साल के इस समय में परीक्षा का माहोल होता है। (Focus on Study) दसवीं और बारहवीं के विद्यार्थी बोर्ड एग्जाम की तैयारी करते हैं। माता पिता हों या रिश्तेदार, दोस्त हों या पड़ोसी सब एक ही बात बोलते हैं कोर्स पूरा हो गया? पढ़ाई और परीक्षा के स्ट्रेस में कई बार बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता। और पढ़ाई में कैसे मन लगाए, दूसरों की बातों से विचलित जो हो जाते हैं। अभिभावक यही सोचते हैं के बच्चे का पढ़ाई में मन कैसे लगाएं। बच्चे सोचते हैं पढ़ाई में मन कैसे लगाएं। इंटरनेट पर इस समय में सबसे ज्यादा how to concentrate on studies for long hours, यही खोजा जाता है। लेख में हम आपको कुछ बिंदुओं में बताएंगे कि padhai me man kaise lagaye। आइए इन पर विचार करते हैं।
पढ़ाई में मन कैसे लगाएं | (Focus on Study)
कारण– पढ़ाई में मन न लगने का
- दूसरों की बातों को सुनना
- ध्यान भटकना
- आलस्य आना
- अतिविश्वास
निदान–पढ़ाई में मन कैसे लगाएं
- अपने लक्ष्य के बारे में सोचिए
- आपकी दिनचर्या क्या है
- आपकी प्रेरणा क्या है
- एकाग्रचित हों
- अपना टाइम टेबल बनाइए
कारण– पढ़ाई में मन न लगने का | (Focus on Study)
कोई भी समस्या का सामना होने पर पहले उसका कारण ढूंढना हितकर होता है। कारण पता होने के बाद उसका हल निकालना आसान होता है। आप पढ़ाई में मन कैसे लगाएं यह सोचने से पहले जानें कि क्यों आपका पढ़ाई में मन नहीं लगता। इस लेख के कुछ बिंदु आपको अपनी समस्या और फिर उसका समाधान ढूंढने में सहायक होंगे।
- दूसरों की बातों को सुनना
कोई भी बच्चों से मिलता है तो कैसे हो के बाद पढ़ाई कैसी चल रही है यही पूछा जाता है। इससे बच्चों को कहीं न कहीं या पता होता है कि लोग उनकी पढ़ाई के बारे में ध्यान रखते हैं। और साथ ही उनके कक्षा में आए परिणामों का भी। एसी बातों से कई बार विद्यार्थी तनाव में आ जाते हैं। पढ़ाई में मन नहीं लगता कैसे लगाएं, यही सोचते हैं। इस मानसिक तनाव से स्वभाव में चिड़चिड़ापन भी आ जाता है। और यही समस्या पढ़ाई से बच्चों को दूर कर देती है।
- ध्यान भटकना
आज के डिजिटल युग में बच्चे बिना टेलीविजन और फोन के रह नहीं सकते। कोरॉना के समय में ऑनलाइन क्लास में बच्चे पढ़ाई भी फोन से ही करते थे। बाहर खेलने नहीं जा सकते थे तो फोन में ही खेलते थे। खाना खाने के समय भी बच्चों को टेलीविजन या फोन देखना होता था। वही आदत बच्चों में अब तक देखी जाती है। अत्यधिक स्क्रीन टाइम बच्चों को चिड़चिड़ा और जिद्दी बना देती है। और फिर पढ़ाई में मन नहीं लगता। बच्चों की फोन की लत से अभिभावक परेशान हो जाते हैं। फिर बच्चे का पढ़ाई में मन कैसे लगाएं, सोचते हैं।
इसके अलावा दोस्तों से बिना फिजूल की बातें कुछ कम की जा सकती हैं। जो पढ़ाई से संबंधित नहीं अथवा पढ़ने से विचलित करें ऐसी बातों से विद्यार्थी दूर रहें।
- आलस्य आना
अध्ययनरत विद्यार्थियों की यह सबसे बड़ी समस्या है, आलस्य। सुस्ती मनुष्य को न केवल अपने लक्ष्य से दूर कर देता है अपितु अकर्मण्य भी बना देता हैं। आलस्य की समस्या इतनी बढ़ जाती है कि बच्चे पढ़ाई में मन कैसे लगाएं?
