- गीता जयंती उत्सव। अगले साल के लिए अभी से तैयारियों में जुटे शिल्पकार व कलाकार
- अगले साल नई शिल्पकला संग हाजिर होंगे कलाकार
- इस बार खूब हुई पीतल मूर्तियों की बिक्री
Kurkshetra, SachKahoon News: कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतर्राष्टÑीय गीता जयंती उत्सव इस बार फिर धर्म के पालन व विश्व शांति का संदेश दे गया। देश-विदेश से आने वाले शिल्पकार, पर्यटकों और शहरवासियों को 2017 के गीता जयंती महोत्सव का बेसब्री से इंतजार रहेगा। कई जाने-माने शिल्पकारों ने अभी से ही वर्ष 2017 के महोत्सव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। अहम पहलु यह है कि 2016 शिल्पकारों के लिए अच्छा साबित हुआ हैं। इससे प्रोत्साहित होकर शिल्पकार अगले साल आने वाले महोत्सव नई शिल्प कला को लेकर पहुंचेंगे। अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव-2016 का शिल्प और सरस मेला रविवार को शिल्पकला और संस्कृति के संगम के साथ संपन्न हुआ। शिल्पकारों का कहना है कि अन्य महोत्सवों व मेलो से ज्यादा गीता जयंती महोत्सव में उनकी कला के कद्रदान पहुंचते हैं और पूरे उत्साह के साथ उनके द्वारा बनाए शिल्प की खरीददारी करते हैं। उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ से पीतल की मूर्तियां लेकर पहुंचे दलीप चौरसिया ने बताया कि गीता जयंती महोत्सव में पीतल की मूर्तियों की पर्यटकों ने जमकर खरीददारी की है। अगली बार वे मेले में पीतल की श्रीमद्भागवत गीता लेकर पहुंचेंगे। इसमें गीता के 18 शखेक अंकित होंगे। जयपुर से पहुंची पेंटिंग कलाकार वर्षा का कहना है कि कपड़े की मखमली पेंटिंग को पर्यटकों ने खूब पंसद किया है, अगली बार वे गीता जयंती महोत्सव में धर्मनगरी के पर्यटन स्थलों की पेंटिंग लेकर पहुंचेंगी, क्योंकि पर्यटक गीता जयंती पर धार्मिकता से जुड़ी पेंटिंग को खरीदने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते है।
पर्यटकों पसंद आई जैमस्टोन पेंटिंग
जयपुर के मोहन लाल सैनी प्राकृतिक राशि नगों के चूरे से पेंटिंग बनाने के लिए मशहुर है। प्रदर्शनी में उनकी जैमस्टोन पेंटिंग लोगों द्वारा खुब पसंद की गई। उनकी पेंटिंग की कीमत 100 रुपए से शुरू है और 5 हजार रुपए तक की पेंटिंग भी लोगों द्वारा खरीदी गई। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा बनाई गई की-रिंग डायरी महोत्सव में पहुंचने वाले पर्यटकों को खूब भायी। मेले में सबसे कम कीमत वाली उनकी कलात्मकता के क्रददान मेले में सबसे ज्यादा मिले।
विदेशों में भी है पसमीना शाल की डिमांड
अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में कश्मीर से आएं शिल्पकार फिरोज अहमद का कहना है कि विदेशों में भी पसमीना शाल की अच्छी-खासी डिमांड है। इस बार आस्ट्रिया, इंडोनेशिया, कनाडा, आस्टेलिया व जापान से विदेशी पर्यटक व कलाकार महोत्सव में पहुंचे। उन्होंने पसमीना शाल की कास्तकारी की तारीफ की और खरदीदारी में भी दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने बताया कि देश के हर हिस्से में पसमीना शाल के कद्रदान है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक लगने वाले प्रांतीय मेलों में पसमीना शाल अच्छी मांग रहती है।
खादी की मोदी जैकेट बिकी हाथों-हाथ
खादी ग्रामोउद्योग मंडल कुरुक्षेत्र के लिए अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव खास रहा हैं। इस खादी की स्टाल पर मोदी जैकेट को लोगों ने खूब पसंद किया। खादी ग्रामोउद्योग मंडल के मैनेजर सतपाल सैनी ने बातचीत करते हुए बताया कि यह महोत्सव खादी वस्त्रों के लिए खास रहा हैं। इस बार लोगों ने खादी वस्त्र खूब खरीदे हैं। इस बार पर्यटकों के लिए मोदी जैकेट, महिला कोट व डब्बी जैकेट विशेष रुप से तैयार करके लाएं थे और लोगों ने इन जैकेटो को सबसे ज्यादा पसंद किया। उन्होंने पर्यटकों के साथ-साथ अच्छे प्रबंध करने के लिए जिला प्रशासन का भी आभार व्यक्त किया हैं।
वुडन लुक के टेराकोटा पोट भी खूब बिके
चंड़ीगढ़ से मामचंद मेले में वुडन लुक वाले टेराकोटा पोट लेकर लेकर आएं जिसे लोगों ने जमकर खरीदा। इन टेराकोटा पोट पर हस्तशिल्प कला ने पर्यटकों को आकर्षित किया। पोट की इस खासियत ने ही पर्यटकों को अपनी तरफ खींचा। मामंचद का कहना है कि टेरोकोटा पोट तो बहुत शिल्पी बनाते है, लेकिन उनके द्वारा बनाए गए पोट वुडन लुक होने के चलते सबसे अलग थे। खासतौर पर यह घर के इंटिरियर से मेल खाते है।
पश्चिम बंगाल का कॉटन सिल्क भी खूब भाया
गीता जयंती महोत्सव में पश्चिम बंगाल से आए आलोक कुमार जना का कहना हैं कि यह महोत्सव सबसे ज्यादा अच्छा साबित हुआ हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आंनद लेने के साथ-साथ लोगों ने पश्चिम बंगाल का कॉटन सिल्क खूब पंसद किया। वे पिछले 6 सालों से गीता जयंती में आ रहे हैं और यह महोत्सव सबसे अच्छा रहा हैं।