भले ही भारत सहित दुनियाभर के अनेक देशों में खेल प्रेमियों और यहां तक कि छोटे-छोटे बच्चों तक पर क्रिकेट की खुमारी छाई नजर आती है किन्तु आपको जानकर आश्चर्य होगा कि फुटबाल न केवल दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल है बल्कि इसमें पैसा भी क्रिकेट के मुकाबले कई गुना ज्यादा बरसता है। बात अगर फीफा वर्ल्ड कप की हो तो इसकी चमक-दमक और इसमें बरसती दौलत सभी अन्य खेलों को कोसों पीछे छोड़ देती है।
अगर कमाई के मामले में दुनिया के महंगे क्रिकेटरों और फुटबाल खिलाड़ियों की तुलना करें तो करोड़ों-अरबों कमाने वाले क्रिकेटर उनके सामने बहुत फीके नजर आते हैं। दुनिया के सबसे महंगे फुटबॉलरों की बात करें तो अर्जेन्टीना के मेसी तथा ब्राजील के नेमार की सालाना कमाई करीब 180 मिलियन यूरो अर्थात् लगभग 14.32 अरब रुपये है जबकि इंग्लैंड टीम के कप्तान हैरी केन तथा बेल्जियम के मिडफील्डर केविन डी ब्रूने 150 मिलियन यूरो, फ्रांस के पॉल लेबिल पोग्बा 90 मिलियन यूरो, जर्मन मिडफील्डर टोनी क्रॉस 80 मिलियन यूरो, फ्रांस के राफेल वराने तथा स्पेनिश गोलकीपर डेविड 70 मिलियन यूरो, ब्राजील के मासेर्लो विएरा तथा जर्मन के मैट हमल्स तथा स्पेनिश फुटबॉलर डेनी कारवाजल की मार्किट वैल्यू 60 मिलियन यूरो है।
रूस के 11 शहरों के 12 अलग-अलग स्टेडियमों में 14 जून से 15 जुलाई तक होने वाले फीफा वर्ल्ड कप मुकाबलों में भाग लेने वाली 32 टीमों के कुल 63 मुकाबलों पर दुनियाभर के खेलप्रेमियों की नजरें केन्द्रित रहेंगी और अटकलों का बाजार गर्म होने लगा है कि आखिर इन 32 टीमों में से विश्व चैम्पियन कौनसी टीम होगी।
वैसे इसके लिए ब्राजील के अलावा स्पेन, जर्मनी, अर्जेन्टीना और फ्रांस को प्रबल दावेदार माना जा रहा है। अभी तक पांच बार यह खिताब जीत चुकी लेकिन पिछले 16 वर्षों से ट्रॉफी के लिए तरस रही ब्राजील की टीम को इस बार सबसे मजबूत टीम माना जा रहा है। अब तक 20 वर्ल्ड कप मैच खेलकर सात बार फाइनल में जगह बनाने में सफल रहा ब्राजील आखिरी बार 2002 में विश्व चैम्पियन बना था, जो इस समय फीफा विश्व रैंकिंग में दूसरे स्थान पर है।
सवा अरब आबादी वाला देश भारत फीफा विश्व कप मुकाबले में इस बार भी नजर नहीं आएगा। 68 साल पहले भारत ने 1950 में ब्राजील में आयोजित फीफा वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई किया था, उसके बाद से इस टूनार्मेंट में भाग लेना भारत के लिए सपना ही बना हुआ है। हालांकि भारतीय टीम के कप्तान सुनील छेत्री फिलहाल बहुत अच्छे फॉर्म में हैं और प्रति मैच गोल औसत के मामले में फुटबाल जगत के चमकते सितारों आस्ट्रेलिया के लियोनल मेरी, पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो तथा ब्राजील के नेमार से भी आगे निकल चुके हैं लेकिन फीफा रैंकिंग में भारत का स्थान अभी 97वां है।
