पांच साल की सीबीआई जांच व पंजाब पुलिस की जांच में कहीं नहीं आया पूज्य गुरू जी का नाम

Conspiracy Against Dera Sacha Sauda

एसआईटी की दो दिनों की जांच में पूज्य गुरू जी व डेरा श्रद्धालुओं पर दोष लगाना सवालोें के घेरे में 

चंडीगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। पंजाब में पवित्र श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी की बेअदबी के मामलों में सीबीआई जांच कर रही है जो डेरा श्रद्धालुओं के बेगुनाह होने की रिपोर्ट माननीय सीबीआई अदालत मोहाली में पेश कर चुकी है। इस मामले में पंजाब पुलिस की स्पैशल जांच टीम (एसआईटी) की ओर से मामले की अलग जांच करने का कोई अधिकार नहीं है। उपरोक्त शब्द डेरा श्रद्धालुओं के एडवोकेट विवेक कुमार, एडवोकेट केवल बराड़ व पंजाब स्टेट कमेटी मैंबर हरचरण सिंह ने आज यहां प्रैस क्लब में पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए कहे।

पुलिस ने बेकसूर डेरा श्रद्धालुओं पर की जुल्म की इंतेहा

एडवोकेट विवेक कुमार ने कहा कि सीबीआई पिछले पांच साल से 2015 में पंजाब के जिला फरीदकोट के बरगाड़ी क्षेत्र के गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला में श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी की पवित्र बीड़ की चोरी, बरगाड़ी में बेअदबी के पोस्टर लगाने व श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के अंग बिखेरने सहित तीनों मामलों की जांच कर रही थी। एडवोकेट ने कहा कि पंजाब पुलिस ने महेन्द्र पाल बिट्टू, शक्ति सिंह, सुखजिन्द्र सिंह सन्नी को बेअदबी की घटनाओं के मामले में कभी भी गिरफ्तार किया ही नहीं था। पुलिस ने 2018 में इन व्यक्तियों को मोगा व समालसर थाने में दर्ज बसें जलाने के मामले में गिरफ्तार कर इन पर थर्ड डिग्री से भी अधिक जुल्म किया। बसें जलाने के मामले की जांच कर रही पुलिस ने बेरहमी की हदें पार कर महेन्द्रपाल बिट्टू से बेअदबी के मामलों में 164 के तहत बयान दर्ज करवा लिए। इससे स्पष्ट है कि पुलिस किसी मनघंड़त कहानी रचने में जुटी हुई थी।
उधर सीबीआई ने महेन्द्र पाल बिट्टू, शक्ति सिंह व सुखजिन्द्र सिंह सन्नी को पंजाब पुलिस की हिरासत से प्रोडेक्शन वारंट पर लाकर इस मामले में लम्बी जांच की व मामले के हर पहलू को बारीकी से परखा। एजेंसी ने क्षेत्र की पंचायतों के बयान दर्ज करने के साथ-साथ महेन्द्र पाल बिट्टू सहित कई डेरा श्रद्धालुओं के फिंगर प्रिंट, पोलीग्राफ टैस्ट, लाई डिटैक्टर टैस्ट व ब्रेन मैपिंग सहित हर तरह की वैज्ञानिक जांच की। इसके अलावा इस मामले में गवाहों(गुरूद्वारा साहिब के ग्रन्थी)की भी यही जांच की।
दोनों पक्षों की तमाम वैज्ञानिक जांचों में भी डेरा श्रद्धालुओं का लेशमात्र भी हाथ नजर नहीं आया। आखिर सीबीआई ने 2019 में माननीय सीबीआई अदालत मोहाली में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर डेरा श्रद्धालुओं की बेगुनाही पर मोहर लगाई।  एडवोकेट केवल बराड़ ने कहा कि जब तक सीबीआई जांच कर रही है। तब तक कोई भी अन्य एजेंसी बराबर किसी भी मामले की जांच नहीं कर सकती। देश के कानून के मुताबिक दो जांच एजेंसियों की एक साथ जांच किसी भी तरह से जायज नहीं है। उन्होंने कहा कि पुलिस की नीयत उस समय संदिग्ध बन जाती है, जब बेअदबी जैसे इस बडेÞ मामले की जांच केवल दो दिनों में ही निपटा कर सीबीआई चालान भी पेश कर देती है।
Conspiracy Against Dera Sacha Sauda
पांच सालों की जांच में पूज्य गुरू जी का नाम कहीं भी नहीं आया, लेकिन पंजाब पुलिस दो दिनों में पूज्य गुरू जी का नाम भी जोड़ देती है। जिससे पंजाब पुलिस की मंशा स्पष्ट हो जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई की ओर से पेश की गई क्लोजर रिपोर्ट पर मोहाली कोर्ट का अभी तक कोई फैसला नहीं आया है। इसलिए सीबीआई की जांच वापिस लेने का ‘एसआईटी’ के पास कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले का सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है, जिसमें हाईकोर्ट ने मामले की जांच एसआईटी को सौंपने के लिए कहा था, जो सुप्रीम कोर्ट में अभी विचाराधीन है।
पंजाब स्टेट कमेटी मैंबर हरचरण सिंह ने कहा कि एसआईटी की ओर से बिना अदालत की स्वीकृति के अचानक बेअदबी मामलों की जांच करना, पहले ही जमानत ले चुके दो डेरा श्रद्धालुओं को गिरफ्तार करना व 5 सालों बाद अचानक पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का नाम मामले में जोड़ना कई सारे सवाल खड़े करता है। उन्होंने कहा कि डेरा सच्चा सौदा, पूज्य गुरू जी व साध-संगत सभी धर्मों का सत्कार करती है व पूज्य गुरू जी साध-संगत को हमेशा पवित्र श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी व सभी धर्मों के पवित्र ग्रन्थों का सत्कार करने की शिक्षा देते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि डेरा सच्चा सौदा का मुख्य उद्देश्य मानवता भलाई के कार्य करना है। आज भी साध-संगत कोरोना महामारी के दौरान देश भर में बड़े स्तर पर रक्तदान कैंप व अन्य मानवता भलाई के कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि हमें माननीय अदालत पर पूरा भरोसा है व सच की एक दिन जीत जरूर होगी।