आलस्य के एक नहीं अनेक कारण है। इनमें सबसे पहले जो आती है वो है असामान्य दिनचर्या। विद्यार्थी जन पूरा दिन यही सोचते हैं कि रात को पढ़ेंगे। और रात में नींद की झपकियों में सिर्फ नाम मात्र की पढ़ाई कर पाते हैं।
how to concentrate on studies for long hours जैसी सामग्री बच्चे सर्च तो करते हैं। परंतु क्वांटिटी के चक्कर में क्वालिटी की और ध्यान नहीं देते। याने परिमाण को ज्यादा अहमियत देते हैं। और गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देते।
एक और मुख्य कारण है और वो है खान पान। आजकल बच्चे जंक फूड के पीछे पड़े रहते हैं। यानी बाहर का दूषित पानी और सामग्री से बना गरिष्ठ भोजन। हमारा खान पान ही हमारे अंदर की ऊर्जा का निर्माण करता है। भोजन अच्छा तो ऊर्जा सकारात्मक होती है। और अगर भोजन गरिष्ठ है तो ऊर्जा नकारात्मक हो सकती है। हमारी भारतीय सभ्यता में भी विद्यार्थी जीवन में सात्विक भोजन को तवज्जो दी जाती है। और विद्यारत बच्चों के लिए सादा और घर का बना भोजन ही उत्तम रहता है। इससे बुद्धि का विकास होता है और शरीर में पुष्टि आती है। पेट भी साफ रहता है। इससे शरीर और मन में स्फूर्ति रहती है और आलस नहीं आता।
- अतिविश्वास
यह बिंदु पढ़ाई में कैसे मन लगाएं को विस्तारित करता है। कई बार बच्चे पढ़ाई के बाद अतिविश्वास से सराबोर हो जाते हैं। और इसी अतिविश्वास से विद्यार्थी अपनी कमियों को देख नहीं पाते। कई बच्चे इस बात को नहीं समझते की सिर्फ एक बार पढ़ने से सिर्फ पचास से साठ प्रतिशत ही याद रह पाता है। ये आपकी स्मर्णशक्ति पर भी निर्भर करता है।
कई बार अभिभावक या रिश्तेदार अथवा दोस्त ही इसके जिम्मेदार होते हैं। बच्चों की झूटी तारीफ करने से बचें। बच्चों को समझाना की खुद पर विश्वास रखना बहुत जरूरी है। परंतु यह भी समझाना जरूरी है की अतिविश्वास उनके लिए घातक ही सिद्ध होता है। अतिविश्वास कब घमंड बन जाए यह भी सोचने वाली बात है। अतिविश्वास से उपजा परिणाम जब सकारात्मक नही होता तो व्यक्ति अंदर से टूट जाता है।
इन सभी बिंदुओं से कैसे बचें और पढ़ाई में मन कैसे लगाएं? इसके लिए आगे पढ़ें।
निदान–पढ़ाई में मन कैसे लगाएं
अभिभावक सोचते हैं कि बच्चे का पढ़ाई में मन कैसे लगाएं? बच्चे सोचते हैं कि पढ़ाई में मन नहीं लगता कैसे लगाएं? how to concentrate on studies for long hours, बच्चों के लिए इनसे आगे का प्रश्न है। इन सभी का उत्तर हम नीचे विभाजित चरणों में देंगे।
- अपने लक्ष्य के बारे में सोचिए
