कोरोना महामारी ने दुनिया के विकासशील और गरीब देशों के समक्ष खाद्य सुरक्षा का संकट खड़ा कर दिया है। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन ने हाल में ‘द स्टेट आॅफ फूड सिक्योरिटी न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड-2021’ शीर्षक से रिपोर्ट जारी की है। इसमें खाद्य संकट और कुपोषण पर महामारी के प्रभाव का अध्ययन किया गया है। अध्ययन में सामने आया है कि महामारी की वजह से विकासशील और गरीब देशों में खाद्य सुरक्षा की स्थिति गंभीर हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की आधे से अधिक कुपोषित आबादी एशिया में रहती है। जबकि एक-तिहाई से अधिक कुपोषित आबादी अफ्रीका में है। अमीर देश वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन और भुखमरी की समस्या से निपटने की प्रतिबद्धता जताते रहे हैं। इसमें वैश्विक स्तर पर वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों में गरीबी उन्मूलन (एसडीजी-1) और भुखमरी खत्म करने (एसडीजी-2) का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि मौजूदा हालात के मद्देनजर इस दशक के अंत तक गरीबी उन्मूलन और भुखमरी से बड़ी आबादी को बाहर निकालने में कोई बड़ी सफलता हाथ लग जाएगी, इसकी उम्मीद अभी कम ही है।
क्योंकि महामारी ने जिस तरह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को तबाह किया है, उससे गरीबी और भुखमरी खत्म करने के लिए चलाए जाने वाले अभियानों पर असर पड़ना तय है। आंकड़े बता रहे हैं कि महामारी दौर में लोगों की आमद पर भी बहुत बुरा असर पड़ा है। आय में कमी के कारण खाद्य सामान जुटाने की सामर्थ्य में भारी गिरावट दर्ज की गई है। पिछले साल दुनिया में लगभग तीन में से एक व्यक्ति के पास पर्याप्त भोजन नहीं था?। यदि हम इसके पीछे बड़े कारणों की बात करें तो खाद्य प्रणालियों को प्रभावित करने वाले बाहरी कारक और आंतरिक कारक पौष्टिक खाद्य पदार्थों की लागत बढ़ा रहे हैं। इसके चलते गरीब और मध्यम वर्ग की स्वच्छ भोजन तक पहुंच नहीं बन पा रही है। महामारी के दौर में ज्यादातर देशों की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई। उद्योग-धंधे और चौपट हो गए। करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए। इसका असर भी खाद्य सुरक्षा पर पड़ा। खाद्य सुरक्षा से अभिप्राय मनुष्य की भोजन संबंधी आवश्यकताओं से है।
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर दुनिया की इतनी बड़ी आबादी को भुखमरी-गरीबी से बाहर कैसे लाया जाए? लोगों को भुखमरी से बचाने के लिए वैश्विक स्तर पर ठोस प्रयासों की जरूरत हैं। इनमें सामाजिक सुरक्षा उपायों को अपना कर भुखमरी और गरीबी उन्मूलन की दिशा में कदम बढ़ाए जा सकते हैं। देशों को इस तरह की नीतियां बनानी होंगी जो गरीबी मिटाने में सहायक हों। इसके अलावा खाद्य प्रणालियों को दुरुस्त करना होगा। पौष्टिक खाद्य पदार्थों की लागत को कम करने के लिए आपूर्ति शृंखलाओं में सुधार लाना होगा। ऐसी भी आशंका जताई जा रही है कि इस वर्ष महामारी संकट के कारण चार करोड़ नब्बे लाख और लोग गरीबी के दलदल में जा सकते हैं। ऐसे में खाद्य सुरक्षा की दिशा में ठोस कदम उठा कर ही मौजूदा संकट से निपटा जा सकता है। इसके लिए दुनिया के अमीर-गरीब राष्ट्रों को एकजुट हो कर ही प्रयास करने होंगे।
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