कोरोना महामारी ने पूरे विश्व को बुरी तरह से झझकोर कर रख दिया है। समाज ने ना केवल बहुत से अपनों को खोया है बल्कि व्यापार, रोजगार और अर्थव्यवस्था को भी पूरी तरह से प्रभावित किया। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुमान के अनुसार, अप्रैल में भारत में 122 मिलियन से अधिक लोगों ने अपनी नौकरी खो दी। उनमें से लगभग 75% छोटे व्यापारी और दिहाड़ी मजदूर थे। बड़ी संख्या में वेतनभोगी कर्मचारियों ने भी अपनी नौकरी खो दी। जब-कोरोना महामारी ने दुनिया को तूफान से घेर लिया था, इस संकट से निकलने वाले सबसे महत्वपूर्ण सबक में से एक सुरक्षित भविष्य के निर्माण के लिए अपने व्यक्तिगत वित्त की उचित योजना और प्रबंधन की आवश्यकता थी। इस दौर में से कुछ महत्वपूर्ण निष्कर्ष इस प्रकार हैं:
1. अपने वित्त की योजना बनाएं:
अपने वित्त और रूपए पैसे की योजना बनाना बहुत महत्वपूर्ण है और इसीलिए हमें सक्रिय रूप से वित्तीय प्रबंधन करना चाहिए। आमदनी, खर्च, बचत, निवेश और ऋण को अपने परिवार की अल्पकालिक (शार्ट टर्म) और दीर्घकालिक (लांग टर्म) जरूरतों और जीवन के लक्ष्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिए। महामारी के दौर में जो एक अस्थिर वैश्विक आर्थिक वातावरण में से हम गुजर रहे हैं, ऐसे वातावरण में अवसरों का लाभ उठाने के साथ-साथ अत्यंत आवश्यकताओं के लिए तैयार रहना भी महत्वपूर्ण है। वित्तीय नियोजन (फाइनेंसियल प्लानिंग) इन दोनों स्थितियों में बेहतर बने रहने में मदद करता है। अपनी वित्तीय योजनाओं को सक्रिय रूप से प्रबंधित करना, फिर से समीक्षा करना और संशोधित करना और बदलती जरूरतों और आर्थिक वातावरण के अनुरूप परिवर्तनों को लागू करना भी महत्वपूर्ण है।
2. जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा:
इंसान का जीवन कितना अनिश्चित है, इस महामारी ने न केवल दुनिया को यह साबित किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि जीवन कितना अप्रत्याशित हो सकता है। इसलिए, परिवार के लिए वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। मानव जीवन मूल्य के अनुसार परिवार के प्रमुख और कमाने वाले सदस्य को जीवन बीमा लेना चाहिए, यानी अगर उसे कुछ हो जाता है तो परिवार को एक ऐसी राशि मिल जाएगी जो परिवार को आर्थिक रूप से स्थिर रखेगी। परिवार के लिए स्वस्थ्य बिमा भी जीवन बिमा जितना ही जरुरी है। जीवन शैली से संबंधित रोग और बढ़ती हुई स्वस्थ्य सेवाओं की कीमतों ने हर परिवार के लिए स्वस्थ्य बिमा को लगभग अनिवार्य कर दिया है। हर परिवार को स्वस्थ्य बिमा जरूर लेना चाहिए।
3. एक आपातकालीन निधि बनाएं:
एक आपातकालीन कोष वित्तीय संकट के समय में एक परिवार के लिए संजीवनी का काम करता है। ऐसा फंड कम से कम 6-12 महीने की पारिवारिक आय जितना होना चाहिए। यह फंड जरूरत पड़ने पर नकदी के रूप में जल्दी और आसानी से उपलब्ध होना चाहिए। आप चाहें तो अपनी 6-12 महीने की आमदनी के बराबर का पैसा अपने एक अलग बैंक कहते में जमा कर सकते है या इस पैसे को लघु अवधि की फिक्सड डिपाजिट में भी जमा कर सकते है। आपको इस महामारी के दौर में काम से काम तीन महीने की जरूरत जितनी नकदी भी घर में रखनी चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस फंड को केवल और केवल आपातकालीन में उपयोग के लिए उपलब्ध रखना चाहिए।
4. कर्ज के जाल से बचें:
महामारी के इस दौर में जब हमारे लिए बने रहना जरूरी है तो फालतू के खर्चों से बचे रहना भी जरूरी है। जिस वस्तु के हमें जरूरत नहीं है और हम केवल उसे इसीलिए खरीद रहे हैं, के उस पर बहुत अच्छा डिस्काउंट मिल रहा है और ऊपर से उसके लिए हम अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग कर रहे है, तो हम अपने लिए निकट भविष्य में एक बिना मतलब की देनदारी खड़ी कर रहे है। दुनिया के सबसे बड़े निवेश गुरु ‘वारेन बुफे’ ने कहा है कि खर्च करने के बाद जो बचता है उसे मत बचाओ, बल्कि पहले बचाओ और उसे बचाने के बाद खर्च करो।
5. निवेश में विविधता लाएं:
कभी भी अपना सारा धन किसी एक वर्ग में निवेश न करें, मसलन अपने भविष्य के लक्ष्यों के अनुसार अपना निवेश तय करें। अपने कितने पैसे को इक्विटी में लगाना है, कितने पैसे को सोने में निवेश करना है, अचल संपत्ति में कितना निवेश करना है, यह सब अपने लक्ष्यों के मुताबिक तय करें और अपने निवेश की एक निश्चित अवधि के बाद समीक्षा भी करें। इसी तरह यदि आप म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश कर रहे तो कभी भी अपना सारा निवेश एक ही फंड में न करें और अलग-अलग फंड्स में अपना निवेश सुनिश्चित करें।
डॉ संजय मित्तल
सीनियर बैंकर एंड
डॉक्टर आॅफ मैनेजमेंट
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