- बच्चे, बुजुर्ग और युवाओं ने नाच-गाकर जाहिर की ‘आॅनलाईन गुरूकुल’ की खुशियां
- साध-संगत की श्रद्धा के सामने छोटे पड़े सभी प्रबंध
- सेवादारों ने साध-संगत को कुछ ही मिनटों में खिलाया लंगर-भोजन
सुखजीत मान/सुखनाम/सुरेंद्रपाल
सलाबतपुरा। डेरा सच्चा सौदा, सरसा के पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा मानवता की भलाई के लिए आरंभ किए गए ‘आॅनलाईन गुरूकुल’ में शाह सतनाम जी रूहानी धाम, डेरा सलाबतपुरा में फसल सीजन नरमे की चुगाई और धान की कटाई के चलते भी हजारों की संख्या में साध-संगत पहुंची। साध-संगत में बेहद उत्साह दिखाई दिया कि हर आयु वर्ग के डेरा श्रद्धालु ट्रैफिक पंडालों से लेकर मुख्य पंडाल तक ढोल की थाप पर नाचते झूमते हुए पहुंचे। साध-संगत को अनमोल वचनों से निहाल करते हुए पूज्य गुरू जी द्वारा सामाजिक बुराईयों के खात्मे के साथ-साथ युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति, सभ्याचार के साथ जुड़े रहने का संदेश भी दिया गया। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि हमारा सभ्याचार बहुत महान है। आप जी ने साध-संगत को शारीरिक सफाई और स्वास्थ्य संंबंधी टिप्स भी दिए। पूज्य गुरू जी ने पुरातन वेदों का उदाहरण देकर समझाया कि किस तरह पहले लोग ताकतवर शरीर वाले होते थे, इसलिए आधुनिक दौर में खाद्य-खुराक की ओर ध्यान देने की जरूरत है। इस मौके जब बरनावा स्थित आश्रम में से आॅनलाईन रू-ब-रू होते हुए ज्यों ही पूज्य गुरू जी ने सलाबतपुरा का नाम लिया तो डेरा सलाबतपुरा में उपस्थित साध-संगत खुशी में झूम उठी। पंजाबी पहनावे में सजे युवाओं ने पुरातन साज बुगचू, हरमोनियम, गिद्दा, चिमटा और ढोल बजाया तो अलोप हो चुका सभ्याचार फिर से जीवंत होता दिखाई दिया। इसके अलावा श्रद्धालु महिलाओं ने पंजाबी सभ्याचार की विरासत तहत जागो निकाली। सिर पर गागर, चरखा कातना, हाथों से लस्सी रिड़कना, इसके अलावा कढ़ाई वाली पक्खियां घुमाई तो सभ्याचार और रंगला पंजाब फिर जीवंत होता दिखाई दिया। इस मौके पर नौजवानों ने मलवई गिद्दा पेश करते हुए पुरातन साज बुगचू, हरमोनियम, गिद्दा, चिमटा और ढोल की थाप पर बोलियां सुनाई। इस मौके साध-संगत को सेवादारों द्वारा कुछ ही मिनटों में लंगर-भोजन खिला दिया गया।
जरूरतमंद परिवारों को बांटा राशन और गर्म वस्त्र
पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की ओर से मानवता भलाई के लिए शुरू किए हुए 142 मानवता भलाई कार्यों के तहत आज शाह सतनाम जी रूहानी धाम, डेरा राजगढ़ सलाबतपुरा में साध-संगत द्वारा जरूरतमद 50 परिवारों को राशन और 250 परिवारों को गर्म वस्त्र और बूट-जुराबें वितरित की गई।
साध-संगत के उत्साह के आगे सभी प्रबंध पड़े छोटे
साध-संगत की सुविधा के लिए बेशक जिम्मेवार सेवादारों ने अपनी ओर से हर तरह के पुख्ता प्रबंध किए हुए थे परंतु साध-संगत के विशाल हुजूम समक्ष सभी प्रबंध छोटे पड़ गए। साध-संगत के लिए जगह-जगह पानी की स्टालें, मेडिकल सुविधाएं, दिव्यांगों के लिए व्हील चेयर और पुख्ता ट्रैफिक इंतजाम किए गए थे।
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