बड़ा कौन
एक गुरु अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे। अचानक एक शिष्य ने सख्त चट्टान को देखकर उनसे प्रश्न किया, ‘‘क्या इससे भी कठोर कुछ हो सकता है?’’ गुरु ने उत्तर नहीं दिया बल्कि यही प्रश्न शिष्य मंडली से पूछने लगे।
एक ने कहा, ‘‘लोहा चट्टान से भी कठोर है, जो ...
लघुकथा : असर
पति-पत्नी दोनों ही समाज सेवा के कार्य करते हैं। शहर में अच्छी धाक है दोनों की। रोज सभा में जाते हैं। नारी चेतना, नारी शक्ति दहेज विरोधी धुआँधार भाषण देते हैं।
इकलौता बेटा ऐसे ही माहौल में बड़ा होने लगा। अब वे दोनों बेटे के विवाह के सपने देखने लगे। मन...
रिमझिम बरस रहा है पानी
छम-छम करती हँसती-गाती,
नभ से उतरी बरखा रानी।
भीनी-भीनी मधुर फुहारें,
ठंडी-ठंडी जल की धारें,
हरी दूब फिर मचल रही है
ज्यों धरती का आँचल धानी।
बिजली कहो, कहाँ से आती
नभ में कौन परी है गाती,
रंग-रंगीली परी कथाएँ
सुना रही है प्यारी नानी।
भ...
एक दाना और
गल्ले के व्यापारी ने पहली बार छोटे से बेटे को थड़े पर चढ़ाया। बोला-‘‘देख ले, यह है तेरा ठीहा। उठाले तराजू औरये बाट। जाँच-परख ले डंडी... कान-खोट तो नहीं है? अब एक पल्ले में रख सौ ग्राम का बाट और दूसरे में गेहूँ का एक-एक दाना डालना शुरू कर दे। ध्यान रखना...
सच्चे दिल से याद करो तो मौला जरूर देगा दर्श-दीदार
सरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि सतगुरु, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, राम जिसके करोड़ों नाम हैं। जो भी कोई उसे सच्चे दिल से याद करता है, चाहे वो कहीं भी हो वो सतगुरु मौला दर्श-दीदार जरुर देते हैं। इन्सान की भा...
लघुकथा : कैदी
नन्हा बिट्टू दादा जी के साथ बाजार गया हुआ था। बाजार से आते-आते दादा जी ने सोचा-चलो मदिंर में भगवान के दर्शन कर आएं। वे मंदिर पहुंचे। मंदिर में ताले लगे हुए थे। दादा जी ने घड़ी की ओर देखा। दोपहर के 12 बज रहे थे। वे निराश भाव से बढ़ चले।
बिट्टू ने पूछा,...
लघु कथा : कर्ज
सुनो मास्टर रामदीन! अब आपणा इस्तीफा दे दयो। आपकी उमर कोनी काम करण की। के बात मास्टर साहब मैं तो बालकां नै जी-जान तै पढ़ाऊं सू। अर मेरे बढ़िया नतीजे आवैं सैं। रामदीन रटैर होंया पाछै एक प्राइवेट स्कूल मैं लाग्या था।
उसकी आँख्यां आगै अंधेरा होग्या-घर आ...
गोल चक्कर
शहर से लौटते समय देखा कि दरवाजे पर दो सिपाही बैठे आराम से बैठे थे। घर पर पुलिस का छापा पड़ा देखकर हृदय जोर-जोर से धड़कने लगा- ‘ईश्वर भला करें।’ पुलिस की कहीं भी उपस्थिति किसी दुर्घटना, खतरे या बुरी खबर होने का अपशकुन है। घर में प्रवेश करते ही भैया बतात...
Rabbit on the moon: चांद पर खरगोश
खरगोश को खाली हाथ लौटते देख उससे तीनों मित्रों ने पूछा, ‘अरें! तुम क्या दान करोगे? आज ही के दिन दान करने से महादान का लाभ मिलेगा, पता है न तुम्हें।’ खरगोश ने कहा, ‘हां, मुझे पता है, इसलिए आज मैंने खुद को दान करने का फैसला लिया है।’
हीरों का सच
एक बार राजा कृष्णदेवराय दरबार में बैठे मंत्रियों के साथ विचार विमर्श कर रहे थे कि तभी एक व्यक्ति उनके सामने आकर कहने लगा, ‘महाराज मेरे साथ न्याय करें। मेरे मालिक ने मुझे धोखा दिया है। इतना सुनते ही महाराज ने उससे पूछा, तुम कौन हो? और तुम्हारे साथ क्य...