सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि सच्चे मुर्शिद-ए-कामिल शाह सतनाम जी दाता रहबर ने लोगों को सच का संदेश दिया और सच के राह पर चलने के लिए लोगों को ऐसा मूलमंत्र दिया जिससे इन्सान के अंदर ताकत आए और वो सच के राह बेहिचक चल सके। सच की राह पर चलना कोई मामूली बात नहीं होती। इस घोर कलियुग में बुराई का बोलबाला है। झूठ, ठग्गी, बेईमानी, भ्रष्टाचार, काम-वासना, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार, मन व माया में लोग बुरी तरह से लिप्त हैं।
अहंकार, खुदी और गुरू, पीर के वचनों से उलट चलने वाला कभी खुशियां हासिल नहीं कर सकता
ऐसे घोर कलियुग में कोई भगवान (God) के नाम का जाप करे, बहुत ही मुश्किल है। सुमिरन करे, सेवा करे और दृढ़ विश्वास बन जाए यह और भी मुश्किल है क्योंकि आदमी हवा में जल्दी आ जाता है। पर भक्त वहीं होता है जितना भी सत्कार मिले, झुक कर रहे और अपने-आप को छुपा कर रखे। अहंकार, खुदी और गुरू, पीर के वचनों से उलट चलने वाला कभी खुशियां हासिल नहीं कर सकता। प्रभु के रास्ते पर चलना ऐसा होता है जैसे बरसात में चिकनी माटी पर चलना।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि ऐसे घोर कलियुग में अगर सतगुरू, पीर-फकीर से लिव लगा ली, सतगुरू को ही सबकुछ मान लिया। फिर तो ओड़ निभ सकती है अगर बंदों के चक्र में पड़ गए फिर तो गये। ओड़ निभाने का सवाल ही पैदा नहीं होता। इसलिए सिर्फ पीर, फकीर की सुनों और उसी से लिव लगाकर रखो। पीर-फकीर कभी किसी को बुरा नहीं कहते। इसलिए एक ही लक्ष्य (Aim) बना कर चलो, अपना गुरू, पीर-फकीर व सतगुरू मौला। दूसरा लक्ष्य तो होना ही नहीं चाहिए। इसलिए अल्लाह, वाहेगुरू, राम को ही अपना बनाओ, जिसको किसी से कोई गर्ज नहीं है।
अपने अंदर की बुराइयां, बुरी आदतें छोड़नी होंगी
आप जी फरमाते हैं कि सतगुरू मुर्शिद को कहीं ढूंढने नहीं जाना पड़ता। सुमिरन करो, वचनों पर पक्के रहो, तो आपके अंदर से ही उसने प्रकट हो जाना है। प्रतिदिन नियमित घंटा सुबह व घंटा शाम को सुमिरन (Meditation) जरूर करें। प्रभु प्रेम का रास्ता तलवार की तरह तीखा है। अपने अंदर की बुराइयां, बुरी आदतें छोड़नी होंगी। अपने अंदर की बुराइयां छोड़ोगे तभी सतगुरू अल्लाह, वाहेगुरू, राम दर्श-दीदार देंगे। दूसरों की बुराइयां गानाबड़ा ही आसान होता है, खुद कितने पाप किये हैं, उसकी कोई गिनती नहीं करता।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि इन्सान प्रभु (God) के किये हुए परोपकारों को पल में भूला देता है। इन्सान को कभी भी मालिक के उपकारों को भूलना नहीं चाहिए, मालिक से मालिक को मांगते रहो और हमेशा उस परमात्मा से डर कर रहो। क्योंकि मालिक का अगर इन्सान भय रखेगा तो कोई बुराई नहीं करेगा। प्रभु के नाम का जाप करो, उसकी बनाई औलाद की नि:स्वार्थ भावना से प्यार करो, किसी को बुरा न कहो, किसी की चुगली निंदा न करो, किसी को गलत न बोलो, कभी किसी का बुरा न सोचो। पीर-फकीर के वचन जो माना करते हैं मालिक उन्हें मालामाल कर दिया करते हैं।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।