अपनो के निशाने पर गहलोत सरकार

Ashok Gehlot

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन दिनों अपनी ही कांग्रेस पार्टी के नेताओं के निशाने पर आ रहे हैं। कुछ दिनों पहले गहलोत सरकार ने प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में हाइब्रिड फार्मूला लागू किया था जिसको लेकर प्रदेश भर में बवाल मचा था। राजस्थान कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व राजस्थान सरकार में उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उस फामूर्ले का डटकर विरोध किया था। परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, खाद्य आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा, सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना सहित कांग्रेस के कई विधायकों ने भी सरकार के फैसले को जन विरोधी बताते हुए पायलट का समर्थन किया था।

सचिन पायलट का कहना था कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में या केबीनेट की मिटिंग में ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया था। यहां तक कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भी इस बाबत कभी कोई जानकारी नहीं दी गयी थी। मगर अंतत: मामला कांग्रेस आलाकमान के पास दिल्ली तक पहुंचा और अशोक गहलोत को अपना हाइब्रिड फार्मूला वापस लेकर फिर से चुने गए पार्षदों में से ही नगरीय निकायों के अध्यक्ष बनाने का नियम लागू करना पड़ा था। हाल ही में गहलोत सरकार ने भाजपा सरकार द्वारा प्रदेश में सड़कों पर चलने वाले निजी वाहनों को टोल टैक्स से दी गई छूट को वापस लेने का निर्णय किया है जिसका भी कांग्रेस सहित सभी दलों में विरोध हो रहा है।

नगरीय निकायों के चुनाव से पूर्व टोल टैक्स लागू करने के फैसले का खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है। टोल टैक्स को फिर से लागू करने के फैसले का भी गहलोत ने बचाव करते हुए कहा है कि टोल टैक्स की छूट निजी वाहन चलाने वालों को को दी जा रही थी जो टैक्स टोल टैक्स चुकाने में सक्षम है। भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा टोल टैक्स में दी गई छूट नियम विरुद्ध है। इसलिए राज्य सरकार ने इसे फिर से लागू करने का फैसला किया है।

अक्टूबर 2018 में वसुंधरा राजे सरकार ने प्रदेश के किसानों को उनके कृषि कुओं के बिजली बिलों में 833 रुपए प्रतिमाह का अनुदान देना का निर्णय किया था। जिस में भी अब बिजली कंपनियों के अधिकारी दिक्कत पैदा करने लगे हैं। बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कृषि उपभोक्ता पहले बिजली का पूरा बिल चुकाये फिर अनुदान की राशि उसके बैंक खाते में भेजी जायेगी। उपभोक्ता के खातों में जमा कराने के नियम से प्रदेश के आधे से अधिक किसान इस छूट का लाभ नही उठा पायेगें।

प्रदेश में कई किसानों के भूमि का नामांतरण नहीं हुआ है तो कई किसानों के आपस में पारिवारिक विवाद चल रहे हैं। इसलिए एक साथ बैंक खाता नहीं खुल सकता है। इसमें किसानों को विभिन्न तरह की समस्या आ रही है। किसान संगठनों का कहना है कि पूर्व की भाजपा सरकार ने किसानों को मिलने वाले अनुदान को बिजली बिलों में ही समायोजित करने का जो फैसला किया था उसे ही बरकरार रखना चाहिए।

राजस्थान रोडवेज ने प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन करीब 2 लाख किलोमीटर रूट पर बसों के परिचालन में कटौती कर दी है। जिससे गांव में परिवहन सेवा की पहुंच कम हो गई है। जिसका असर आम ग्रामीण पर पड़ रहा है। इससे गांवों के लोगों को आवागमन के साधनों की कमी महसूस होने लगी है। प्रदेश सरकार के इन फैसलों का सीधा असर गांव के गरीब, किसान, मजदूरों पर पड़ रहा है। प्रदेश में खनन माफिया पुलिस, प्रशासन पर भारी पड़ रहा है। प्रदेश भर में अवैध खनन जोरों पर है। खनन माफियाओं का दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि वह सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों पर भी हमला करने से नहीं चूक रहे हैं। पत्थर, रोड़ी, बजरी की ठेकेदारों द्धारा मनमानी कीमत वसूली जा रही है। प्रतिबंधित क्षेत्र में भी खनन का कार्य धड़ल्ले से जारी है।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव व राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे ने जयपुर के एक निजी होटल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सुलह कराने के उद्देश्य से लम्बी चर्चा की लेकिन उसके अभी कोई नतीजे सामने नहीं आये है। उस मीटिंग में बसपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले पांच विधायकों से भी फेस टू फेस चर्चा की गई थी। उनकी शिकायत थी कि कांग्रेस ने उनसे किया वादा अभी तक पूरा नहीं किया है।

राजस्थान में विधानसभा की दो सीटों मंडावा व खींवसर के उपचुनावों में कांग्रेस ने मंडावा सीट तो जीत ली मगर कांग्रेस के दिग्गज नेता हरेंद्र मिर्धा खींवसर सीट पर सांसद हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल के हाथों पराजित हो गए। कांग्रेस की आपसी फूट मिर्धा की हार की प्रमुख वजह मानी जा रही है। प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बदतर हो रही है। आए दिन जगह-जगह बलात्कार की घटनाएं घट रही हैं। कांग्रेस सरकार के आने के बाद भी प्रदेश में कर्ज से परेशान होकर करीबन एक दर्जन किसानों ने आत्महत्या कर ली है। दिन दहाड़े सरेआम दुकानदारों को गोली मारकर लूटा जा रहा है। अपराधियों में बिल्कुल भी भय नहीं है।

यदि समय रहते कांग्रेस अपने सत्ता व संगठन के झगड़े को नहीं सुलटा पाती है तो उसका खामियाजा उसे आगे आने वाले निकाय व पंचायती राज चुनाव में उठाना पड़ेगा। आगे चलकर प्रदेश में सरकार के खिलाफ एक नकारात्मक वातावरण बनेगा जो सरकार के लिए खतरे की घंटी साबित होगा।

 

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