कहानी : वीरता पुरस्कार
फौजी संतराम के घर से पत्र आया था। एक पत्र ही तो है जो दूर देश की सीमा पर डटे प्रहरियों को उनके घर वालों से जोड़े रखता है। ये पत्र जब खुलते हैं तब कभी फौजियों के चेहरे खुशी से चमक उठते हैं, कभी दुख में डूब जाते हैं।
फौजी संतराम को अक्सर उसकी पत्नी और ...
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे वीर कुंवर सिंह
एक नजर
नाम वीर कुंवर सिंह
अन्य नाम बाबू कुंवर सिंह
जन्म तारीख नवम्बर 1777
जन्म स्थान शाहाबाद (वर्तमान भोजपुर)
पिता का नाम राजा शाहबजादा सिंह
मृत्यु 26 अप्रैल 1858
वीर कुंवर सिंह मालवा के सुप्रसिद्ध शासक महाराजा भोज के वंशज थे। कुँवर सिंह के पा...
Nazran da Noor: नजरां दा नूर
अंधेरे को चीरती गोल रोशनी अपने गंतव्य की ओर भागी जा रही थी। रिटायर्ड मेजर सरदार गुलबाग सिंह। नियम और उसूलों के पक्के। सुबह चार बजे नहीं कि लेफ्ट-राइट शुरू। वह अपनी चाय बनाकर पी चुके हैं। खिड़की पर बूंदों की दस्तक ने सन्नाटा तोड़ा। निगाहें उस पार देखने ...
‘मैसूर का शेर’ टीपू सुल्तान
टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवम्बर 1750 को दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक के मैसूर देवनाहल्ली में हुआ था। इनका पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था। योग्य शासक के अलावा टीपू एक विद्यवान और एक कुशल सेनापति थे। इनके पिता का नाम हैदर अली और मां का नाम फकरुन...
बाल कथा : संतोष की महत्ता
जीवन में संतोष है तो सब कुछ है। संतोष नहीं तो सब कुछ होने पर भी मनुष्य के पास कुछ नहीं। जीवन को सुखमय बनाने के लिए संतोष आवश्यक है। जीवन का लक्ष्य भौतिकवाद नहीं है जबकि मनुष्य हमेशा भौतिक पदार्थों को इक्ट्ठा करने में ही लगा रहता है। भौतिकवाद तो एक अं...
Love Animals: पशुओं से प्यार
तुम इस पिल्ले को मुझे दे दो, बदले में जो चाहो ले लो। मालिक की बात सुनकर रतन बोला, मालिक, यह पिल्ला तो मुझे जान से भी ज्यादा प्यारा है और मेरे परिवार का हिस्सा है
कहानी: पेरेंटस बनें टीनएजर्स बच्चों के मददगार
जहां गलती करें, प्यार से उन्हें समझाएं ताकि उन्हें अहसास हो कि माता पिता ठीक कह रहे हैं अपनी मर्जी थोपे नहीं बल्कि उसकी भलाई बुराई से वाकिफ कराएं।
हुआ उजाला
अंधकार की काली चादर,
धरती पर से सरकी।
हुआ उजाला जग में कोई,
बात नहीं है डर की।
चींचीं चींचीं चिड़िया बोली,
डाली पर कीकर की।
कामकाज बस शुरू हो गया,
सबने खटर-पटर की।
लाया है अखबार खबर सब,
बाहर की, भीतर की।
घंटी बजी, दूध मिलने में,
द...
अकेली लड़की
जी सुनती हो’ सुलभ ने शैलजा के लिए आवाज लगाई थी। ‘अभी आयीं।’ बोलिए, शैलजा कमरे में पहुँचते ही कहा था। ‘अरे भाई, कुछ पल तो अजीत के साथ भी बीता लो, बेचारा विदेश से आया है। जल्द ही लौट जाएगा, इतना समय कहां है। कोई घर आया है तो तुम्हें फुर्सत ही नहीं मिलत...
बाल कथा : संतोष
चाणक्य मगध देश के राजा चन्द्रगुप्त के मंत्री थे। वे बुद्धिमान, तपस्वी और राजनीतिज्ञ थे। चाणक्य मंत्री होते हुए भी बहुत साधारण जीवन व्यतीत करते थे और शहर से बाहर एक झोंपड़ी में रहते थे। एक बार राजा चन्द्रगुप्त ने मंत्री चाणक्य को कुछ कंबल दिए और कहा-इन...