हिसाब बराबर
Sahitya: दादाजी, पापा और मानी बाजार गए। मानी बोली, ‘‘पापा। भूख लगी है।’’
पापा बोले-‘‘घर जाकर खाना खाएँगे।’’
उसने पूछा, ‘‘घर कब जाएँगे?’’
दादा हँसे। बोले, ‘‘अभी तो आए हैं।’’
मानी उदास हो गई। बोली, ‘‘तेज भूख लगी है।’’
पापा समझाने लगे, ‘‘बाजार का न...
कहानी: आत्म-मंथन
Story: सुनो सखी रेवा, कैसा जमाना आ गया है? कैसी विक्षिप्त मानसिकता में जी रहे हैं लोग? कैसी विक्षिप्त चाहत है लोगों की? औरत ही जन्म का आधार होती है लेकिन जन्म का आधार ही आधार को जन्म नहीं देना चाहता।
मीनू मेरे पड़ोस में रहती है। तीन बहनों में सबसे बड़...
Children’s Toys: 3 साल के बच्चे के लिए सर्वश्रेष्ठ खिलौने
Children's Toys: तीन साल के बच्चे अपने खिलौनों के खेल को एक पायदान ऊपर ले जाने के लिए बहुत तैयार रहते हैं। अपने 2 साल के बच्चे के विपरीत, आपके बढ़ते 3 साल के बच्चे के खिलौनों और सुपर-विशिष्ट रुचियों के बारे में राय रखने की संभावना अधिक होती है, जिन्हे...
बंद मुट्ठियों की दास्तां
हम छुट्टी वाले दिन बाहर घूमने चले जाते। उस लड़के के साथ अनेक जगहों हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गोवा आदि राज्यों के शहरों में भ्रमण किए।
...गतांक से आगे जज यह सब कुछ सुन कर आश्चर्य में पड़ गए तथा उन्होंने बहुत सोच विचार के पश्चात कहा, ‘‘बेटी सुनो, तस्...
Sahitya: विलासिता का दुख!
Sahitya: जब कभी भी किसी विकसित देश में उपलब्ध आम जनसुविधाओं के बारे में सुनता या पढ़ता हूं तो हृदय से हूक उठ जाती है। अब इसका अर्थ आप यह कदापि ग्रहण न करें कि मैं उनकी सुविधा-सम्पन्नता से जल उठता हूं। बिना किसी आत्म प्रवंचना के कहूं तो मुझे यह उनकी वि...
Children’s Toys: बच्चों की काल्पनिक दुनिया है, खिलौने
Children's Toys: बच्चे के जीवन में खेल का समय अत्यंत ही आनंद उठाने वाला होता है। खेल के क्रियाकलापों में खिलौने बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और ये खिलौने सिर्फ नाममात्र के लिए खेल की वस्तुएँ नहीं होतीं। बल्कि वे बच्चे के जीवन के कार्यों की पूर्ति...
नाच उठी हैं खुशी में रूहें ….
कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन लिया सच्चे दाता रहबर साईं जी ने अवतार जी।
नाच उठी हैं खुशी में रूहें और सब दिलों में छाई उमंगों की अजब बहार जी।
नूरे खुदाई की हर अदा इलाही ओजस्वी वाणी व परम् सादगी अपार जी।
जिन मौला दाता ने कुल आलम को दिखाई जीने की सच्च...