कविता : एक कहूँ एक, दो कहूँ दुआ
एक कहूँ एक, दो कहूँ दुआ,
रटवाती थी हमको बुआ।
टू वन जा टू, टूटू जा फोर,
लगता यारों कितना बोर।
क से कबूतर, ख से खरगोश,
पढ़कर हुआ गुड्डू बेहोश।
ए फॉर एप्पल, बी फॉर बैट,
मोटू नहीं सन्नी बोलो फैट।
उतरी हिन्दी की पगड़ी,
पहनी हमने अंग्रेजी तग...
लघुकथा: अपने मनोबल को कभी कमजोर मत होने दो
एक बार एक मेढ़क का समूह जंगल में घूम रहा था। तभी अचानक उन समूह में से दो मेढ़क एक गहरे गड्ढे में गिर गये। जब उनके साथी दूसरे मेढ़कों ने उन्हें गहरे गड्ढे में गिरे हुए देखा तो वे बोले की आप इस गड्ढे से बाहर नहीं निकल सकते और अब आप अपनी मौत के बहुत नजदीक ...
और कितने दूर
सोमली रात से ही व्याकुल थी। करवट बदल-बदलकर उसने रात काटी। उसकी इस दशा को उसकी सास ने ताड़ लिया था। वह भी उससे दो-चार हाथ दूर ही सोयी हुई थी। काफी देर तक वह कुछ बोली नहीं। यूं भी अपनी इस बहू को वह कुछ कहना ठीक नहीं मानती थी, पढ़ी-लिखी होने के कारण। इस व...
जैसा संग वैसा रंग
एक बाजार में एक तोता बेचने वाला आया। उसके पास दो पिजरें थे। दोनों में एक-एक तोता था। उसने एक तोते का मूल्य रखा था पाँच सौ रुपये और एक का रखा था पाँच आने। वह कहता था कि कोई पहले पाँच आने वाले को लेना चाहे तो ले जाए, लेकिन कोई पहले पाँच सौ रुपये वाले क...
उमर शेख की ईमानदारी
बाबर का पिता समरकंद का शासक उमर शेख नेक दिल, अत्यंत ईमानदार व न्यायप्रिय था। एक बार चीनी यात्रियों का एक जत्था पूर्व से पश्चिम की यात्रा पर था। लेकिन उसमें से अनेक लोग बर्फीले तूफान में फंसकर खत्म हो गए।
और उनका धन व सामान उमर शेख के राज्य की सीमा म...
लघुकथा : एक गिलास दूध की कीमत
एक दिन, एक गरीब लड़का जो स्कूल के बाद घर-घर जाकर सामान बेच रहा था, उसने पाया कि उसके पास केवल कुछ पैसा ही बचा है, और वह भूखा था। उसने तय किया कि वह अगले घर पर खाना मांगेगा। हालांकि, जब एक युवती ने दरवाजा खोला, तो उसने संकोच वश भोजन के बदले पानी मांगा।...
किसान : Poem
करके मेहनत कड़ी किसान,
देता सबको रोटी दान।
गरमी-सरदी से कब डरता,
खेतों में रखवाली करता।
आँधी, वर्षा या तूफ़ान,
निडर जुटा है सीना तान।
मेहनत करना हमें सिखाए,
सच्चाई की राह दिखाए।
रहता उजले-उजले मन का,
सच्चा सेवक यही वतन का।
नरेन्द्र अत्री ‘संत...
Smiling Life : मुस्कुराता जीवन
शडियन एक मामूली जमींदार था किंतु वहां का जमींदार उसे अपने बड़े भाई की तरह मानता था। इस बात से सारा कांचीपुरम परिचित था। लोग खुलेआम कई प्रकार से विरोध भी प्रकट करते रहते परंतु जमींदार अपनी बात को समझाने की अपेक्षा हंसते हुए उनको समदृष्टि रखने का उपदेश ...
सेवा की परीक्षा
अपने शिष्यों की परीक्षा के उद्देश्य से एक बार गुरु नानक देव जी ने कांसे का अपना कटोरा कीचड़ से भरे गड्ढे में फेंक दिया। इसके बाद उन्होंने शिष्यों को आदेश दिया कि वे गड्ढे में घुस कर उनका कटोरा वापस लेकर आएं। कीचड़ में सन जाने के डर से कोई शिष्य कटोरा ल...
कुशल व बहादुर शासिका थी ‘रानी दुर्गावती’
जीवन परिचय (Rani Durgavati)
नाम रानी दुर्गावती
जन्म स्थान कालिंजर दुर्ग
पिता का नाम कीरतराय
पति का नाम दलपत शाह
बेटे का नाम वीर नारायण
मृत्यु स्थान जबलपुर
रानी दुर्गावती का नाम भारत की उन महानतम वीरांगनाओं की सबसे अग्रिम पंक्ति में आता है जि...