अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन समय के बड़े पाबंद थे। उनका हर काम वक्त पर होता था। वह निर्धारित समय पर उठते थे। नियत समय पर नाश्ता करते और तय समय पर अपने काम में लग जाते थे। एक बार उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस के कुछ नए सदस्यों को अपने यहां रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया और संदेश भिजवा दिया कि वे रात आठ बजे पहुंच जाएं।
दरअसल वे हर हाल में आठ बजे भोजन कर लेते थे। लेकिन नए सदस्यों को क्या पता कि जार्ज के लिए समय का कितना महत्व है। उन्होंने इस पहलू पर गौर नहीं किया। उन्हें पहुंचने में थोड़ी देर हो गई। इधर आठ बजते ही जॉर्ज का खाना लग गया और उन्होंने भोजन करना शुरू कर दिया। वह जब आधा खाना खा चुके, तब अमेरिकी कांग्रेस के वे नए सदस्य वहां पहुंचे। उन्हें जॉर्ज को खाना खाते देखकर आश्चर्य हुआ। उन्होंने पहली बार देखा था कि मेहमानों के आने से पहले ही कोई मेजबान खाना शुरू कर दे। उन्हें जॉर्ज की यह विचित्र मेजबानी समझ में नहीं आई। जब सदस्यों ने इस बारे में पूछा तो जॉर्ज ने कहा, ‘मेरे भोजन कर लेने से आप लोगों को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। मेरा रसोइया कभी यह नहीं देखता कि निमंत्रित अतिथि आ गए हैं या नहीं। आठ बजते ही वह खाना लगा देता है। उसके खाना लगाते ही मैं खाना शुरू कर देता हूं। उसने आज भी यही किया। मैं इसी तरह हर काम तय समय पर करता हूं। आपको असुविधा हुई, इसका खेद है।’ इतना कहने के बाद जॉर्ज वाशिंगटन भोजन करने में व्यस्त हो गए। मेहमान झेंपते हुए एक-दूसरे का मुंह देखने लगे।
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