सरसा। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि शरीर के अंदर दो ताकतें काम करती हैं, नैगेटिव व पॉजीटिव। धर्म के अनुसार आत्मा, परमात्मा। शरीर में अच्छाई का नुमाइंदा है आत्मा और बुराई का नुमाइंदा है मन। काम-वासना, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार, मन व माया ये सात की टीम है और आत्मा अकेली है। आत्मा की खुराक और मन की खुराक क्या-क्या है? शरीर को मजबूत करने के लिए इन्सान जो खाता है वो शरीर की खुराक है। बैठे-बैठे इन्सान चुगली निंदा करता है, टांग खिंचाई, ठग्गी, बेइमानी ये सब कर्म मन की खुराक है। सिवाए राम नाम व परमार्थ के सब मन की खुराक है। आत्मा की खुराक है, राम नाम, परहित परमार्थ।
आत्मा का मालिक परमात्मा है, परमात्मा ने काल, महाकाल को वचन दे रखें हैं कि जाहिरा तौर पर कोई चमत्कार नहीं दिखाऊंगा। आत्मा की एक खुराक ऐसी है अगर तुम इसे खिला दो, फिर मन तो क्या काल, महाकाल को भी आत्मा चारों-खाने चित कर सकती है और वो खुराक है प्रभु का नाम। अगर इन्सान सुबह शाम नियमित सुमिरन करे, वचनों पर पक्का रहे तो यकीनन आत्मा बलबान हो जाएगी और आप वो परमानंद हासिल कर पाओगे जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की होगी।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।