पराली बेचने के लिए आए किसान भी इस प्रयास से काफी खुश | Straw Purchase Center
लुधियाना/रायकोट(सच कहूँ/राम गोपाल रायकोटी)। पर्यावरण बचाने के लिए प्रयत्नशील संस्था (Straw Purchase Center) ‘गदरी बाबा दूल्हा ज्ञानी नेहाल सिंह फाउंडेशन गांव जलालदीवाल के डायरैक्टर डॉ. हरमिन्दर सिंह सिद्धू, जिनके प्रयासों से करीबी गांव नूरपुरा नजदीक राज्य का पहला पराली खरीद केंद्र शुरू किया गया है और इस केंद्र पर क्षेत्र के किसान बड़ी संख्या में धान की पराली बेचने के लिए आ रहे हैं। संस्था की ओर से पर्यावरण बचाने के लिए शुरू की मुहिम के अंतर्गत किए गए ऐसे अनौखे प्रयासों का जायजा लेने के लिए एसडीएम डॉ. हिमांशु गुप्ता व ब्लॉक कृषि अधिकारी डॉ. हरमिन्दर सिंह छीना विशेष तौर पर इस पराली खरीद केंद्र पर पहुंचे और संस्था की ओर से किए गए इस प्रयास की प्रशंसा करते हुए इसे व्यापक स्तर पर लागू करने संबंधी विचार-विमर्श किया।
पराली न जलाने संबंधी किसानों को किया जा रहा जागरूक
संस्था के डॉयरैक्टर डॉ. हरमिन्दर सिंह सिद्धू ने बताया कि उनकी संस्था सरकार व अन्य विभागों के साथ मिलकर क्षेत्र में किसानों को पराली न जलाने संबंधी जागरूक कर रहे हैं और वह अपने इस उद्देश्य में काफी हद तक कामयाब भी रहे हैं। डॉ. सिद्धू ने बताया कि वह खुद भी एक किसान हैं और अपनी इस मुहिम के अंतर्गत वह हर रोज कई किसानों से मुलाकात करते हैं, उन्होंने बताया कि किसानों की ओर से पराली जलाने का मुख्य कारण पराली की संभाल में होने वाला महंगा खर्चा है।
उन्होंने बताया कि किसानों की इस समस्या को ध्यान में रखते हुए उनकी तरफ से राजस्थान की एक समाजसेवी संस्था के साथ बातचीत की गई, जो कि किसानों के पास से पराली लेने से उनको पराली का उचित मूल्य भी देने के लिए तैयार थी। उन्होंने बताया कि संस्था की ओर से किसानों को 40 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से मौके पर ही नगद अदायगी की जाती है, इसलिए किसानों को बस अपने खेतों में पड़ी पराली को 20 -22 किलो की गांठ बना कर खरीद सैंटर तक लाना होगा।
किसानों की पराली जलाने की चिंता हुई खत्म
- पराली बेचने आए गांव गोंदवाल के किसान रछपाल सिंह ने बताया कि वह 25 एकड़ की कृषि करता है
- और धान की कटाई के बाद उसने सारी पराली खरीद केंद्र पर बेची है,
- जिससे जहां उसकी खेतों में पराली संभालने की लागत में भारी कमी आई है
- वहां आगे वाली फसल के लिए उसके खेत भी जल्दी तैयार हो जाएंगे।
- किसान अवतार सिंह ने बताया कि उस ने 30 एकड़ में धान की फसल की बिजाई की थी,
- जिसकी पराली उस ने यहां बेची है, इससे जहां पराली बेचकर पैसे मिले हैं
- वहीं आग न लगाने के कारण जमीन की उपजाऊ शक्ति भी बरकरार रहेगी।
- गांव बुर्ज हरी सिंह के किसान सन्दीप सिंह ने बताया कि वह 12 एकड़ की कृषि करता है
- और यहां अपनी धान की पराली बेचने के लिए आया है,
- उसने बताया कि पहले जहां उनको धान की कटाई के बाद पराली संभालने की चिंता रहती थी,
- लेकिन अब वह पराली संभालने से चिंतामुक्त है और पराली बेच कर उसे आर्थिक सहायता भी मिल जाएगी।
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