सीबीआई और एसआईटी की जांच में बड़े अंतर

बेअदबी मामले के इकबालिया ब्यानों, चोरी में उपयोग की गई गाड़ियों के तथ्यों पर सीबीआई और एसआईटी की जांच में बड़ा अंतर है। सीबीआई ने जहां गाड़ी की खरीद संबंधी सभी पहलुआें पर जांच की वहीं एसआईटी ने केवल गाड़ी कब्जे में ले ली और उसकी जांच नहीं की। जबकि जिस आल्टो कार का जिक्र मामले में हुआ वह आरोपित शक्ति सिंह ने 28.8.2016 को खरीदी, जबकि बेअदबी का मामला ही वर्ष 2015 का है। वहीं एक इंडिगो गाड़ी जिसका इस मामले में जिक्र उसकी भी जांच सीबीआई ने की और जांच में पाया कि यह गाड़ी 2017 में खरीदी गई। जबकि एसआईटी ने इस मामले में कोई जांच नहीं की, केवल गाड़ी कब्जे में ले ली।
जबकि सीबीआई की जांच में साफ है कि दोनों गाड़ियां 2015 बेअदबी कांड के बाद खरीदी गई। वहीं इस मामले में आरोपित सनी पर पोस्टर लिखने का आरोप लगाया गया। सीबीआई ने इस पहलु पर जांच की और पाया कि पोस्टर की लिखाई और सनी की लिखाई में कोई मिलान नहीं है। एसआईटी ने यहां भी गड़बड़ की और राइटिंग की जांच ही नहीं की। वहीं पोस्टर चिपकाने का आरोप भी सनी और भोला पर लगा जबकि सीबीआई ने जांच में पाया पोस्टर पर लगे फिंगर प्रिंट्स और सनी और भोला के फिंगर प्रिंट्स में कोई मैच नहीं है, दोनो अलग-अलग हैं। जबकि एसआईटी ने पोस्टर के फिंगर प्रिंट्स तो लिए परंतु सनी और भोला के फिंगर प्रिंट्स मैच ही नहीं करवाए।
इस मामले में सबसे बड़ी बात यह भी रही सीबीआई ने सभी आरोपितों के लाई डिटैक्टर टैस्ट फिंगर प्रिंट, ब्रेन मैपिंग करवाए, जिसमें सभी आरोपी बेकसूर पाए गए और सीबीआई ने साफ किया कि इस मामले में डेरा श्रद्धालुओं का कोई लेना-देना नहीं है। जबकि पंजाब पुलिस की एसआईटी ने ऐसी कोई भी वैज्ञानिक जांच नहीं की। इसी के साथ मोबाइल रिकॉर्ड का पूरा डंप सीबीआई ने खंगाला और डेरा श्रद्धालुओं की लोकेशन इस घटना में नहीं मिली।
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