जंक फूड खाने से क्या होता है?
About Junk Food in Hindi: खुश रहो व स्वास्थ्य पाओ, जंक फूड को आदत ना बनाओ। छोड़ तला स्वस्थ खाओ, बीमारी व बुरे विचार भगाओ: पूज्य गुरु जी
जंक फूड बहुत ही खतरनाक है। रोते हुए बच्चे से माँ-बाप का पीछा तो जल्दी छूट जाता है, लेकिन बच्चों के साथ सारी उम्र के लिए रोग जुड़ जाते हैं। 30-35 साल की उम्र में जाते-जाते उन्हें तरह-तरह के रोग लगने शुरू हो जाते हैं, मांसपेशियों की समस्या आने लग जाती है, तेजाब बनने लग जाता है और शरीर के अंदर बहुत सारी बीमारियां घर कर जाती हैं। हाई ब्लड पै्रशर व मोटापा इस तरह के खाने के ही परिणाम हैं। हम आपको ऐसी विधियां, टिप्स देने जा रहे हैं जो खुद पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा बताई गई हैं। ऐसे में आप निश्चिंत होकर इन पर विश्वास कर सकते हैं। ये विधियां सही तरीके से अपनाई जाएं तो इनका भरपूर फायदा मिलता है।
आर्गेनिक
Get Rid of Junk Food in Hindi: आर्गेनिक सब्जियां व फल सबसे उत्तम होते हैं। ये कीटनाशक रहित सब्जियां व फल मंहगे जरूर होते हैं, पर सेहत व रूहानियत की तरक्की के लिए बहुत फायदेमंद हैं। आप अपने घर के आंगन में भी प्रतिदिन इस्तेमाल होने वाली सब्जियां उगा सकते हैं। आॅर्गेनिक सब्जियां व फलों में कुछ दाग या कीड़ा हो सकता है, अगर आप उस हिस्से को काट दें तो बाकि सब्जी या फल बिल्कुल स्वस्थ होता है। कीटनाशक के बिना तैयार की गई सब्जियां व फल बहुत बेहतर हैं।
डिब्बाबंद
डिब्बाबंद कोई चीज़ कभी न खाओ। टिन व पैक्ड सील्ड खाना कैंसर तथा अन्य कई बीमारियों को न्यौता देता है।
खाना बनाते समय
खाना बनाते समय सिर को चुनरी से या किसी कपड़े से ढकना चाहिए, ताकि बाल, डैड्रफ या जूं आदि खाने मे ना गिरें। अगर आपका ख्याल ईश्वर, अल्लाह से जुड़ा है तो इससे खाने वाले का ध्यान भी ईश्वर की तरफ जाएगा। अगर आप खाना बनाते वक्त लड़ाई-झगड़ा या इधर-उधर की बातों में व्यस्त हैं, तो संभवत: उस खाने को खाने वाला भी वैसा ही करेगा। इसलिए खाना बनाते वक्त गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए। यह बात सत्य है कि ‘‘जैसा खाएं अन्न वैसा होए मन।’’
मिठास भरे लजीज घेवर
घेवर एक तरह की मिठाई है। कुछ प्रमुख त्योहारों में घेवर बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। घेवर के पीछे की कहानी बहुत रोचक है। वैसे तो बारिश की बूंदों की फुहार
के साथ गर्मा-गरम पकौड़े और चटपटी चीजें खाने का मन करता है लेकिन इस मौसम में ये खास मिठाई घेवर भी काफी पसंद की जाती है। पहले के लोगों का मानना है कि घेवर के बिना रक्षाबंधन और तीज का त्यौहार अधूरा माना जाता है। बता दें कि घेवर राजस्थान और ब्रज क्षेत्रों की प्रमुख पारंपरिक मिठाई है। ये मिठाई बरसात के दिनों में बनाई जाती है और इसे लोग खूब पसंद करते हैं।
पारंपरिक तौर पर घेवर मैदे और आरारोट के घोल विभिन्न सांचों में डालकर बनाया जाता है। फिर इसे चाशनी में डाला जाता है। वैसे समय के साथ इसमें बनाने के तरीके में तो नहीं, लेकिन सजाने में काफी एक्सपेरिमेंट्स हुए हैं। जिसमें मावा घेवर, मलाई घेवर और पनीर घेवर खास हैं। लेकिन समय के साथ घेवर बनाने, सजाने व परोसने में कई परिवर्तन हुए पर इसका स्वाद वैसा ही है।
हालांकि अब जगह के साथ ही घेवर के दामों में फर्क होता है। बाजार में 50 से लेकर 400 रुपये किलो तक का घेवर बिकता है। सादा घेवर सस्ता है जबकि पिस्ता, बादाम और मावे वाला घेवर महंगा होता है। पिस्ता बादाम और मावे वाला घेवर ज्यादा प्रचलित है। हालांकि लोगों का मानना है कि जितना मजा सादा घेवर खाने में आता है उतना स्वाद मावा-मलाई वाले में नहीं। फिर भी लोगों की पहली पसंद मावा-घेवर को ही है।
Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करे।