Finance Bill 2025: वित्त विधेयक 2025 लोकसभा में ध्वनिमत से पारित

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New Delhi: वित्त विधेयक 2025 लोकसभा में ध्वनिमत से पारित

 नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। New Delhi: लोकसभा ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर के प्रावधानों में संशोधन के लिए वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत संशोधनों को स्वीकार करते हुए वित्त विधेयक 2025 मंगलवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके साथ ही 2025-26 के बजट को पारित करने की प्रक्रिया पर सदन की मोहर लग गई है। वित्त विधेयक को अब चर्चा तथा वापसी के लिए राज्यसभा में भेजा जाएगा जहां उस पर मात्र औपचारिक चर्चा की जाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा में वित्त विधेयक 2025 पर चर्चा का जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत आयरकर दाताओं की सालाना 12 लाख रुपए की आय पूरी तरह से करमुक्त होगी और उससे थोड़ा अधिक आय पर कर का प्रभाव सीमित रहेगा। New Delhi

उन्होंने गूगल और मेटा कंपनियों पर आॅनलाइन विज्ञापन की आय पर लगने वाले छह प्रतिशत की दर के इक्वालाइजेशन कर को हटाने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने कहा कि 12 लाख से अधिक की थोड़ा अधिक आय पर लगने वाला कर बढ़ी हुई आय पर ही लगाया जाएगा और वह बढ़ी हुई आय तक ही सीमित होगा। उन्होंने उदाहरण दिया कि 12 लाख 10 हजार रुपए की आय होने पर आय के मामले में दस हजार तक की आय पर ही आयकर लगाया जाएगा। उन्होंने आयकर में छूट के बावजूद वसूली में एक लाख करोड़ रुपए की वृद्धि पर उठाए गये सवालों के जवाब में कहा कि हमारा अनुमान व्यवहारिक है और पिछले कुछ साल से आयकर वसूली में लगातार बढोतरी हो रही है। इस साल के बजट में 13.13 लाख करोड़ से अधिक की प्राप्ति का अनुमान है। New Delhi

चालू वित्त वर्ष के बजट में व्यक्तिगत आयकर की प्राप्ति में करीब छह सात प्रतिशत की कमी का अनुमान लगाते हुए अगले वित्त वर्ष में प्रत्यक्षकर वसूली में 13 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है। व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, गूगल मैप जैसे डिजीटल सोशल मीडिया प्लेटफार्म के मैसेज को कर जांच के लिए साक्ष्य बनाए जाने के प्रस्ताव का बचाव करते हुए। उन्होंने कहा कि क्रिप्टो करंसी और संपत्तियों की बेहिसाब खरीद फरोख्त मामले व्हाट्सएप में पकडे गये हैं। इसमें गूगल मैप के रिकार्ड भी शामिल हैं इसीलिए ऐसी सूचनाओं को साक्ष्य के रूप में मान्यता दिए जाने का प्रस्ताव दिया गया है।

प्रस्तावित नये आयकर विधेयक में सरकार ने प्रत्यक्ष कर व्यवस्था के सरलीकरण और सुधार के महत्वपूर्ण प्रस्ताव किए हैं और उम्मीद है कि मानसून सत्र में इन पर सदन में चर्चा की जाएगी। यह विधेयक अभी संसद की प्रवर समिति के पास है और इसकी रिपोर्ट इस सत्र के दौरान ही मिलने की उम्मीद है। वित्त विधेयक 2025 करदाताओं को अभूतपूर्व कर राहत प्रदान करता है।

उन्होंने कहा कि अनुमानित आय पर कर (पीआईटी) संग्रह में उछाल आने का अनुमान है। उन्होंने 2025-26 के बजट में प्रत्यक्ष कर संग्रह के अनुमान व्यावहारिक हैं और इनमें करीब एक लाख करोड़ रुपए के छूट के प्रस्ताव को ध्यान में रखा गया है। यह कहना गलत है कि माल और सेवाकर (जीएसटी) प्रगतिशील कर नहीं है। उन्होंने कहा कि जीएसटी से पहले जीएसटी पर औसत दर 15 प्रतिशत थी जो घटकर औसतन 12.2 प्रतिशत पर आ गई है और 28 प्रतिशत की दर केवल सामान्य उपभोग की तीन प्रतिशत वस्तुओं पर ही लागू है। आम लोगों की सुविधा और उपभोग की वस्तुओं पर जीएसटी शून्य रखा गया है। जीसएटी पर जीएसटी परिषद फैसला लेती है जो संवैधानिक निकाय है। वही जीएसटी की दरों की संख्या तथा मात्रा को लेकर फसला करती है। New Delhi

उन्होंने कहा कि गुरुद्वारे के लंगर के सामान को जीएसटी से पूरी तरह से मुक्त रखा गया है। जीवन रक्षक दवाएं तथा उपकरणों को जीएसटी से पहले ही मुक्त किया जा चुका है। शिक्षण संस्थाओं को दी जाने वाली सुविधा में प्रवेश परीक्षा के लिए तथा परीक्षा आयोजित करने के लिए अध्यापकों तथा बच्चों की ट्रांसपोर्ट कर मुक्त है। मिड डे मील, उच्च संस्थानों के लिए जनरल तथा अन्य पाठ्य सामग्री को भी इसी श्रेणी में रखा गया है।

वेतन आयोग हमेशा कर्मचारियों के हितों के प्रति संवेदनशील है और सरकार के सभी कर्मचारियों के लिए समान पेंशन मिलने का प्रावधान किया है। सरकारी कर्मचारियों की पेंशन संबंधी संशोधन छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार है जिसे 2008 में उस समय की सरकार ने स्वीकार किया था, लेकिन लागू नहीं कर पायी थी। उन्होंने इस संबंध में कांग्रेस के वेणुगोपाल के इस कथन को खारिज किया कि सरकार सदन को गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि समान पेंशन का सिद्धांत का लागू करने में इसलिए देरी हुई क्योंकि बहुत से मामले अदालतों में लंबित है जिनका फैसला अब आ गया है।

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