वैसे भारत फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप की मेजबानी कर चुका है किन्तु फीफा वर्ल्ड कप के लिए उसे अभी इंतजार करना होगा। भारत के अलावा इस बार 6 बड़ी टीमें भी इस वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी, जिनमें नीदरलैंड, कैमरून, अमेरिका, चिली, घाना और इटली शामिल हैं। मजेदार बात यह है कि इटली 4 बार विश्व चैम्पियन रह चुका है और केवल 1958 के विश्व कप में ही नहीं खेल पाया था। वहीं 55वीं फीफा रैंकिंग वाला छोटा सा देश पनामा अमेरिका को शिकस्त देते हुए पहली बार फीफा विश्व कप में जगह बनाने में सफल हुआ है तो ट्यूनीशिया की 12 साल बाद इस टूनार्मेंट में वापसी हुई है। 45 वर्षीय मिस्र के गोलकीपर एसाम अल हैदरी इस विश्व कप में खेलने के बाद सबसे बड़ी उम्र के फुटबॉलर बन जाएंगे।
बात करें 1930 में फीफा विश्व कप की शुरूआत से लेकर 2014 तक की विश्व चैम्पियन टीमों की तो 1930 में उरूग्वे, 1934 तथा 1938 में इटली, 1950 में उरूग्वे, 1954 में वेस्ट जर्मनी, 1958 तथा 1962 में ब्राजील, 1966 में इंग्लैंड, 1970 में ब्राजील, 1974 में वेस्ट जर्मनी, 1978 में अर्जेन्टीना, 1982 में इटली, 1986 में अर्जेन्टीना, 1990 में वेस्ट जर्मनी, 1994 में ब्राजील, 1998 में फ्रांस, 2002 में ब्राजील, 2006 में इटली, 2010 में स्पेन तथा 2014 में जर्मनी विश्व चैम्पियन रहे हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के चलते 1942 तथा 1946 में फीफा विश्व कप का आयोजन नहीं किया जा सका था।
अपने शुरूआती आयोजनों में फीफा विश्व कप भले ही इतना चर्चित न रहा हो किन्तु आज इसकी चमक-दमक और इसके अत्यधिक महंगे आयोजन ने इसे दुनिया का सबसे महंगा और चर्चित टूनार्मेंट बना दिया है, जिसके हर आयोजन से पहले ही पूरी दुनिया में एक अलग ही जोश और जुनून का वातावरण बन जाता है।
1982 तक फीफा विश्व कप की हालत इतनी अच्छी नहीं थी, उस समय कुल इनामी राशि 134 करोड़ रुपये थी किन्तु 2002 के बाद इसमें बड़ा सुधार हुआ, जब कुल इनामी राशि में करीब साढ़े तीन अरब रुपये की बढ़ोतरी हुई और चैम्पियन टीम को 53.69 करोड़ दिए गए। आज कुल इनामी राशि बढ़कर 2615 करोड़ रुपये हो चुकी है और चैम्पियन टीम को 255 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि मिलेगी। फीफा विश्व कप के सर्वाधिक अमीर टूनार्मेंट बनने के पीछे सबसे बड़ा कारण है इसकी निरन्तर बढ़ती लोकप्रियता तथा प्रायोजकों की लंबी कतारें।
2018 के फीफा विश्व कप पर 52.39 अरब रुपये खर्च हो रहे हैं, जिसमें से खिलाड़ियों को 26.15 अरब रुपये इनामी राशि के रूप में मिलेंगे जबकि 26.24 अरब रुपये टूनार्मेंट की तैयारियों और आयोजन पर खर्च होंगे।
इस बार के आयोजन की सबसे विशेष बात यह है कि जहां विजेता टीम को 2.55 अरब रुपये की राशि मिलेगी, वहीं हारने वाली टीमों अर्थात् उपविजेता टीम को 1.94 अरब तथा तीसरे स्थान पर रहने वाली टीम को 1.61 अरब रुपये मिलेंगे। अगर इस इनामी राशि की तुलना क्रिकेट विश्व कप या आईपीएल सरीखे टूर्नामेंटों में मिलने वाली इनामी राशि से करें तो हैरान हो जाएंगे।
2015 के क्रिकेट विश्व कप में विजेता टीम को 25.17 करोड़ और उपविजेता टीम को 11.74 करोड़ रुपये मिले थे जबकि अभी समाप्त हुए आईपीएल के 11वें सीजन में विजेता टीम को जहां 25.8 करोड़ रुपये मिले, वहीं उपविजेता को 12.9 करोड़ और तीसरे स्थान पर रही टीम को 6.4 करोड़ अर्थात् क्रिकेट के मुकाबले फीफा विश्व कप की चैम्पियन टीम को करीब 10 गुना अधिक धनराशि मिलेगी।
योगेश कुमार गोयल
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