर परेशान रहता है। इसलिए आप अगर वाकई प्रभु से खुशियों की प्राप्ति करना चाहते हैं, तो प्रभु के नाम का सुमिरन व भक्ति-इबादत किया करें। उसके नाम का किया गया सुमिरन ही आपको खुशी की तरफ लेकर जाएगा।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि उस मालिक को ढोंग-ढकोसले बिल्कुल ही पसंद नहीं हैं। इन्सान भले ही जितना मर्जी दिखावा करता रहे, लेकिन जब तक इन्सान का अंत:करण साफ नहीं होता व वचनों का धनी नहीं बनता, तब तक मालिक की तमाम खुशियां पास होते हुए भी दूर होती हैं। इसलिए अगर आप मालिक की तमाम खुशियां हासिल करना चाहते हैं, तो आप वचनों पर अमल करना सीखो।
Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।