जान हथेली पर रख सतलुज दरिया पार करने को मजबूर लोग

Flood Victims

प्रशासन की ओर से बाढ़ के समय पर नई किश्ती देने का किया गया था वायदा परंतु नहीं हुआ पूरा: गांववासी | Flood Victims

  • सतलुज दरिया में आई बाढ़ के कारण फसलें बर्बाद हो गई

गुरूहरसहाए(सच कहूँ/विजय हांडा)। पंजाब में बाढ़ के कारण मची तबाही का वह खौफनाक (Flood Victims)  मंजर आज भी बाढ़ पीडितों को डराता है और बाढ़Þ की मार नीचे आए लोगों की आंखों में से आज भी अश्रु धारा बह निकलती है। बाढ़ के कारण प्रभावित किसानों की यदि बात की जाये तो पहले ही आर्थिक मंदहाली का शिकार किसान अपने आँखें आंखों के सामने बाढ़ के कारण बर्बाद हुई फसलों को देख कर सुन हो जाता है। सरकार की ओर से मुआवजे के लिए के लिए निगाह टिकाई बैठे किसान आज भी कहीं न कहीं बुनियादी सुविधाओं के लिए प्रशासन और सरकारें की बेरुखी का शिकार हो रहे हैं। हम बात कर रहे हैं गांव दोनों मत्तड़ (गजनीवाला) और उसके आसपास साथ लगते गांवों के निवासियों और किसानों की, जिनकी सतलुज दरिया में आई बाढ़ के कारण फसलें बर्बाद हो गई और आज भी लोग दरिया पार करते समय पर उस खौफनाक मंजर को याद कर सहम जाते हैं जब बाढ़ का पानी उनके खेत खलियाणों को तबाह कर रहा था।

इस संबंधी जब इन गांवों के निवासियों और किसानों के साथ बातचीत की गई तो उन्होंने बताया से कि बाढ़ के कारण उनकी फसलें लगभग बर्बाद हो चुकी हैं और अन्य जो कुछ फसलें बची हैं उनकी संभाल के लिए हमें दरिया पार कर हर रोज जाना पड़ता है। गांव निवासियों ने बताया कि एक टूटे हुए किश्ती पर हम अपने ट्रैक्टर ट्राली पर थोड़ी बची फसलें व हम खुद और अपने यंत्र रख कर लाते और लेजाते हैं और एक एक टूटी हुई किश्ती पर लोग दरिया पार करते हैं। उन्होंने सरकार व प्रशासन के साथ गिला करते कहा कि बाढ़ के पानी समय पर जिला प्रशासन की ओर से उनको हर संभव मदद देने का भरोसा दिया गया था परंतु आज तक वह वायदा पूरा नहीं किया गया।

बाढ़ पीड़ितों ने मुआवजे के लिए भी लगाई सरकार के पास गुहार | Flood Victims

गांव निवासियों ने कहा कि वह टूटी हुई किश्ती के द्वारा जान हथेली पर रखकर दरिया पार करते हैं और हर वक्त किश्ती के डूबने का डर मन में बना रहता है। उन्होंने कहा कि नयी किश्ती संबंधी हमारे गांव के नेताओं और सदस्यों की तरफ से जिला प्रशासन के पास कई बार गुहार लगाई जा चुकी है परंतु आज तक हमें नई किश्ती नसीब नहीं हुई। उन्होंने कहा कि हमें न तो आज तक मुआवजे मिला और न ही दोबारा हमारी किसी अधिकारी जा राजनीतिक नेता की तरफ से हमारी संभाल की गई। उन्होंने कहा कि किसान पहले ही आर्थिक पक्ष से कमजोर और ऊपर से बाढ़ के कारण हुई तबाही ने किसानों का कमर तोड़ कर रख दी है। उन्होंने सरकार और प्रशासन से मांग करते कहा कि उनको जल्द से जल्द मुआवजा और दरिया पार करने के लिए नई किश्ती मुहैया करवाई जाये, जिससे हम बिना डर भय के दरिया पार कर अपनी खेती कर सकें।

सरकार और प्रशासन को चाहिए वह जल्द दें नई किश्ती : गांवों के सरपंच

  • इस मामले संबंधी जब सतलुज दरिया के साथ लगते बार्डर पट्टी पर बसे गांवों के सरपंचों के साथ बातचीत की गई
  • तो गांव दोना मत्तड़ घाटी के सरपंच गुरमेज सिंह, गाँव झंडियां वाले घो के सरपंच मलकीत सिंह
  • दोनों मत्तड़ के सरपंच हरजिन्दर सिंह ने कहा कि बाढ़ के पानी कारण हुई तबाही के साथ
  • किसानों की स्थिति पहले ही डावांडोल हुई पड़ी है। उन्होंने कहा दरिया पार करने के लिए लोग टूटी हुई किश्ती का इस्तेमाल कर रहे हैं
  • जबकि बाढ़ के समय पर प्रशासन की ओर से नई किश्ती देने की बात कही गई थी।
  • उन्होंने सरकार व प्रशासन से अपील करते कहा कि नई किश्ती जल्द दी जाए,
  • जिससे लोग बिना किसी डर के सतलुज दरिया पार कर अपनी खेती कर सकें।

लोगों को जल्द ही दरिया पार करने के लिए उपलब्ध करवाई जाएगी नई किश्ती : एसडीएम

इस मामले संबंधी जब गुरूहरसहाए उप मंडल के एसडीएम कुलदीप बावा के साथ बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि दोना मत्तड़ के किसानों की मांग पर नई किश्ती की फायल जिला प्रशासन और सरकार को भेजी हुई है और जल्द ही इन गांवों के निवासियों को नई नाव मिल जाएगी।

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