सरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इन्सान ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब को भुलाए बैठा है। उसको भूलने से इन्सान के अंदर गम, दु:ख, दर्द, चिंता, परेशानियां बढ़ती जाती हैं और इन्सान आत्मिक कमजोरी की वजह से हमेशा दुखी व परेशान रहने लगता है। जिनके अंदर आत्मिक कमजोरी होती है, कोई भी बात उन्हें सहन नहीं हो पाती। बात-बात पे तुनक मिजाज, बात-बात पे गुस्सा करना आम बात हो जाती है। एक राम-नाम ही ऐसी ताकत है, जिसका जाप करने से इन्सान के अंदर आत्मबल आता है, जिसके द्वारा इन्सान बड़े से बड़े काम में भी परेशान नहीं होता।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि इन्सान के अंदर जब आत्मिक कमजोरी आ जाती है, तो लोग बेवजह ही उलझे रहते हैं, बिना वजह लड़ते रहते हैं। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि वो इन्सान कितना सुखी होगा, जो बेगम है, जिसे किसी चीज का कोई गम, चिंता नहीं। यानि कोई टेंशन, बीमारी, गलत सोच नहीं, उससे सुखी इन्सान और कोई हो ही नहीं सकता। परन्तु ऐसा इन्सान बनना कोई मामूली बात नहीं है। आप कहीं बैठे हैं, कुछ देखा, ध्यान उधर चला गया। फिर कुछ दूसरी तरफ देखा, तो ध्यान उस तरफ चला गया। ऐसे ध्यान में आप उलझे रहते हैं, कभी कोई गलत विचार, गलत सोच, कभी गलत देखना और फिर आप उसकी वजह से दु:खी, परेशान होते हैं। इससे बचने के लिए आत्मबल जरूरी है और आत्मबल जब आप हासिल करेंगे, तभी मालिक की खुशियां हासिल होंगी।
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