नयी दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। State Bank of India: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अप्रैल -जून की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के अनुमान से कम 6.7 प्रतिशत रहने के मद्देनजर चालू वित्त में जीडीपी विकास दर 7.0 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी है। State Bank of India
एसबीआई (State Bank of India) के ग्रुप मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ़ सौम्य कांति घोष ने शनिवार को जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा “भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 25 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7.1 प्रतिशत की पहली तिमाही की वृद्धि के आधार पर 7.2 प्रतिशत लगाया है। अब पहली तिमाही में 6.7प्रतिशत की वृद्धि के साथ, नया वार्षिक अनुमान 7.1प्रतिशत होगा। हमारा मानना है कि वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी वृद्धि आरबीआई के अनुमान से थोड़ी कम होगी और 7.0प्रतिशत की वृद्धि अधिक उचित लगती है।”
उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पिछली चार तिमाहियों में अर्थव्यवस्था में 7 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई और कृषि तथा सेवा दोनों क्षेत्रों में कम वृद्धि के कारण पहली तिमाही का प्रदर्शन उससे कम रहा। कृषि में जहाँ मात्र 2.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं सेवा क्षेत्रों में 7.2प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालाँकि नॉमिनल जीडीपी में पहली तिमाही में 9.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही की 8.5प्रतिशत वृद्धि से अधिक है। हालाँकि जीडीपी तिमाही में जीडीपी वृद्धि घटकर 6.7 प्रतिशत हो गई है, लेकिन यह अभी भी पहली तिमाही में 6.4प्रतिशत की औसत दशकीय वृद्धि से अधिक है।
डॉ़ घोष ने कहा “जीवीए में 6.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई और पिछली तीन तिमाहियों में 122 आधार अंक के औसत अंतर की तुलना में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी और जीवीए के बीच का अंतर घटकर मात्र 19 आधार अंक रह गया। हमारा मानना है कि यह जीडीपी-जीवीए अंतर पिछले वित्त वर्ष में 93 आधार अंक के अंतर के मुकाबले चालू वित्त वर्ष में संभवतः एक हो जाएगा।” State Bank of India
उन्हाेंने कहा कि तिमाही-दर-तिमाही के लिहाज से, वास्तविक जीडीपी हमेशा पहली तिमाही में कम रहती है। मौसमी रूप से समायोजित जीडीपी वृद्धि हमेशा पहली तिमाही के लिए गैर-मौसमी रूप से समायोजित जीडीपी वृद्धि से अधिक होती है, जो दर्शाता है कि पहली तिमाही की वृद्धि गैर-मौसमी रूप से समायोजित आंकड़े से बेहतर है और इसमें मौसमी घटक अधिक है।
उन्होंने कहा कि व्यय पक्ष या सामान्य मांग काफी हद तक सकारात्मक तस्वीर दिखाती है, जिसमें मूल्यवान वस्तुओं को छोड़कर सभी मदों में चालू वित्त की पहली तिमाही में सकारात्मक वृद्धि दिखाई देती है। निजी खपत में मौजूदा कीमतों में 12.4प्रतिशत की मजबूत वृद्धि हुई। निवेश में भी मौजूदा कीमतों में 9.1प्रतिशत की स्वस्थ वृद्धि दर्ज की गई। लेकिन निवेश दर 31प्रतिशत पर स्थिर रही। सरकारी व्यय में 4.1प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो धीमी थी, लेकिन यह ध्यान में रखते हुए कि पहली तिमाही आम चुनावों की अवधि भी थी।
डॉ़ घोष ने कहा कि जून में सुस्त प्रदर्शन के बाद चल रहे मानसून सीजन में पिछले दो महीनों में लगातार भारी बारिश देखी गई है। जुलाई-अगस्त 2024 की अवधि पिछले 30 वर्षों में देश में सबसे अधिक बारिश वाली जुलाई-अगस्त अवधि में से एक होने जा रही है। जुलाई-अगस्त 2024 के दौरान दर्ज की गई वर्षा वर्तमान में 595 मिमी है, जो एलपीए से लगभग 12.5प्रतिशत अधिक है। हालाँकि, दूसरा पहलू यह है कि दक्षिणी और मध्य भारत में मानसून असामान्य रूप से भारी रहा है (सामान्य से 17-18प्रतिशत अधिक), लेकिन पूर्व और उत्तर पूर्व में कम (12प्रतिशत) और उत्तर-पश्चिम भारत में लगभग बराबर (3प्रतिशत) रहा है।
सामान्य मानसून आने वाले महीनों में खरीफ फसल की बुवाई और मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए अच्छा संकेत है। इसके बाद खाद्य सीपीआई पर नीचे की ओर प्रभाव पड़ेगा। हाल के वर्षों में मजबूत रहने के बाद बैंक ऋण वृद्धि में नरमी आती दिख रही है। वित्त वर्ष 25 में ऋण वृद्धि 12-13प्रतिशत की सीमा में बढ़ सकती है और जमा राशि 10-11प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। State Bank of India
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