कबीर दास जी के दोहे
निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय,
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।
माला फेरत जु...
गजल : ग़रीबों को फ़क़त, उपदेश की घुट्टी पिलाते हो
गरीबों को फ़क़त, उपदेश की घुट्टी पिलाते हो
बड़े आराम से तुम, चैन की बंसी बजाते हो
है मुश्किल दौर, सूखी रोटियाँ भी दूर हैं हमसे
मज़े से तुम कभी काजू, कभी किशमिश चबाते हो
नज़र आती नहीं, मुफ़लिस की आँखों में तो ख़ुशहाली
कहाँ तुम रात-दिन, झूठे उन्हें स...
शिशुगीत
अब चुहिया ने सुंदर-सुंदर
सूट सिलाया लाल,
ठुमक-ठुमक कर चलती है वो
ऊँची सैंडिल डाल।
गिरी फिसल के बीच सड़क पर
बड़ा बुरा था हाल,
समझ गयी थी बहुत बुरा है
इस फैशन का जाल
सुनीता काम्बोज, यमुनानगर
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitte...
प्रधानमंत्री का प्रकृति प्रेम, मोर मांगे मोर
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राकृति से बहुत लगाव रखते हैं इसका अहसास वह पहले भी कई मौकों पर करा चुके हैं और इसी कड़ी में उनकी नयी बानगी दिल को भाव विभोर करती है। मोदी ने रविवार को अपने इंस्टाग्राम एकाउंट पर एक मिनट 47 सेकेंड का एक वीडियो पोस...
गजल : जो व्यवस्था भ्रष्ट हो, फ़ौरन बदलनी चाहिए
जो व्यवस्था भ्रष्ट हो, फ़ौरन बदलनी चाहिए
लोकशाही की नई, सूरत निकलनी चाहिए
मुफ़लिसों के हाल पर, आंसू बहाना व्यर्थ है
क्रोध की ज्वाला से अब, सत्ता बदलनी चाहिए
इंकलाबी दौर को, तेज़ाब दो जज़्बात का
आग यह बदलाव की, हर वक्त जलनी चाहिए
रोटियाँ ईमान ...
गजल : थरथरी-सी है आसमानों में
थरथरी-सी है आसमानों में,
ज़ोर कुछ तो है नातवानों में।
कितना खामोश है जहाँ, लेकिन,
इक सदा आ रही है कानों में।
हम उसी ज़िंदगी के दर पर हैं,
मौत है जिसके पासबानों में।
जिनकी तामीर इश्क़ करता है,
कौन रहता है उन मकानों में।
हमसे क्यों तू है ...
बड़ा कौन
एक गुरु अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे। अचानक एक शिष्य ने सख्त चट्टान को देखकर उनसे प्रश्न किया, ‘‘क्या इससे भी कठोर कुछ हो सकता है?’’ गुरु ने उत्तर नहीं दिया बल्कि यही प्रश्न शिष्य मंडली से पूछने लगे।
एक ने कहा, ‘‘लोहा चट्टान से भी कठोर है, जो ...
लघुकथा : असर
पति-पत्नी दोनों ही समाज सेवा के कार्य करते हैं। शहर में अच्छी धाक है दोनों की। रोज सभा में जाते हैं। नारी चेतना, नारी शक्ति दहेज विरोधी धुआँधार भाषण देते हैं।
इकलौता बेटा ऐसे ही माहौल में बड़ा होने लगा। अब वे दोनों बेटे के विवाह के सपने देखने लगे। मन...
रिमझिम बरस रहा है पानी
छम-छम करती हँसती-गाती,
नभ से उतरी बरखा रानी।
भीनी-भीनी मधुर फुहारें,
ठंडी-ठंडी जल की धारें,
हरी दूब फिर मचल रही है
ज्यों धरती का आँचल धानी।
बिजली कहो, कहाँ से आती
नभ में कौन परी है गाती,
रंग-रंगीली परी कथाएँ
सुना रही है प्यारी नानी।
भ...
एक दाना और
गल्ले के व्यापारी ने पहली बार छोटे से बेटे को थड़े पर चढ़ाया। बोला-‘‘देख ले, यह है तेरा ठीहा। उठाले तराजू औरये बाट। जाँच-परख ले डंडी... कान-खोट तो नहीं है? अब एक पल्ले में रख सौ ग्राम का बाट और दूसरे में गेहूँ का एक-एक दाना डालना शुरू कर दे। ध्यान रखना...