ओढां(सच कहूँ/राजू)| कोरोना के चलते लागू किए गए लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर काफी विपरीत असर पड़ा है। छोटे से लेकर बड़े व्यवसायी व दुकानदारों का कार्य पिछले काफी समय से ठप्प होकर रह गया है। हालांकि जरूरी वस्तुओं के कुछ प्रतिष्ठानों को खोलने का शेड्यूल निर्धारित किया गया है, लेकिन अन्य दुकानदार काफी प्रभावित होकर रह गए हैं। स्थिति ये है कि दुकानें खुलने के अभाव में जहां दुकानदार आर्थिक रूप से परेशान हैं तो वहीं बड़ी समस्या उन दुकानदारों के समक्ष उत्पन्न हो रही है जिन्होंने दुकानें किराए पर लेकर अपना रोजगार चला रखा है और उनके यहां पर अनेक लोगों को रोजगार भी मिलता है।
इस बारे जब कुछ दुकानदारों से चर्चा की गई तो उन्होंने आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि दुकानें बंद हैं। ऐसे में सामान की बिक्री बंद होने के चलते उधार भी नहीं आ रही और दूसरा कर्ज भी बढ़ रहा है। इसके अलावा दुकानों का किराया भी सिर चढ़ रहा है। उन्होंने प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि अन्य दुकानों की तरह उनका भी कोई न कोई शेड्यूल बनाया जाए ताकि उनका गुजारा होता रहे।
लॉकडाउन लगने के कारण सारा सिस्टम गड़बड़ा गया है। मेरा हेयर सैलून का कार्य है। इस कार्य से ही घर का खर्च चलता है। लेकिन पिछले करीब एक माह से दुकान खुल नहीं पाई। ऐसे में घर का खर्च चलाना दुश्वार होकर रह गया है। स्थिति ये है कि वे कोई अन्य कार्य भी नहीं कर सकते। माना कि लॉकडाउन है, लेकिन घर का खर्च चलाने के लिए कोई तो सिस्टम बनाना पड़ेगा। प्रशासन से मांग हैं कि अन्य दुकानों की तरह हमारी दुकानों का भी शेड्यूल बनाया जाए ताकि हमारा भी घर चल सके।
राजकुमार परिहार, हेयर सैलून संचालक (नुहियांवाली)।
मेरा गाड़ियों की खरीद-बेच का कार्य है। दुकान किराये पर लेकर कार्य किया हुआ है। लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था गड़बड़ाकर रह गई है। पिछले करीब एक माह से दुकान बंद पड़ी है। दुकान बंद होने के चलते दुकान का किराया सिर चढ़ रहा है तो वहीं बेची गई गाड़ियों के पैसे भी रूक गए हैं। दुकान पर इस समय कोई कार्य नहीं है। जिस क्षेत्र से गाड़ियां लेकर आते हैंं वहां पैसों का आदान-प्रदान चलता रहता है। लेकिन लॉक डाउन के कारण दुकानें बंद होने से न केवल संपर्क टूट चुका है अपितु अपना व्यवहार ठीक रखने के लिए बड़े व्यापारियों को तो गाड़ियों की पैमेंट करनी ही होगी। हमारी प्रशासन से मांग है कि दुकान खोलने का शेड्यूल बनाया जाए।
सीताराम गोयल, गाड़ी विक्रेता (ओढां)।
मेरा फोटो स्टूडियो का कार्य है। मेरे घर का खर्च भी इस कार्य पर आश्रित है। लॉकडाउन से पूर्व मेरे पास कार्य अच्छा था, लेकिन लॉकडाउन के चलते शादियां व अन्य कार्यक्रम नहीं हो रहे। ऐसे में कार्य न होने के चलते घर का खर्च चलाना भी मुहाल हो गया है। पिछले वर्ष लगे लॉकडाउन के कारण भी आर्थिक व्यवस्था काफी प्रभावित हुई थी। फोटोग्रॉफी का कार्य न चलने के चलते मजबूरन इधर-उधर मजदूरी कर घर का खर्च चला रहे हैं। ईश्वर करे कोरोना का संकट खत्म हो ताकि सभी के पास कार्य होे।
रोशन लाल, फोटो स्टूडियो (रत्ताखेड़ा)।
मेरा कन्फेक्सरी का कार्य है। मेरी दुकान से कई लोगों का रोजगार चलता है। लेकिन पिछले 23 दिनों से दुकान बंद पड़ी है। दुकान बंद रहने से वहां पड़ा सामान भी खराब हो गया। दुकान पर कार्य करने वाले कुछ लोग बाहर के थे जो दुकान बंद होने के चलते घरों को भी चले गए। मात्र 4 घंटे दुकान खुलती है लेकिन कोई कार्य नहीं है। क्योंकि इस अवधि में न ही तो कोई सामान तैयार कर सकते और न ही बेच सकते। स्थिति ये है कि दुकान बंद होने से किराया ही सिर नहीं चढ़ रहा है अपितु घर का खर्च चलाना भी मुश्किल साबित हो रहा है।
अंकुश शर्मा, दुकानदार (ओढां)।
मेरा मनियारी का कार्य है। मेरी दुकान से 5 लोगों का घर चलता है। लेकिन लॉकडाउन के चलते पिछले करीब एक माह से दुकानें बंद पड़ी हैं। ऐसे में आर्थिक संकट गहरा गया है। दुकान बंद होने पर दुकान पर कार्य करने वाले लोगों व स्वंय के लिए घर चलाना मुश्किल साबित हो रहा है। उधार न आने के कारण स्थिति काफी विकट हो रही है। हम प्रशासन से मांग करते हैं अन्य दुकानों की भांति हमारी दुकानों को खोलने का शेड्यूल बनाया जाए।
नन्दू जैन, मनियारी शॉप संचालक (सरसा)।
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