Big Thinking: बड़ी सोच
एक बार एक आदमी ने देखा कि एक गरीब फटेहाल बच्चा बड़ी उत्सुकता से उसकी महंगी आॅडी कार को निहार रहा था। गरीब बच्चे पर तरस खा कर अमीर आदमी ने उसे अपनी कार में बैठा कर घुमाने ले गया।
Tension: तनाव
उसकी पत्नी पलंग पर लेटी हुई कोई मैगजीन पढ़ रही थी।
वह बाथरूम में फ्रेश होने चला गया।
वहां से आया तो तौलिये से हाथ मुँह पोंछते हुए पत्नी से बोला, ‘खाना लगा दो... बहुत भूख लगी है।’
हे आगन्तुक
हे आगन्तुक
हम नहीं बिछा सकते
पलक-पांवडे
तुम्हारे स्वागत के लिए
इस वक्त मंदी के दौर से गुजर
रहा है मेरा परिवार।
हे आगन्तुक
हम स्वागत कर सकते थे
अगर न होता पुलवामा अटैक
क्योंकि उसमें मरने वाले वीर
मेरे अपने ही थे
ये सच है कि वे अमर हैं,
प...
जीवन
एक जीवन मिला था | Life
उसे जिया नहीं
वह अमृत-घट था
उसे पिया नहीं
भरमते रहे
प्यासे और निरीह
उस झरने की खोज में
जो अंदर था
बंद और ठहरा हुआ
उसे अपने को दिया नहीं
मांगते रहे प्यार और आश्वासन
कृपण हो गए हैं लोग
दुहराते रहे बार-बार
खुद को...
भिखारिन
अन्धी (beggar) प्रतिदिन मन्दिर के दरवाजे पर जाकर खड़ी होती, दर्शन करने वाले बाहर निकलते तो वह अपना हाथ फैला देती और नम्रता से कहती- बाबूजी, अन्धी पर दया हो जाए। वह जानती थी कि मन्दिर में आने वाले सहृदय और श्रद्धालु हुआ करते हैं। उसका यह अनुमान असत्य न...
हो लिया देश का नाश, आज ये मोटे चाळे होगे
हो लिया देश का नाश, आज ये मोटे चाळे होगे (Country's plight)
ना सही व्यवस्था आज देश मैं, हालात कुढ़ाळे होगे
निजीकरण और छटणीं की या पूरी तैयारी करली
कई महकमें बेच दिये, कईयां की तैयारी करली
सर्विस करणिये लोगां की, घर भेजण की तैयारी करली
बिना बताए घ...
एहसान
एक बहेलिया था। एक बार जंगल में उसने चिड़िया फंसाने के लिए अपना जाल फैलाया। थोड़ी देर बाद ही एक उकाब उसके जाल में फंस गया। वह उसे घर लाया और उसके पंख काट दिए। अब उकाब उड़ नहीं सकता था, बस उछल उछलकर घर के आस-पास ही घूमता रहता। उस बहेलिए के घर के पास ही एक...
ये झोंपड़ियों के बच्चे
Poor Children
मैली झोंपड़ियों के हैं ये
मैले-मैले बच्चे,
उछल-कूदते, खिल-खिल हँसते
हैं ये कितने अच्छे।
मुझ जैसी इनकी दो आँखें
मुझ जैसे दो हाथ,
नहीं पढ़ा करते पर क्यों ये
कभी हमारे साथ?
नहीं हमारे साथ कभी ये
जाते हैं स्कूल,
क्यों इनके कपड़ों पर...
चाहिए मुझे सच कहूँ
चाहिए मुझे सच कहूँ | Sachkahoon
देश हो या विदेश,
चाहे मैं कहीं भी रहूँ,
सुबह आँख खुलते ही,
चाहिए मुझे सच कहूँ।
जिसमें है देश-विदेश,
राजनीतिक, धार्मिक, समाजिक सरोकार,
मानव से मानव को मिलाने,
वाला है ये अखबार। सच कहूँ ...
दुनिया को यह म...
सुनहरा केकड़ा
एक समय की बात है की एक गांव में एक ब्राह्माण खेतीबाड़ी (Agriculture) करता था। उसके पास कुछ खेत भी थे, जिनसे अच्छी पैदावार होती थी और मजे में उसकी गुजर-बसर हो जाया करती थी । उसके खेतों के पास ही एक तालाब था। एक दिन खूब गर्मी पड़ रही थी। ब्राह्...