आज देश भर में सड़कों पर उतरेंगे किसान
(Agricultural Bill protest)
चंडीगढ़ (सच कहूँ डेस्क)। कृषि बिल के विरोध में पिछले कई दिनों से किसान सड़कों पर उतर गया है। बिल के विरोध में 31 किसान संगठन है। आज पूरे भारत में किसान संगठनों ने देश भर में चक्का जाम करने का ऐलान किया है। पंजाब में किसान रेलवे ट्रक पर डेरा जमाए हुए है। यह आंदोलन 10 बजे से 4 बजे तक होगा। इस बिल का वैसे ज्यादा असर हरियाणा-पंजाब में देखने को मिल रहा है। प्रशासन ने 35 रेल गाड़ियां 2 दिनों के लिए रद्द कर दी है। किसानों को आशंका है कि इस बिल से एमएसपी खत्म हो जाएगा परंतु प्रधानमंत्री से लेकर कृषि मंत्री तक सभी ने कहा कि एमएसपी खत्म नहीं होगा। आईयें जानते हैं कि ऐसा इस बिल में क्या है जो किसानों को सड़कों पर उतरना पड़ा।
तीन विधेयक जिस पर है विवाद
1. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020
2. मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता
3. कृषि सेवा विधेयक 2020
ये हैं किसानों को डर…
1. किसानों को डर है कि नए कानून के बाद एमएसपी पर खरीद नहीं होगी। बिल में इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है कि मंडी के बाहर जो खरीद होगी वह एमएसपी से नीचे के भाव पर नहीं होगी।
2. सरकार एमएसपी का जुबानी आश्वासन दे रही है जबकि एमएसपी पर खरीदने की गारंटी विधेयक में नहीं दे रही।
3. विपक्ष कहना है कि कंपनियां धीरे-धीरे मंडियों पर हावी हो जाएंगी और फिर मंडी सिस्टम खत्म हो जाएगा। इससे किसान कंपनियों के सीधे पंजे में आ जाएंगे और उनका शोषण होगा।
4. किसानों को डर है कि बिल से मल्टीनैशनल्स का कब्जा हो जाएगा। जैसे जियो ने अपना कॉम्प्टीशन खत्म किया और फिर रेट बढ़ा दिए, ऐसे ही किसानों को लगता है कि एक बार अनाज खरीद बाजार पर मल्टीनैशनल का कब्जा होने के बाद वे उनका शोषण करेंगे।
5. आढ़तियों और मंडी के कारोबारियों को डर है कि जब मंडी के बाहर बिना शुल्क का कारोबार होगा तो कोई मंडी आना नहीं चाहेगा।
सरकार का दावा…
1. सरकार और प्रधानमंत्री ने भी सपष्ट रूप से कहा कि एमएसपी और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी। एमएसपी को हटाया नहीं जाएगा।
2.राज्यों के अधिनियम के अंतर्गत संचालित मंडियां भी राज्य सरकारों के अनुसार चलती रहेगी।
3.राज्य के लिए एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमिटी (एपीएमसी) ऐक्ट है, यह विधेयक उसे बिल्कुल भी छेड़ता नहीं है।
4.इस विधेयक से किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा। वह मंडियों और बिचौलियों के जाल से निकल अपनी उपज को खेत पर ही कंपनियों, व्यापारियों आदि को बेच सकेगा।
5. इस बिल से किसानों को कोई टैक्स नहीं दिया जाएगा। इस वक्त मंडियों में साढ़े आठ फीसद तक मंडी शुल्क वसूला जाता है।
6.किसानों को उपज की बिक्री के बाद कोर्ट कचहरी के चक्कर नहीं लगाना पड़ेंगे। उपज खरीदने वाले को 3 दिन के अंदर पेमंट करना होगा।
7. किसानों के पास फसल बेचने के लिए वैकल्पिक चैनल उपलब्ध होगा।
क्या है एमएसपी
न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी ‘एमएसपी’ किसी फसल का वह दाम होता है जो सरकार बुवाई के वक्त तय करती है। इससे किसानों को फसल की कीमत में अचानक गिरावट के प्रति सुरक्षा मिलती है। अगर बाजार में फसल के दाम कम होते हैं तो सरकारी एजेंसियां एमएसपी पर किसानों से फसल खरीद लेती हैं।
कृषि विधेयक पर खिलाफ कौन?
1. कांग्रेस
2. शिरोमणि अकाली दल
3. तृणमूल कांग्रेस
4. बसपा
5.एनसीपी
6. माकपा
7. आप
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