लालच बुरी बला है
'हे भगवान, इस वन में अकाल पड़े, सूखा पड़े और बाढ़ आए ताकि वन के जानवर तबाह और बरबाद हो जाएं,' सुंदर वन का महाराज खैरातीलाल सियार रोज भगवान की मूर्ति के आगे हाथ जोड़कर यही प्रार्थना करता था।
एक दिन जब वह यही प्रार्थना कर रहा था तो उसकी पत्नी बोली, ‘तुम क...
मोह
पिताजी अब नहीं रहे। बस, अस्सी साल की बूढ़ी माँ है। उसे यह घर छोड़ना होगा। हफ्ते भर से बेटा आया हुआ है। माँ को ले जाने से पहले उसे सारा सामान ठिकाने लगाना है, लेकिन कैसे लगाए? जिस अलमारी को खेलों, वहीं पर सामान मुंबई की लोकल ट्रेन की तरह ठुंसा पड़ा है। ब...
बच्चों का पढ़ाई में मन लगाने के आसान उपाय
यूं तो बच्चों का मन पढ़ाई में न लगना सामान्य है, लेकिन अगर यह समस्या अत्यधिक हो, तो माता-पिता के लिए चिंता का कारण भी बन जाता है। बच्चों की पढ़ाई को लेकर माता-पिता का चिंतित होना गलत भी नहीं है, क्योंकि हर पेरेंट्स अपने बच्चों का उज्ज्वल भविष्य चाहते ह...
कहानी : बाग का माली
लेखक: आंनद बिल्थरे
वैभव ने, बी.एस.सी. की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास कर ली थी। वह आगे पढ़ना चाहता था, किंतु वीनू से घर की स्थिति और केशव का टूटता स्वास्थ्य छिपा नहीं था। वीनू, चाहती थी कि वैभव, अब कहीं भी छोटी-मोटी नौकरी कर केशव का हाथ बंटाए। वीनू की...
बच्चे समाज के भविष्य का दर्पण
बच्चे किसी भी देश व समाज के भविष्य का दर्पण होते हैं। आजकल के आधुनिक युग में बच्चों के स्वभाव में उग्रता में वृद्धि, छोटी-छोटी बातों में चिड़चिड़ापन, उतावलापन, अनावश्यक बहस करना एवं अपने भाई, बहन व दोस्तों से झगड़ना आदि आदतें देखने को मिल रही हैं। बच्चे...
अकबर इलाहाबादी शायरी
बस जान गया मैं तिरी पहचान यही है
तू दिल में तो आता है समझ में नहीं आता
ख़ुदा से माँग जो कुछ माँगना है ऐ 'अकबर'
यही वो दर है कि ज़िल्लत नहीं सवाल के बाद
जब मैं कहता हूँ कि या अल्लाह मेरा हाल देख
हुक्म होता है कि अपना नामा-ए-आमाल देख
अकबर इ...
बचपन
मैं बचपन को बुला रही थी
बोल उठी बिटिया मेरी,
नंदन-वन सी फल उठी वह
छोटी-सी कुटिया मेरी।
‘माँ ओ’ कहकर बुला रही थी
मिट्टी खाकर आई थी,
कुछ मुँह में, कुछ लिए हाथ में
मुझे खिलाने लाई थी।
मैंने पूछा-यह क्या लाई?
बोल उठी वह-‘माँ काओ’,
फूल-फूल मैं उ...
बीरबल की बुद्धिमत्ता
महान मुगल सम्राट अकबर के दरबार में बीरबल उनके नौ रत्नों में से एक थे। वे अपनी हाजिर जवाबी के लिये प्रसिद्ध थे। बातों-बातों में वे अपनी तीव्र बुद्धि और सूझबूझ से समस्या का समाधान कर देते थे। बादशाह को बीरबल की बुद्धिमता पर गर्व था। अकबर बादशाह हास्य व...
Studies : पढ़ाई
मार्कशीट और सर्टिफिकेट को फैलाए उसके ढेर के बीच बैठी कुमुद पुरानी बातों को याद करते हुए विचारों में खोई थी। सारी पढ़ाई, मेहनत और खर्च उस दिन उसे व्यर्थ लग रहा था। पागलों की तरह पहला नंबर लाने के लिए रात-दिन मेहनत करती, पहले नंबर की बधाई के साथ मिलने व...
बाल कहानी: नाच न जाने आंगन टेढ़ा |
प्राँजली की आदत थी कि वह छोटी से छोटी बात को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बोलती थी। क्लास में कोई भी ऐसा बच्चा नहीं था, जिसका वह मज़ाक नहीं उड़ाती थी। कई बार तो उसके दोस्त नाराज हो जाते थे और कई बार हँसकर टाल देते थे। पर ज्यादा समय तक कोई भी उससे गुस्सा रह भी नहीं प...