दीपं ज्योति परम ज्योति, दीप ज्योतिर्जनार्दन:। दीपो हरतु मे पापम, दीपज्योतिर्नमोस्तुते।।
शुभम करोति कल्याणम आरोग्यम धन सम्पदा शत्रुबुद्धि विनाशाय दीपज्योति नमोस्तुते।।
सरसा (सच कहूँ न्यूज)। दीपक जलाने से रोग मुक्त होते हैं, वातावरण स्वच्छ होता है, हवा हल्की होती है। ऐसा केवल हमारा प्राचीन ज्ञान ही नहीं, देश के श्रेष्ठ विज्ञान संस्थानों के केमिकल इंजीनियरों का भी यही कहना है। इनका कहना है कि सरसों के तेल में मैग्नीशियम, ट्राइग्लिसराइड और एलाइल आइसो थायोसाइनेट होता है। एलाइल जलने पर कीट-पतंगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। वे लौ की चपेट में आकर जल जाते हैं। तेल में मौजूद मैग्नीशियम हवा में मौजूद सल्फर और कार्बन के आक्साइड के साथ क्रिया कर सल्फेट और काबोर्नेट बना लेता है।
यह विषैले भारी तत्व इस तरह जमीन पर आ गिरते हैं। इसीलिए जले दीपक के आसपास हल्की सफेद राख सी दिखती है। भारी तत्व जमीन पर आने से हवा हल्की हो जाती है और सांस लेना आसान हो जाता है। यही घी का दीपक जलाने पर होता है। देसी गाय के दूध से निर्मित घी का दीपक रोगाणुओं को मारता है। डॉक्टरों का मानना है कि वातावरण साफ और खुशनुमा रहने से इम्यून सिस्टम बेहतर रहता है और व्यक्ति निरोगी रहता है। अगर त्यौहारो की बात करें तो नरक चतुर्दशी के दिन कूड़े के ढेर और नाली के मुहाने पर और दिवाली पर घर के अंदर-बाहर हर जगह दीपक रखा जाता है।
वही पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के आह्वान पर ‘सुबह-शाम’ घरों मे दीयों का प्रकाश फैलाने को डेरा श्रद्धालु उसी तरह आतुर हो उठे हैं कि मानो दिवाली मनाने जा रहे हों। पूज्य गुरु जी का एक आह्वान करोड़ों डेरा अनुयायियों के लिए क्या मायने रखता है, यह दुनिया देख और सुन चुकी है। अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, जम्मू और कश्मीर, पश्चिमी बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, ओड़िशा, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु और पड़ोसी देश नेपाल में कैसे डेरा श्रद्धालु अपने-अपने घरों में सुबह-शाम दीये जला रहे हैं, देखिए सच कहूँ की विशेष रिपोर्ट—
हिमाचल प्रदेश
उत्तराखंड
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि पुरातन समय में हवन सामग्री या घी द्वारा वातावरण शुद्ध किया जाता था। हमारी उस महान संस्कृति को अपनाते हुए, अपने घरों में कम से कम एक या एक साथ 17 तेल के या घी के आप दीये जलाए सुबह-सुबह, शाम को, जितना देर जला सके, ताकि पूरा वातावरण शुद्ध हो सके। इस अवसर पर करोड़ों में बैठी साध-संगत ने हाथ खड़े करके प्रण लिया। पूज्य गुरु जी ने अपने पावन कर कमलों से 9 दीये जला के शुरूआत की। आपको बता दें कि तीन दीपक शाह मस्ताना जी धाम सिरसा में, तीन यूपी दरबार और तीन दीपक शाह सतनाम जी धाम, सिरसा में स्थापित किए जाएँगे और जोत हमेशा प्रज्वलित रहेगी।
मानवता भलाई कार्य
छत्तीसगढ़
झारखण्ड
वैज्ञानिकों ने भी माना दीये जलाने से होत है वातावरण साफ
दीपक जलाने से हवा हल्की और साफ होगी। दीपक जलाने से नमी भी बढ़ती है। अधिक संख्या में जलाने पर वातावरण का तापमान बढ़ता है। दीपक जलाने से वह हल्की और साफ होगी।
-प्रो. आरके त्रिवेदी, सेनि विभागाध्यक्ष, आॅयल एंड पेंट टेक्नालॉजी, एचबीटीयू कानपुर
जम्मू और कश्मीर –
पश्चिमी बंगाल
गुजरात
ओड़िशा
कर्नाटक
पूज्य गुरु जी क़ी पावन शिक्षा से पुरातन धरोहर को अपनाना
पूज्य गुरूजी ने कार्तिक पूर्णिमा, 8 नवंबर 2022 को एक नई पुरातन सभ्यता क़ी ऐतिहासिक पहल क़ी,
सत्संग में ही स्वयं दिए जलाकर सारी कायनात को इसे आगे बढ़ाने क़ी सौगात दी।
पुरातन संस्कृति के तहत FLAME के नाम से ये पावन मुहिम परवान क़ी,
सुबह – शाम घी या तेल के दीए अपने अपने घरों में जलाने क़ी पावन शिक्षा प्रदान क़ी।
पूज्य गुरूजी क़ी ये पावन मुहिम हमारे वातावरण व वायु को शुद्ध बना रही है
साथ ही हमारे इर्द गिर्द वायु में व्याप्त बैक्टीरिया वायरस को दूर भगा रही है।
लगभग 7 करोड़ लोग इसे अपनाकर पुरातन संस्कृति को अंगीकार कर रहे हैं
पूज्य गुरु जी क़ी पावन दया मेहर से वातावरण के संरक्षण में आगे बढ़ रहे हैं।
पौराणिक संस्कृति क़ी इस धरोहर को सभी अपनाओ जी,
वातावरण को शुद्ध बनाने में अपना योगदान लगाओ जी,
आगे आने वाली पीढियों लिए खुशहाली लाओ जी,
सुबह सवेरे व शाम को घर घर में दीप जलाओ जी।
बृजेश कुमार इन्सां,
ब्लॉक भंगीदास, रुड़की, उतराखंड
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