G20 Summit : पिछले सप्ताह दिल्ली में आयोजित जी 20 शिखर सम्मेलन पूर्णत: सफल रहा। विदेशों से प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम को इस सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए बधाई दे रहे हैं और भारतीय टिप्पणीकार इस वैश्विक शिखर सम्मेलन के आयोजन से भारत को होने वाले लाभों को गिना रहे हैं। G20 Summit
इस शिखर सम्मेलन की सफलता का मापन करने के लिए अनेक मानदंडों का उपयोग किया जा सकता है जैसा कि ऐतिहासिक पहल जिसमें अफ्रीकी यूनियन को जी 20 में शामिल कर इसे जी 21 बनाना, जैव ईंधन एलाइंस और सम्मेलन में भाग ले रहे नेताओं द्वारा आम सहमति से घोषणा पत्र जारी करना, सम्मेलन के दौरान अनेक द्विपक्षीय बैठकें और बहुपक्षीयता पर बल देना। तथापि जी 20 में भारत की सबसे बड़ी सफलता अफ्रीकी संघ को जी 20 में शामिल करना है और इसके दो प्रमुख कारण हैं।
पहला, नई दिल्ली में वैश्विक राजनीति का पुनर्गठन किया गया। उत्तर का प्रतिनिधित्व करने वाला यूरोपीय संघ और दक्षिण का प्रतिनिधित्व करने वाला अफ्रीकी संघ एक ही मेज पर बैठ कर विश्व के मुद्दों पर चर्चा और उनका निर्णय कर रहे थे। दूसरा, ग्लोबल साउथ की आवाज अफ्रीकी संघ के 55 देशों के माध्यम से सुनने को मिली और इसे औपचारिक रूप से जी 20 का सदस्य बनाया गया।
जी 20 के दिल्ली शिखर सम्मेलन की अन्य उपलब्धियां भी हैं। हालांकि इस शिखर सम्मेलन को सफल बनाने में अन्य देशों का सहयोग और योगदान भी रहा है। तथापि इस शिखर सम्मेलन के दौरान वार्ता और नेतृत्व कौशल के लिए पूर्ण श्रेय इसके अध्यक्ष भारत को दिया जाता है। भारत नवंबर 2022 से जी 20 की अध्यक्षता कर रहा है और उसने देश के विभिन्न भागों में इस संबंध में 200 से अधिक बैठकें की जिसमें एक लाख से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
मोदी द्वारा नवंबर में इस संबंध में एक वर्चुअल रिपलेशन मीट का प्रस्ताव भी किया गया। विश्व के भविष्य के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रयुक्त पांच सिद्धान्तों के माध्यम से इस शिखर सम्मेलन और उससे परे देखने का प्रयास किया गया। मोदी राष्ट्रीय और वैश्विक राजनीति में रणनीतियों के निर्माण और विद्यमान प्रवृतियों के लिए शब्द निर्माण में माहिर हैं।
अपने उद्घाटन भाषण में मोदी ने विश्व में व्याप्त विश्वास के अभाव पर चर्चा की और कहा कि इसे समाप्त किया जाना चाहिए और इसके लिए उन्होंने चार लोकप्रिय नारों पर आधारित राष्ट्रीय रणनीति को अपनाने का आह्वान किया जो सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास और सबका विश्वास है और उन्होंने सबका विश्वास को वैश्विक विश्वास की पुनर्स्थापना से जोड़ा।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मोदी ने वैश्विक भविष्य के निर्माण के लिए 5डी गढेÞ। आपको ध्यान होगा कि इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य कथन एक परिवार, एक धरती, एक भविष्य है और जो 5डी इस सम्मेलन के दौरान मोदी ने गढे वे हैं – डेमोक्रेसी, डेमोग्राफी, डेवलपमेंट, डायलॉग और डिप्लोमैसी। जी 20 के नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में मोदी ने वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए इन पांच सिद्धान्तों को बढावा देने पर बल दिया। जी 20 की अध्यक्षता के रूप में भारत के प्रदर्शन पर विचार करना आवश्यक है जिसका समापन जी 20 शिखर सम्मेलन के रूप में हुआ है। G20 Summit
वर्तमान में जी 20 विश्व में सबसे बडा मंच है क्योंG20 Summit कि संयुक्त राष्ट्र संघ पर पांच परमाणु शक्तियों के नियंत्रण और विश्व के मुद्दों पर किसी भी निर्णय लेने में किसी एक सदस्य द्वारा वीटो का स्वेच्छाचारी ढंग से प्रयोग करने के कारण संयुक्त राष्ट्र संघ अप्रभावी हो रहा है। तथापि जी 20 शिखर सम्मेलन में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धान्त वार्ता है।
स्पष्ट है कि विगत एक वर्ष के दौरान भारत ने वार्ता और कूटनीति के मामले में अच्छा प्रदर्शन किया है। मतभेदों के शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए वार्ता आवश्यक है। भारत वार्ता और कूटनीति पर बल दे रहा है कि ये दोनों चीजें साथ साथ चलनी चाहिए और यूक्रेन युद्ध की समाप्ति के लिए भी इनका प्रयोग किया जाना चाहिए।
