दक्षिण में नए समीकरण बना सकती फिल्मी राजनीति

Lok Sabha

दक्षिण भारत के बड़े राज्य तामिलनाडु में इस बार राजनीति नई करवट लेती नजर आ रही है। लोक सभा चुनाव 2019 के मिशन में कांग्रेस व भाजपा ने अपने-अपने गठजोड़ को मजबूत करने के लिए कमर कस ली है। इन दोनों पार्टियों की तमिलनाडू पर पैनी नजर है। जयललिता के देहांत के बाद इस राज्य की राजनीति बुरी तरह डावांडोल थी, जिसके बाद फिल्मी अभिनेता रजनीकांत और कमल हासन के राजनीति में उतरने का ऐलान करने से पारंपरिक पार्टियों को नए सिरे से रणनीति बनाने की जरूरत महसूस हो रही है। चाहे फिल्म जगत और राजनीति का नाता पुराना है लेकिन दक्षिणी भारत एक अलग ही मिसाल कायम करता आ रहा है जहां फिल्मी नेता किसी पार्टी से जुड़ने की बजाए खुद नेतृत्व कर पार्टी संभालते रहे हैं। आंध्र प्रदेश में एन.टी. रामा राव और तामिलनाडु में जयललिता ने राजनीति में ऐसी पकड़ बनाई कि बड़ी पार्टियां बहुमत की पूर्ति के लिए इनकी तरफ देखती रही है।

एक बार केंद्र में सरकार टूटने के पीछे भी फिल्मी राजनेताओं की सक्रिय भूमिका रही। वर्तमान हालात भी तमिलनाडू के लिए बड़े अहम हैं। रजनीकांत जैसे अभिनेता की लोकप्रियता का ग्राफ जयललिता सहित फिल्मी अभिनेताओं से राजनेता बने कई अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा कहीं ज्यादा है। यदि रजनीकांत का राजनीति में भी जादू चलता है, तब यह राजनैतिक समीकरणों में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं। दरअसल बात चुनाव जीतने की नहीं बल्कि राजनीति में परिवर्तन लाने की है। देश में भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और गैर जिम्मेवार रवैया जैसी बुराइयों के कारण आम आदमी राजनीति प्रति उदासीन रवैया अपना रहा है। ईमानदार, मेहनती, लोग हितैषी नेताओं को जनता भरपूर समर्थन देती है। जहां तक दक्षिणी राज्यों की बात है, यहां फिल्मी जगत से जुड़े राजनेताओं ने लोक भलाई की कई योजनाओं को शुरू किया।

जिन्हें उत्तर भारत सहित पूरे देश में एक मॉडल के तौर पर अपनाया गया। दूसरी तरफ उत्तर भारत में राजनैतिक पार्टियों ने कलाकारों को बड़ी जिम्मेदारी देने की बजाय उन्हें चुनाव प्रचार तक ही सीमित रखा। चुनाव जीतने के बाद भी यह कलाकार पार्टी व राजनीति में अपना कोई प्रभाव नहीं छोड़ सके। एकआध कलाकार ही संसद या विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा सका है। अधिकतर फिल्मी राजनेता तो मूकदर्शक बनकर संसद की कार्रवाई देखते रहे। दक्षिण भारत की राजनैतिक पार्टियों ने कलाकारों को नेतृत्व करने का मौका दिया है। कलाकार अपने स्वभाव से रचनात्मक होते हैं, यदि पार्टियां कलाकार को खुलकर काम करने का अवसर दें तो वह अवश्य समाज में कुछ बदलाव कर सकते हैं। ताजा हालातों के मद्देनजर तमिलनाडू लोक सभा चुनाव आकर्षण व रूचि का केंद्र बन सकता है।