बरनावा। (सच कहूँ न्यूज) पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने रविवार को शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा से राजस्थान के पावन एमएसजी भंडारे के शुभ अवसर पर आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से फरमाया कि धर्मों में लिखा है कि आपसी बहसबाजी नहीं करनी, झगड़े नहीं करने, दूसरे को बुरा नहीं कहना। हैरानी होती है कि जब धर्मों में इतनी बढ़िया-बढ़िया बातें लिखी हैं, आज समाज किधर को जा रहा है भाई, किस ओर जा रहा है। मैं सही हूँ बाकी सारे बुरे हैं। मेरा धर्म सही है बाकी सबका गलत हैं।
कहां, किधर, लिखी है ये चीज, कि दूसरों की निंदा करो, हर धर्म रोकता है, हर धर्म बोलता है। लेकिन इन्सान अमल नहीं करता, अमल करो। और धर्म में क्या लिखा है, ‘बिन अमलों के आलमा इल्म निकम्मे सारे’ जब तक अमल नहीं करते, जब तक ज्ञान योगी नहीं बनते, कर्म करने का फायदा नहीं। कैसे? आप सोचते हैं कि कर्म करने से सब कुछ मिल सकता है, जी नहीं, आज की सीधी भाषा में कर्म का मतलब है कार्य करना। तो कार्य आप गलत भी कर सकते हैं। आप कसाई बनकर बकरे काट रहे हैं। कहते हैं मैं तो कर्म कर रहा हूँ। आप ठग्गी, चोरी, बेईमानी कर रहे हैं, आप कहते हैं कि ये भी तो एक काम है, मैं तो कर्म कर रहा हूँ। पर आपको तो ज्ञान नहीं है कि उसका असर क्या होगा? तो ज्ञान योगी होना पहले जरूरी है, फिर कर्मयोगी बनिए, ये कहते हैं हमारे धर्म।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि पहले अल्लाह की इबादत करो और फिर हक-हलाल की रोजी रोटी खाओ। पहले वाहेगुरु को याद करो, फिर दसां नहुआं दी किरत कमाई (मेहनत की) खाओ। पहले गॉड्स प्रेयर करो, फिर हार्ड वर्क करो, ये कहते हैं हमारे धर्म। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कितनी भक्ति करते हो भाई? कितनी इबादत करते हो? इबादत करोगे, भक्ति करोगे, राम का नाम जपोगे, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, ख़ुदा, रब्ब को याद करोगे, तभी तो ज्ञान आएगा। तभी तो अच्छे, बुरे की पहचान होगी। तभी तो अच्छे कर्म कर पाओगे। तो ज्ञान योगी और कर्मयोगी हर धर्म में लाजमी है।
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