हुआ उजाला
अंधकार की काली चादर,
धरती पर से सरकी।
हुआ उजाला जग में कोई,
बात नहीं है डर की।
चींची चींचीं चिड़िया बोली,
डाली पर कीकर की।
कामकाज बस शुरू हो गया,
सबने खटर-पटर की।
लाया है अख़बार ख़बर सब,
बाहर की, भीतर की।
घंटी बजी, दूध मिलने में,
दे...
बच्चों की काल्पनिक दुनिया है, खिलौने
बच्चे के जीवन में खेल का समय अत्यंत ही आनंद उठाने वाला होता है। खेल के क्रियाकलापों में खिलौने बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और ये खिलौने सिर्फ नाममात्र के लिए खेल की वस्तुएँ नहीं होतीं। बल्कि वे बच्चे के जीवन के कार्यों की पूर्ति करते हैं। विभिन्...
बड़ो की डांट भी दुलार
पापा: ये क्या है। दादाजी ने सारे आॅफिस के सामने आपको डांटा और आप चुपचाप सुनते रहे। मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। आप भी कंपनी में सारे कामकाज देखते हैं, क्या हुआ जो गलती से आर्डर इधर-उधर हो गया। आॅफिस में सभी आपका सम्मान करते हैं। ऐसे सबके सामने वो आपक...
अपने बच्चों को शर्मीलेपन से रखें दूर
बच्चों का कितना शर्मीलापन ज्यादा माना जाता है?
बच्चे का ज्यादा या कम शर्माना जैसा कुछ नहीं हैं। अगर आपका बच्चा शर्मीला है और यह बात आपको या बच्चे को परेशान नहीं कर रही है तो कोई बड़ी बात नहीं है। जो बच्चे शर्मीले होते हैं, वे बेहतर श्रोता बनते हैं और...
संघर्ष भरे जीवन की अजीब दास्तां
‘‘भविष्य की तो कौन जानता है, पर किशोरवय की चंचलता के कारण उन्हें कई बार मां की ही नहीं, पिता की भी डांट खानी पड़ती। मां-पिता भविष्य देखते थे और वे किशोरियां वर्तमान, जिसमें भरे होते सपने-ही-सपने। असत्य तो उन सपनों के बीच समाता ही न था। हर लड़का राजा, ह...
लालच का नतीजा
हे भगवान, इस वन में अकाल पड़े, सूखा पड़े और बाढ़ आए ताकि वन के जानवर तबाह और बरबाद हो जाएं,' सुंदर वन का महाराज खैरातीलाल सियार रोज भगवान की मूर्ति के आगे हाथ जोड़कर यही प्रार्थना करता था। एक दिन जब वह यही प्रार्थना कर रहा था तो उसकी पत्नी बोली, तुम क्यो...
लघुकथा: सब कुछ तुम्हारे हाथ में है!
एक आदमी रेगिस्तान से गुजरते वक्त बुदबुदा रहा था, कितनी बेकार जगह है ये, बिलकुल भी हरियाली नहीं है और हो भी कैसे सकती है। यहां तो पानी का नामो-निशान भी नहीं है। तपती रेत में वो जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा था उसका गुस्सा भी बढ़ता जा रहा था। अंत में वो आसमान की...
सुनाओ एक ऐसी कहानी
उनकी दयनीय दशा देखकर मणिपाल ने बुद्धराम की पत्नी से हंसते हुए पूछा-अब बताओ मामी कि तुम्हारी कहानी वाली शर्त पूरी हुई कि नहीं? जो कहानी मैंने चलाई है, वह तुमने कभी सुनी नहीं होगी। इसके शुरू होने के पहले मैं भी इसके बारे में कुछ नहीं जानता था।
माता कभी कुमाता नहीं होती
मां! पता नहीं क्यों, तू हर समय मुझे डांटती रहती है। अब मैं बड़ा हो गया हूं। तेरी प्रताड़ना मुझे अखरती है। हां रे सोहन? मंै तो भूल गयी थी...अच्छा याद दिलाया। अब तो तू बड़ा हो गया है। मैं तो शायद उतनी की उतनी ही हूं । ...तेरे और मेरे में अन्तर जरूर घट गया...
छोटे बच्चे ऐसे बढ़ाये अपना दिमाग
नमस्कार दोस्तो, आज के ‘सच कहूँ’ कॉलम में हम आपको बताने जा रहे है कि किस तरह आप अपने बच्चों के दिमाग को कैसे बढ़ा सकते है। इस कालम में हम आपको बताएंगे कि किस तरह से आप अपने बच्चों के दिमाग को खेल खेल में ही आसानी से बढ़ा सकते है। बच्चों के दिमाग को कैसे...