अगर अपने लक्ष्य के बारे में असमंजस में हैं तो कोई padhai me man kaise lagaye। आपका लक्ष्य ही आपकी आखरी मंजिल होनी चाहिए। आप क्यों पढ़ रहे हैं। आप क्या बनना चाहते हैं। आप किसके लिए ये सब कर रहे हैं। इन प्रश्नों के उत्तर आपको पता होने चाहिए। स्वामी विवेकानंद जी विद्यार्थियों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा स्त्रोत हैं। बच्चे उनके जीवन से बहुत कुछ सीख सकते हैं। विवेकानंद जी एक बार जो किताब पढ़ते थे तो उस किताब का हर अक्षर उन्हे याद रहता था। ये उनकी योगिक जीवनशैली और सरल व्यवहार का नतीजा था। स्वामी जी से युवा जन बहुत कुछ सीख कर अपना जीवन और देश का भविष्य दोनों संवार सकते हैं। स्वामी जी के प्रेरणादाई शब्दों को गहराई से गुनें
“तुम्हे सोते जागते उठते बैठते हमेशा अपने लक्ष्य को ध्यान में रखना चाहिए, तभी तुम्हे सफलता मिलेगी।”
- आपकी दिनचर्या क्या है
क्या आप भी उन बच्चों में से हैं जो बस पूरा दिन “बस पांच मिनट में पढ़ने बैठते हैं” के जुमले को मन में दोहराते रहते हैं। एक विषय पढ़ने बैठे तो सोच रहे हैं “अरे पहले कठिन विषय ही पढ़ लेते हैं”, और फिर उसे छोड़ देते हैं। खाना खाने बैठते हैं तो एक घंटा उसी में बिता देते हैं। ऐसे ही इधर उधर घूम कर अपना समय व्यर्थ करते हैं। अपने दोस्तों से फोन करके पूछते हैं “कितना पढ़ लिया”। सिर्फ यही नहीं समय नष्ट करने के लाखों कारण हैं क्योंकि ऐसे बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता, कैसे लगाएं। पढ़ाई के लिए समय जो नहीं बचता। अपने समय को व्यवस्थित करना सीखें। विद्यार्थी जीवन में ही अगर आप समय प्रबंधन सीख जाएं तो जीवन में कभी मात नहीं खाएंगे। और यह काल तो सीखने का उत्तम समय है।
अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करें। समय पर पढ़ें। समय पर नहाए। समय पर खाना खाएं। इससे आपको खुद को व्यवस्थित करने का समय मिलेगा। मनन करने का समय मिलेगा। हो सके तो कुछ समय निकाल कर ध्यान या योग या साधारण व्यायाम अवश्य करें। इससे आपकी धमनियों में रक्त का सही प्रवाह होगा और आप और भी सक्रिय और जागरूक बनेंगे।
- आपकी प्रेरणा क्या है
पढ़ाई में मन नहीं लगता कैसे लगाएं? क्या मोटिवेशन यानी प्रेरणा इसमें सहायक होगी? तो इसका उत्तर है हां अवश्य। चाहे इतिहास में झांक कर देखें या आज के समय के प्रसिद्ध व्यक्ति। सबके जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा रही है। चाहे प्रेरणादाई कहानियां हों या महान हस्तियों के प्रेरणादाई वचन , ये सभी आपकी सहायता कर सकते हैं। सकारात्मकता को बनाए रखने के लिए ये बहुत जरूरी है की आप इन प्रेरणादाई बातों को अपने हतोत्साहित अवस्था में सुनें या पढ़ें।
बच्चे अपनी पसंद के मोटिवेशनल कोटेशन को अपने कमरे, अलमारी या स्टडी टेबल के पास चिपका सकते हैं। जब भी मन उदास हो या पढ़ाई में मन न लगे तो इनको देख कर पढ़ें। आप फिर से ऊर्जा से भर जाएंगे और पढ़ाई में लग जाएंगे। आप चाहें तो इन लाइनों को खुद लिख कर चिपकाएं। या समय के अभाव में मोटिवेशनल कोटेशन का प्रिंट ले कर चिपका सकते हैं। इससे आप प्रेरित महसूस करेंगे।
- एकाग्रचित हों
