बाल कथा : संतोष की महत्ता
जीवन में संतोष है तो सब कुछ है। संतोष नहीं तो सब कुछ होने पर भी मनुष्य के पास कुछ नहीं। जीवन को सुखमय बनाने के लिए संतोष आवश्यक है। जीवन का लक्ष्य भौतिकवाद नहीं है जबकि मनुष्य हमेशा भौतिक पदार्थों को इक्ट्ठा करने में ही लगा रहता है। भौतिकवाद तो एक अं...
Solar Eclipse: सूर्य ग्रहण का डर, कई राज्यों के शहराें में स्कूल बंद, देखे यहां…
school holidays: 2024 का पहला सूर्य ग्रहण अगले महीने लगने जा रहा है, यानि इस साल का पहला सूर्यग्रहण 8 को दिखाई देगा, ये सूर्य ग्रहण कई देशों में दिखाई देगा लेकिन अमेरिका में इसे सबसे ज्यादा साफ तरीके से देखा जा सकेगा। इसलिए अमेरिका की सरकार ने देश के...
India VS Bharat Row: कैसे हुआ भारत से ‘इंडिया’ ? आज यह कहानी जानेंगे हम
डॉ संदीप सिंहमार, वरिष्ठ लेखक एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार । Bharat VS India Renaming Row: भारत संघ के नाम इंडिया पर वर्तमान में जो बहस चल रही है,इसकी कहानी सदियों पुरानी है। वैसे तो हमारे देश का नाम भारत, हिंदुस्तान से लेकर भारतखंड, भारतवर्ष, आर्यावर्त,ह...
10+2 के बाद यहां मिलेगा ‘रोजगार’
10+2 यानी एचएससी पास करने के बाद ही विभिन्न क्षेत्रों
में खुलते हैं अवसर | Employment
करियर (Employment) बनाने के लिहाज से जून-जुलाई का महीना बेहद अहम माना जाता है। इन दो महीनों में जहां एसएससी, एचएससी, सीबीएसई, आईसीएसई, आईएससी और यूपीएसई एवं आईआईट...
गजल : थरथरी-सी है आसमानों में
थरथरी-सी है आसमानों में,
ज़ोर कुछ तो है नातवानों में।
कितना खामोश है जहाँ, लेकिन,
इक सदा आ रही है कानों में।
हम उसी ज़िंदगी के दर पर हैं,
मौत है जिसके पासबानों में।
जिनकी तामीर इश्क़ करता है,
कौन रहता है उन मकानों में।
हमसे क्यों तू है ...
mother’s day: मातृ शक्ति को प्रणाम, नमन
सबसे पहले मातृ शक्ति को प्रणाम, नमन। ये ऐसा दिन होता है, जो हमें अपनी माँ के प्रति आभार प्रकट करने का मौक़ा देता है
🙏 उस माँ के लिए कोई एक दिन क्या करें समर्पित, जो आठों पहर अपने बच्चे की हर बला अपने सिर पर लेने को तैयार रहती हो ।
👍...
बचपन
मैं बचपन को बुला रही थी
बोल उठी बिटिया मेरी,
नंदन-वन सी फल उठी वह
छोटी-सी कुटिया मेरी।
‘माँ ओ’ कहकर बुला रही थी
मिट्टी खाकर आई थी,
कुछ मुँह में, कुछ लिए हाथ में
मुझे खिलाने लाई थी।
मैंने पूछा-यह क्या लाई?
बोल उठी वह-‘माँ काओ’,
फूल-फूल मैं उ...
बच्चों को बनाएं समझदार और मिलनसार
ब च्चे अपने माता-पिता को देखकर ही सब कुछ सीखते है जैसे चलना-बैठना, बोलना, खाना-पीना इत्यादि। बच्चों के लिए उनके माता-पिता हमेशा उनके उदहारण होते हैं, कभी-कभी मुसीबत पड़ने पर वो उनके द्वारा बताए गए मार्गदर्शन का पालन भी करते हैं, और बच्चों को छोटी उम्र...
लालच का अंत
एक किसान के खेत से जादुई टब निकला। उसमें विचित्र गुण था। उसमें कोई एक चीज डालने पर वैसी ही सौ चीजें निकल आती थीं। किसान ने उस टब में लीची का एक पौधा डाला। थोड़ी देर में टब से लीची के सौ पौधे निकल आए। इसी तरह वह अनेक चीजों का ढेर लगाकर समृद्ध हो गया।
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अकबर इलाहाबादी शायरी
बस जान गया मैं तिरी पहचान यही है
तू दिल में तो आता है समझ में नहीं आता
ख़ुदा से माँग जो कुछ माँगना है ऐ 'अकबर'
यही वो दर है कि ज़िल्लत नहीं सवाल के बाद
जब मैं कहता हूँ कि या अल्लाह मेरा हाल देख
हुक्म होता है कि अपना नामा-ए-आमाल देख
अकबर इ...