देश में बढ़ते सड़क हादसों को रोकने के लिए यातायात नियमों का सख्ती से पालन करना अत्यंत आवश्यक है पिछले कई सालों देश में सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी के कारण होने वाली मौतों की वजह से मौजूदा सड़क कानून में बदलाव करना बहुत जरूरी हो गया था। इसी उद्देश्य से सरकार मोटरयान संशोधन विधेयक 2019 संसद में लेकर आई। यह विधेयक संसद द्वारा पारित हो चुका है और इस स्वतंत्रता दिवस से कानूनी रूप से लागू हो गया है। गौरतलब है कि दुनिया भर में बढ़ रहे सड़क हादसों को कम करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा 2011- 2020 के दशक को सड़क सुरक्षा कार्यवाही दशक घोषित किया गया है, जिसका उद्देश्य इस दशक के दौरान सड़क दुर्घटनाओं को 50 फीसदी तक कम करना है।
भारत में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर गौर किया जाए तो सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की 2018 की रिपोर्ट बताती है कि भारत में सालभर में लगभग 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और लगभग डेढ़ लाख लोग असमय मौत का शिकार हो जाते हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ का एक सक्रिय सदस्य होने के नाते यह भारत सरकार की नैतिक जिम्मेदारी थी कि वह ऐसे कानूनी प्रावधान करे जिससे सड़क हादसों को कम किया जा सके। मोटरयान संशोधन कानून 2019 इन सभी वचनबद्धताओं को वास्तविक धरातल पर लाने का भारत सरकार का प्रयास है। इस कानून में एक ओर जहां सख्त जुर्माने की व्यवस्था की गई है तो वहीं कुछ ऐसे प्रावधान किए गए हैं जो सड़क हादसों के पहले व बाद में लोगों के लिए मददगार साबित होंगे।
मसलन इस कानून द्वारा देश में मोटर वाहन दुर्घटना कोष की स्थापना की जाएगी जो सड़क का इस्तेमाल करने वाले सभी लोगों को अनिवार्य बीमा कवर प्रदान करेगी। गोल्डन आवर के दौरान गंभीर रूप से घायल लोगों का कैशलेस इलाज करने की व्यवस्था की गई है तथा घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने वाले लोगों को पुरस्कृत करने का इंतजाम किया गया है। हिट एंड रन मामलों में मृतकों को 200000 या उससे ज्यादा मुआवजा देने और घायलों को इलाज के लिए 50000 रु. तक की मदद की व्यवस्था की गई है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार दुनिया भर में होने वाले सड़क हादसों में 78.7 प्रतिशत हादसे चालकों की गलती की वजह से होते हैं। इस संशोधित कानून में चालकों के प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण केंद्र खोलने की व्यवस्था है।
पहली बार ट्रैफिक कानून में आपातकालीन वाहनों को जगह ना देने पर 10000 जुमार्ने की व्यवस्था की गई है। मोटर वाहनों के निर्माण में यदि कोई तकनीकी कमी पाई जाती है तो डीलर पर 100000 और निर्माता कंपनी पर 100 करोड़ रुपए का भारी-भरकम जुमार्ना शासन द्वारा लगाने की व्यवस्था की गई है। सख्त जुर्माना भरने की वजह से जहां लोगों में ट्रैफिक नियम का पालन करने का डर पैदा होगा वहीं ट्रैफिक पुलिस की ईमानदारी भी इस कानून की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हमें स्वीडन और नीदरलैंड जैसे देशों से सीखने की जरूरत है। जन जागरूकता के कारण ये देश आज रोड ट्रैफिक के लिए आदर्श बन गए हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार अगर सड़क हादसों पर रोक नहीं लगा तो 2030 तक सड़क हादसा मृत्यु का पांचवा सबसे बड़ा कारण बन कर उभरेगा और मानव संसाधन का भारी नुकसान करेगा।