अपने मन को एकाग्र करें। दूसरों की बातें न सुनें, उन पर ध्यान न दें। आपके दोस्तों का कितना कोर्स हो गया कि बजाए अपने कोर्स पर ध्यान केंद्रित करें। अगर आप एकाग्र नहीं हो पा रहे और सोच रहे हैं कि पढ़ाई में मन नहीं लगता कैसे लगाएं? तो कुछ देर रुकिए। सोचिए कि आप क्या चाहते हैं। आपकी आज की मेहनत आपके भविष्य को सुधार के जिंदगी संवार देगी। जो इंसान खुद का जीवन संवार लेता है वो ही दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने में सक्षम होता है। देश का आप बच्चे भविष्य हैं। आपके ज्ञान से ही आपका भारत नई ऊंचाइयों को छू पाएगा। भारत देश को ऐसे ही ज्ञान का देश नहीं कहा जाता।
कितने ही भारतीय आज दुनियाभर की बड़ी से बड़ी कंपनियों के डायरेक्टर या सीईओ हैं। अपने ज्ञान के बल से ही। आप भी ऐसा कर सकते हैं। और उसके लिए अपने मन को साधें।
एकाग्रता के लिए आप ध्यान और योग कर सकते हैं। त्राटक या भ्रामरी योग विद्यार्थियों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कोई भी सरलतम योग आपको आपका लक्ष्य हासिल करवा सकता है।
अगर आप योग नहीं कर सकते तो एक और उपाय है। आप जब पढ़ते हैं और एकदम ध्यान भटकने लगे। तो अपनी आंखें बंद करें,अपनी नाक से एक गहरी सांस लें और धीरे धीरे छोड़ दीजिए। आप रिलैक्स महसूस करेंगे।
पढ़ाई में मन कैसे लगाएं जब एकदम मन उचट जाए? अपने बचपन की या दोस्तों या परिवार के साथ की कोई खुशनुमा याद को दोहराएं, याद करें। आपके चेहरे पे मुस्कान आते देर nhi लगेगी। और अच्छा महसूस कर के फिर पढ़ाई में लग जाएं।
ध्यान रखें कि मन के हारे हार है मन के जीते जीत। | (Focus on Study)
- अपना टाइम टेबल बनाइए
विद्यार्थी जीवन में समय का महत्व सबसे अधिक होता है। जो विद्यार्थी सोच रहे हैं कि how to concentrate on studies for long hours? उनके लिए सबसे जरूरी यह बिंदु है।
अपनी दिनचर्या के लिए एक समय सारिणी यानी टाइम टेबल बनाएं। समय सारिणी बनाने के बाद आपके प्रश्न पढ़ाई में मन कैसे लगाएं का उत्तर आपको आसानी से मिल जाएगा। इसे बनाने के लिए इन बातों का विशेष ध्यान रखें –
- सारिणी व्यवहारिक होनी चाहिए
- सारिणी में दैनिक दिनचर्या को न तो बहुत ज्यादा न बहुत कम समय दें।
- पढ़ाई के समय में कुछ अंतराल रखें
- एक दिन में सिर्फ एक ही विषय न रखें
- अलग अलग विषय चुनें, जैसे एक प्रैक्टिकल और एक थियोरिटिकल या जैसे भी आपको उचित लगे।
- रिवाइज यानी दोहराने को उचित समय दें
- सारिणी में खाने का समय निर्धारित करके उसे छोडें नहीं, खाना अवश्य खाएं
- भले ही कम परंतु कुछ समय पाठ्येतर गतिविधियों के लिए भी रखें
- कुछ समय टहले
अंत में
विद्यार्थी जन से यही अनुरोध है कि अपना कीमती समय व्यर्थ ही सोशल मीडिया में न गंवाएं। इसका सदुपयोग करें और पढ़ाई में खूब मन लगाएं। अपने परिवार के साथ कुछ समय बिताएं। आप आत्मविश्वास और दृढ़ बनेंगे। खूब मेहनत करें और निश्चय कर अपनी जीत करें।
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