जब 1978 में वे भारत आए थे, जब गुरुग्राम के एक गांव का नाम कार्टरपुरी रखा गया
- तब से पहले यह गांव दौलतपुर नसीराबाद था, जिसे सरकार ने बदलकर कार्टरपुरी रखा
- 100 साल की उम्र में जिमी कार्टर के निधन पर ग्रामीणों ने भी जताया दुख
- जिमी कार्टर भारत आने वाले अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थे
गुरुग्राम (सच कहूँ/संजय कुमार मेहरा)। Gurugram News: 100 साल की उम्र में दुनिया से विदा हुए अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का गुरुग्राम से गहरा और पुराना नाता रहा है। वर्ष 1978 में जब वे बतौर राष्ट्रपति अधिकारिक रूप से भारत दौरे पर आए थे तो वे अपनी मां लिटियन कार्टर तथा पत्नी रोजलीन कार्टर के साथ गुरुग्राम के गांव दौलतपुर नसीराबाद पहुंचे थे। उनके दौरे के बाद हरियाणा सरकार ने दौलतपुर नसीराबाद गांव का नाम बदलकर उनके नाम से मिलता हुए नाम कार्टरपुरी रख दिया था। आज भी गांव के बड़े-बुजुर्ग तस्वीरों व पत्र के रूप में उनकी यादों को संजोये हुए हैं। उनके निधन की खबर सुनकर ग्रामीण भी भावुक हो गए।
तत्कालीन गांव दौलतपुर नसीराबाद (वर्तमान गांव कार्टरपुरी) पहुंचने पर गांव के लोगों ने अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर व उनकी मां लिटियन कार्टर तथा पत्नी रोजलीन कार्टर का हरियाणवी अंदाज में खास स्वागत किया था। वह स्वागत जिमी कार्टर ताउम्र नहीं भूले। परिवार के साथ जिमी कार्टर दौलतपुर नसीराबाद की गलियों में घंटों तक घूमे थे। एक-एक ग्रामीण से उन्हें पूरी तन्मयता से मुलाकात की थी। गांव की महिलाओं ने उनकी पत्नी रोजलीन कार्टर को हरियाणवी पोशाक कुर्ता-दामण उपहार में दिया था। उसी पोशाक को पहनकर रोजलीन जिमी कार्टर के साथ गांव में घूमीं थीं।
जिमी कार्टर की नर्सिंग ऑफिसर मां के जताई थी गांव आने की इच्छा
आपको बता दें कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर की मां लिटियन कार्टर नर्सिंग ऑफिसर थीं। वे जब यहां घूमने आती थी तो गांव में जेलदार सरफराज के घर पर रुकती थीं। उस समय जिमी कार्टर उनके गर्भ में थे। जब दूसरा विश्व युद्ध हुआ तो जिमी कार्टर की मां लिटियन कार्टर मुंबई चली गई थीं। उन्होंने मुंबई के जसलोक अस्पताल में नौकरी की। वर्ष 1947 में हुए दंगों के दौरान वे अमेरिका चली गईं। जिमी कार्टर के जन्म के बाद लिटियन कार्टर ने उनके समझदार होने पर गांव दौलतपुर नसीराबाद के बारे में बताया। Gurugram News
गांव की गांव के लोगों की तारीफ अपनी मां के मुंह से सुनने वाले जिमी कार्टर जब अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो उनका भारत दौरा तय हुआ। उनके राष्ट्रपति बनने पर इस गांव में भी ग्रामीणों ने खुशी मनाई थी। क्योंकि ग्रामीण जिमी कार्टर को अपना बेटा मानते थे। राष्ट्रपति बनने के बाद भारत दौरे के दौरान जिमी कार्टर परिवार के साथ गांव दौलतपुर नसीराबाद भी आए। तत्कालीन हरियाणा सरकार ने दौलतपुर नसीराबाद गांव का नाम बदलकर कार्टरपुरी रख दिया था। गांव का नाम बदलकर कार्टरपुरी रखने का सुझाव उस समय के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने दिया था। ग्रामीण बताते हैं कि उस समय गांव को मॉडल गांव बनाने की भी बात कही गई थी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।
जब तक राष्ट्रपति रहे, जब तक करते रहे पत्राचार | Gurugram News
गांव के रमेश यादव, मलखान सिंह बताते हैं कि जिमी कार्टर उनके गांव से जब वापस अमेरिका गए तो वहां जाकर भी उन्हें ग्रामीणों की याद रही। जब तक वे अमेरिका के राष्ट्रपति रहे, तब तक अमेरिका से गांव में पत्र भेजते रहे। अमेरिकी दूतावास से पत्र गांव में भेजे जाते थे। उसके बाद पत्राचार नहीं हुआ। राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने गांव में एक दूरबीन और एक टेलीविजन भी भेजा था। गांव के पंचायत घर में वह टीवी लगाया गया, जिस पर ग्रामीण कार्यक्रम देखते थे। जिमी कार्टर के आने के बाद गांव को मॉडल गांव बनाने की भी घोषणा हुई थी। समय के साथ सब भूले गए। गांव आज भी सुविधाओं को तरसता है।
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