हिसार के नया गांव में गोबर गैस संयंत्र स्थापित

Gobar gas plant installed in Hissar's new village

डेरा सच्चा सौदा की तर्ज पर स्थापित इस हाईटेक गोबर गैस संयंत्र से जिला हिसार को मिलेगी अंतर्राष्टय पहचान

  • नयागांव की हर रसोई में अब गोबर गैस से पकेगा खाना
  •  पाईपलाइन के जरिए हर घर तक पहुंचेगी रसोई गैस
  •  एलपीजी के मुकाबले एक-तिहाई कम दरों पर मिलेगी रसोई गैस

सच कहूँ/संदीप कम्बोज हिसार। आपके घर की रसोई का गैस चूल्हा गांव के ही पशुओं के गोबर से बनाई गैस से चलने लगे तो क्या कहेंगे, ताज्जुब ही ना। लेकिन है यह सौ फीसद सच। जिला हिसार के बरवाला क्षेत्र अंतर्गत नयागांव की ग्राम पंचायत ने सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा की तर्ज पर गांव में एक अत्याधुनिक गोबर गैस संयंत्र लगाया है जिससे न केवल पूरे गांव की रसोई में पाईपलाईन के माध्यम से गोबर गैस की सप्लाई मिलेगी बल्कि इस प्रोजेक्ट से जिला हिसार को भी अंतर्राष्Ñीय पहचान मिलेगी। गोबरधन योजना के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर बनवाये गये।

बता दें कि सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा में बायो गैस प्रोजेक्ट पहले से ही स्थापित है। प्रोजेकट के तहत गांव के गोबर को सीवेज, किचन व एग्री वेस्ट को बायो गैस प्लांट में ट्रीट करके पूरे गांव को बिजली, बायोगैस व खेतों को खाद व पेयजल के लिए आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। इससे पूरा गांव को चकाचक तो बनाया ही जा सकता है बल्कि हर प्लांट पर 50 लोगों को रोजगार भी दिया जा सकता है। 19 मई 2017 को रिलीज हुई डॉ. एमएसजी की कॉमेडी फिल्म जट्टू इंजीनियर में डॉ. एमएसजी ने गांवों को आत्मनिर्भर बनाने को बायो गैस प्रोजेक्ट का पूरा फामूर्ला बताया था। इस बायोगैस प्रोजेक्ट का भ्रमण करने के लिए देश ही नहीं वरन विदेशों से भी कई टीमें आ चुकी हैं।

प्रोजेक्ट पर खर्च हुए करीब 9 लाख

लगभग 90 लाख रुपये की लागत से बने इस विशाल गोबर गैस संयंत्र के कारण केवल नया गांव ही नहीं बल्कि बरवाला व हिसार जिला को भी वैश्विक पहचान मिलेगी। एक माह बाद इस संयंत्र को देखने के लिए देश भर की पंचायतों व संस्थाओं का यहां तांता लगेगा। अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि यहां से प्रेरणा लेकर दूसरे गांव व जिले भी अपने यहां गोबर गैस संयंत्र लगाने को प्रोत्साहित होंगे। इस प्रकार के गोबर गैस प्लांट से गांवों में गोबर व गंदगी का स्थाई समाधान होगा, ग्रामीणों को घर-घर तक सस्ती गैस रसोई के लिए मिलेगी तथा युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। इस प्लांट के लगने से और खाना बनाने के लिए गैस मिलने से महिलाओं को चूल्हे के धुएं से भी मुक्ति मिलेगी।

ग्राम पंचायत खरीदेगी गोबर, गांव भी होगा स्वच्छ

गोबर गैस प्लांट शुरु हो जाने के बाद ग्रामीणों को गोबर फैंकने और ढ़ोने के झंझट से भी छुटकारा मिलेगा। ग्राम पंचायत स्वंय घर-घर से गोबर खरीदेगी जिससे गांव में स्वच्छता रहेगी जिससे ग्रामीणों के स्वास्थ्य में सुधार होगा तथा गांव की सुंदरता बढ़ेगी। अतिरिक्त उपायुक्त एएस मान ने कहा कि इस प्लांट के लिए गांव से पशुओं का गोबर खरीदा जाएगा और गैस संयंत्र से उत्पन्न होने वाली गैस जहां घरों में खाना बनाने में प्रयोग होगी वहीं इससे निकलने वाली जैविक खाद रियायती दरों पर किसानों को उपलब्ध करवाई जाएगी। संयंत्र की गैस गांव में बने सार्वजनिक भवनों जैसे सामुदायिक केंद्र, आंगनवाड़ी केंद्र, विद्यालय आदि को भी उपलब्ध करवाई जाएगी।

ये हैं गोबर गैस संयंत्र के फायदे

  •  एलपीजी की तरह रसोई में प्रयोग करना आसान व सेफ
  • बिल्कुल दुर्गंध रहित
  •  एलपीजी से 25 फीसद ज्यादा तेज, इसलिए समय की बचत
  •  डीजल व इंडस्ट्रियल भट्टी में भी आसानी से प्रयोग

बायो खाद के ये हैं लाभ

पौधों के लिए जरूरी सभी 113 तत्व भरपूर मात्रा में विद्यमान खेतों में पानी के साथ तरल रूप में भी दी जा सकती है। बिना डीएपी व यूरिया के प्रयोग किए उपज दोगुनी व 100 फीसद आर्गेनिक सुखाकर बिजली बनाने पर खर्चा मात्र 2 रूपए प्रति यूनिट

9 माह में बनकर तैयार हुआ गोबर गैस प्लांट

अतिरिक्त उपायुक्त अमरजीत सिंह मान मंगलवार को गोबर गैस संयंत्र का निरीक्षण किया और इसके संचालन के संबंध में ग्रामीणों को जरूरी बातें बताईं। अतिरिक्त उपायुक्त ने बताया कि इस गोबर गैस संयंत्र का काम 29 अगस्त 2018 को शुरु हुआ था जिसे अधिकारियों, सरपंच व ग्राम पंचायत सदस्यों के संयुक्त प्रयासों व कड़ी मेहनत के चलते 9 माह की अवधि में बनकर तैयार किया गया है। उन्होंने ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं को बधाई दी और उन्हें बताया कि इस संयंत्र में गांव के सभी पशुओं का गोबर उपयोग होगा जिससे महिलाओं को सिर पर गोबर ढोने से मुक्ति मिलेगी। इसके साथ ही गांव में घर-घर तक पाइप लाइन के माध्यम से एलपीजी के मुकाबले एक-तिहाई कम दरों पर रसोई तक गैस पहुंचाई जाएगी।

 

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