मोदी ने अनेक बार कहा है कि अब युद्ध का समय नहंी रह गया है। हमें वार्ता और कूटनीति का सहारा लेना चाहिए। एक पुरानी कहावत है कि सभी युद्ध कूटनीति की विफलता का प्रतिनिधित्व करते हैं। कुछ तर्क कर सकते हैं कि जब कोई युद्ध के लिए आतुर हो तो उससे वार्ता की अपेक्षा करना हास्यास्पद है। किंतु दूसरी ओर नरेन्द्र मोदी ने कूटनीति का पूर्ण उपयोग किया। नई दिल्ली में शिखर सम्मेलन के आरंभ से एक दिन पूर्व वे आधे दिन के दौरे पर आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए गए। G20 Summit
इन शिखर सम्मेलनों में उनकी उपस्थिति इस बात का द्योतक है कि भारत इन शिखर सम्मेलनों को कितना महत्व देता है और इसके लिए उन्हें नई दिल्ली में आयोजित किए जा रहे जी 20 के लिए नेताओं की सद्भावना प्राप्त है। दूसरा, भारतीय वार्ताकार दल ने समझौतों और घोषणाओं के लिए एक अलग अलग वार्ता की।
अफ्रीकी यूनियन को जी 20 में शामिल करने के प्रस्ताव का कोई भी देश सक्रिय रूप से इसका विरोध नहीं कर रहा था किंतु किसी ने भी इस दिशा में अग्रलक्षी कदम नहंी उठाए। भारत ने ऐसा किया। मोदी ने जी 20 के नेताओं को शिखर सम्मेलन से बहुत पहले लिखा कि क्या किसी को अफ्रीकी यूनियन को जी 20 में एक स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने पर कोई आपत्ति है और इस तरह उन्हें इन नेताओं की सहमति प्राप्त हुई।
इसी तरह ब्लैक सी ग्रेन कॉरीडोर को पुन: शुरू करने, खाद्य सुरक्षा, डीपीआई, एसपीजी, बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार, ग्लोबल साउथ के लिए राजनीतिक स्थान आदि मुद्दों पर कदम दर कदम सहमति बनायी गई। शेरपाओं और संबंधित मंत्रियों ने इस संबंध में वार्ता की और जहां आवश्यक हुआ वहां प्रधानमंत्री ने मार्गदर्शन दिया। विकास एक सतत् चलने वाली प्रक्रिया है और यह एक सापेक्ष अवधारणा है। कुछ देश अन्य देशों की तुलना में कम विकसित है और विकास का अलग अलग अर्थ भी है। कुछ देश इसका मापन सकल घरेलू उत्पादन से करते हैं तो कुछ देश सकल घरेलू खुशहाली से करते हैं। G20 Summit
मोदी ने विकास के मापन के लिए सकल घरेलू उत्पाद के स्थान पर मानव केन्द्रित दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि महामारी ने हमें इस बदलाव के लिए मजबूर किया है तथापि विकास कुछ वैश्विक सिद्धान्तों पर आधारित होना चाहिए और वे हैं साझेदारी, समावेशी, न्यापूर्ण और सार्वभौमिक। जनांकिकी विकास और आर्थिक समृद्धि में एक महत्वपूर्ण कारक बन गया है। चीन की चमत्कारी आर्थिक वृद्धि का श्रेय उसके सस्ते श्रम को दिया जाता है किंतु जनांकिकी बदल गई है। चीन में अब जनसंख्या उम्रदराज हो गई है और उसकी श्रम लागत बढ रही है। G20 Summit
दूसरी ओर भारत में लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या कार्य करने की उम्र में है। तथापि अपने जनांकिकीय लाभों का दोहन करने के लिए भारत के लिए आवश्यक है कि वह अपनी श्रम शक्ति को आधुनिक अर्थव्यवस्था के अनुकूल समुचित कौशल प्रशिक्षण दे। किसी भी देश में जनांकिकी को उचित अवसर और गरिमापूर्ण कार्य दशाओं के माध्यम से उत्पादक बनाया जाना चाहिए। ये सभी चार सिद्धान्त पांचवें सिद्धान्त अर्थात लोकतंत्र से जुड़े हुए हैं।
जी 20 से इतर जी 7 में सभी औद्योगिक लोकतांत्रिक देश शामिल हैं। चीन की आर्थिक विकास ने कुछ देशों को भ्रमित कर दिया है कि क्या चीन का मॉडल संपदा निर्माण के अनुकूल है। किंतु यह सच्चाई से परे है। किंतु चीनी अर्थव्यवस्था के बिना पश्चिमी देश भी कठोर विनियमों के साथ सस्ते श्रम की तलाश कर रहे हैं। अब जब चीन पश्चिमी सर्वोच्चता को चुनौती दे रहा है तो अब वे भारत और अन्य लोकतंत्रों की ओर मूड़ रहे हैं।
स्थिरता, शांति और समृद्धि के लिए लोकतंत्र अपरिहार्य है। अंतत: मैं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की टिप्पणी को उद्घत करना चाहता हूं ‘मैं भारत के भविष्य के लिए चिंतित नहीं हूं अपितु आशावादी हूं क्योंकि यह विश्व मंच पर सही मार्ग पर आगे बढ रहा है। किंतु भारत तभी समृद्ध होगा जब यहां पर सौहार्दपूर्ण समाज बना रहेगा।’ नि:संदेह किसी भी देश की विदेश नीति और उसकी अंतर्राष्ट्रीय छवि उसकी सीमाओं के भीतर उसके भूभाग में जो कुछ भी हो रहा है उसको परिलक्षित करता है। आशा की जाती है कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम इस जमीनी वास्तविकता से परिचित होंगे। G20 Summit
डॉ. डीके गिरी,वरिष्ठ लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार
(यह लेखक के अपने विचार हैं)
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