सतगुरु हर कण-कण में मौजूद

Saint Dr. MSG (Gurmeet Ram Rahim Singh Ji) taught the lesson of humanity - Sach Kahoon

सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि जब इंसान भगवान से जुड़ जाता है तो उसके विचारों में तबदीली आती है, उसकी राह बदल जाती है और गुजरे हुए रास्तों को जब वो याद करता है तो वैराग्य आता है कि हे रहबर, मुझे पहले ही यह रास्ता क्यों नहीं मिला। फिर सतगुरु समझाता है कि तेरे कर्म या कर्मों का सिलसिला जब खत्म होता है, इंसान खुदमुख्त्यारी का इस्तेमाल करता है तो अल्लाह-वाहेगुरु का वो नाम सुनने को मिलता है और सच्ची सत्संग नसीब होती है। फिर वो जीवात्मा कहती है कि हे प्रभु, तेरे प्यार-मोहब्बत को पाकर मुझे समझ आई है कि आपकी ही नूरे-किरण कण-कण में मौजूद है। सब अपने हैं, कोई दूजा नहीं। मैं जिधर नजर मारती हूं, पलक उठाती हूं, बस! तू ही तू नजर आता है।

हर किसी में तू समाया है और मुझे तेरे बिना कुछ और नहीं भाया। तेरे प्यार-मोहब्बत में जो लज्जत है, जो सुकून है, वो कहने-सुनने से परे है। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि एक जीवात्मा कहती है कि मेरी पहचान के लिए मेरे शरीर का नाम रखा जाता है और उस नाम से दुनिया पुकारती है, पहचान बनती है। पता नहीं कितने लोग उस नाम को लेते रहते हैं, बस यह होता है कि मुझे बुलाया गया है। पर हे प्रभु, जब तू उस नाम को पुकारता है तो दिलो-दिमाग में ताजगी छा जाती है, एक लज्जत छा जाती है, एक नशा हो जाता है। दुनिया में नाम शरीर की पहचान करते हैं। संत-फकीर नाम के द्वारा आत्मा की पहचान करते हैं और उसे प्यार-मोहब्बत से नवाज देते हैं।

 

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