नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। वित्त मंत्री सीतारमण कल 2021-22 बजट पेश करने जा रही है। कोरोना संकट के चलते इस साल अर्थव्यवस्था में करीब 8 फीसदी की गिरावट होने की उम्मीद है लेकिन अगले वित्त वर्ष में इसमें 11 फीसदी की तेजी की संभावना जताई जा रही है। वित्त मंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौति होगी अर्थव्यवस्था को फिर से उच्च विकास दर की पटरी पर लाया जाए। लेकिन भारत की नाजुक वित्तीय स्थिति को देखते हुए उन क्षेत्रोें पर सावधानी से ध्यान देना होगा जिन क्षेत्रों में खर्चे बढ़ हैं।
क्या हो सकते है बजट में
- आगामी बजट में राजकोषीय घाटे की ज्यादा चिंता की बजाये विकास को मजबूती देने पर ज्यादा जोर दिया जा सकता है।
- बजट में पोर्ट, रोड और बिली से जुड़ी परियोजनाओं की फंडिंग के लिए एक घरेलू वित्तीय संस्थान बनाए जाने की घोषणा हो सकती है।
- मनरेगा की तर्ज पर शहरी क्षेत्रों में भी रोजगार गारंटी योजना प्रोग्राम की घोषणा पर रहेंगी सबकी नजरें।
- बैंकों की स्थिति सुधारने पर भी बजट पर हो सकता है फोकस।
- वित्त वर्ष में बजट का अंतर अनुमानित 3.1 फीसदी से बढ़कर 7 फसीदी से अधिक हो सकता है।
- मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र विभिन्न कंपोनेंट्स के कुछ हिस्सों पर सीमा शुल्क बढ़ा सकती है।
चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में 7.7 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान
संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया था कि कोविड-19 के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.7 प्रतिशत की गिरावट रहेगी जबकि अगले वित्त वर्ष में इसमें 11 फीसदी की तेज वृद्धि दर्ज की जायेगी। संसद के दोनों सदनों में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किये जाने के बाद सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के.वी. सुब्रमण्यम् ने भारतीय अर्थव्यवस्था में अंग्रेजी के ‘वी’ अक्षर के आकार में सुधार होगा यानी जिस तेजी से चालू वित्त वर्ष में गिरावट रही है उसी तेजी से वापसी भी होगी।
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