सच्चे दिल से याद करो तो मौला जरूर देगा दर्श-दीदार
सरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि सतगुरु, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, राम जिसके करोड़ों नाम हैं। जो भी कोई उसे सच्चे दिल से याद करता है, चाहे वो कहीं भी हो वो सतगुरु मौला दर्श-दीदार जरुर देते हैं। इन्सान की भा...
लघुकथा : कैदी
नन्हा बिट्टू दादा जी के साथ बाजार गया हुआ था। बाजार से आते-आते दादा जी ने सोचा-चलो मदिंर में भगवान के दर्शन कर आएं। वे मंदिर पहुंचे। मंदिर में ताले लगे हुए थे। दादा जी ने घड़ी की ओर देखा। दोपहर के 12 बज रहे थे। वे निराश भाव से बढ़ चले।
बिट्टू ने पूछा,...
लघु कथा : कर्ज
सुनो मास्टर रामदीन! अब आपणा इस्तीफा दे दयो। आपकी उमर कोनी काम करण की। के बात मास्टर साहब मैं तो बालकां नै जी-जान तै पढ़ाऊं सू। अर मेरे बढ़िया नतीजे आवैं सैं। रामदीन रटैर होंया पाछै एक प्राइवेट स्कूल मैं लाग्या था।
उसकी आँख्यां आगै अंधेरा होग्या-घर आ...
गजल : कोई आँसू बहाता है…
कोई आँसू बहाता है, कोई खुशियाँ मनाता है,
ये सारा खेल उसका है, वही सब को नचाता है।
बहुत से जवाब लेकर गांव से वो शहर आया था,
मगर दो जून की रोटी, बमुश्किल ही जुटाता है।
मेरी दुनिया में है कुछ इस तरह से उसका आना भी,
घटा सावन की या खुशबू का झोंका जैस...
गोल चक्कर
शहर से लौटते समय देखा कि दरवाजे पर दो सिपाही बैठे आराम से बैठे थे। घर पर पुलिस का छापा पड़ा देखकर हृदय जोर-जोर से धड़कने लगा- ‘ईश्वर भला करें।’ पुलिस की कहीं भी उपस्थिति किसी दुर्घटना, खतरे या बुरी खबर होने का अपशकुन है। घर में प्रवेश करते ही भैया बतात...
Rabbit on the moon: चांद पर खरगोश
खरगोश को खाली हाथ लौटते देख उससे तीनों मित्रों ने पूछा, ‘अरें! तुम क्या दान करोगे? आज ही के दिन दान करने से महादान का लाभ मिलेगा, पता है न तुम्हें।’ खरगोश ने कहा, ‘हां, मुझे पता है, इसलिए आज मैंने खुद को दान करने का फैसला लिया है।’
हीरों का सच
एक बार राजा कृष्णदेवराय दरबार में बैठे मंत्रियों के साथ विचार विमर्श कर रहे थे कि तभी एक व्यक्ति उनके सामने आकर कहने लगा, ‘महाराज मेरे साथ न्याय करें। मेरे मालिक ने मुझे धोखा दिया है। इतना सुनते ही महाराज ने उससे पूछा, तुम कौन हो? और तुम्हारे साथ क्य...
पिकनिक बच्चों को प्यारी
पिकनिक बच्चों को प्यारी
पापा मानों बात हमारी,
पिकनिक की कर लो तैयारी।
बोर हो गये पढ़ते-पढ़ते,
ढ़ोते बस्ता भारी-भारी।।
आफिस का मत करो बहाना,
कल संडे छुट्टी सरकारी।
मम्मी तुम भी अभी बना लो,
खाने-पीने की चीजें सारी।
लेटेंगे हम नरम घास पर,
छुपम-छु...
काला रंग
फिर क्या हुआ मैं काला हूं?
बाकी रंगों से खुशनसीब वाला हूं!
काले रंग के बोर्ड पर सफेद अक्षर को बिखेरने वाला हूं,
कल तुम्हारा भविष्य में ही निहारने वाला हूं!
फिर क्या हुआ मैं काला हूं बाकी रंगों से अधिक खुश नसीब वाला हूं!
तुम्हारी फसलों को मैं बचा...
गोटू और मोटू
गोटू और मोटू जोकर डंबो सर्कस में काम करते थे। वे दोनों अच्छे मित्र थे। गोटू बहुत लंबा और पतला था, जबकि मोटू छोटा व मोटा था। एक दिन गोटू और मोटू सर्कस में करतब दिखा रहे थे। गोटू हवा में साबुन के बुलबुलों को पकड़ने की कोशिश कर रहा था। यह देख कर बच्चे हँ...