माँ ही है इस संसार में साक्षात परमात्मा
लड़का एक जूते की दुकान पर आता है, गांव का रहने वाला लग रहा था बोलने के लेहजे से लेकिन बोली में ठहराव था उसके। दुकानदार की पहली नजर उसके पैर पर जाती है। उसके पैरों में लेदर के शूज थे, सही से पॉलिश किए हुए।दुकानदार —क्या सेवा करूं? लड़का — मेरी मां के लि...
खूब लड़ी मर्दानी…
साल 1858 में जून का 17वां दिन था जब खूब लड़ी मदार्नी, अपनी मातृभूमि के लिए जान देने से भी पीछे नहीं हटी।(Jhansi ki Rani)
‘‘मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी’’ अदम्य साहस के साथ बोला गया यह वाक्य अब तक हमारे कानों में गूंज रहा है। सोने की चिड़िया कहे जाने वाले...
सुनाओ एक ऐसी कहानी
उनकी दयनीय दशा देखकर मणिपाल ने बुद्धराम की पत्नी से हंसते हुए पूछा-अब बताओ मामी कि तुम्हारी कहानी वाली शर्त पूरी हुई कि नहीं? जो कहानी मैंने चलाई है, वह तुमने कभी सुनी नहीं होगी। इसके शुरू होने के पहले मैं भी इसके बारे में कुछ नहीं जानता था।
लघुकथा : एक गिलास दूध की कीमत
एक दिन, एक गरीब लड़का जो स्कूल के बाद घर-घर जाकर सामान बेच रहा था, उसने पाया कि उसके पास केवल कुछ पैसा ही बचा है, और वह भूखा था। उसने तय किया कि वह अगले घर पर खाना मांगेगा। हालांकि, जब एक युवती ने दरवाजा खोला, तो उसने संकोच वश भोजन के बदले पानी मांगा।...
अकेली लड़की
अजी सुनती हो’ सुलभ ने शैलजा के लिए आवाज लगाई थी। ‘अभी आयीं।’ बोलिए, शैलजा कमरे में पहुँचते ही कहा था। ‘अरे भाई, कुछ पल तो अजीत के साथ भी बीता लो, बेचारा विदेश से आया है। जल्द ही लौट जाएगा, इतना समय कहां है। कोई घर आया है तो तुम्हें फुर्सत ही नहीं मिल...
प्रेरक प्रसंग: जरूरतमंद को अपनी क्षमता अनुसार शरण दीजिए
एक गरीब आदमी की झोपड़ी, जहां रात को जोरों की वर्षा हो रही थी। सज्जन था, छोटी सी झोपड़ी थी। स्वयं और उसकी पत्नी, दोनों सोए थे। आधी रात किसी ने द्वार पर दस्तक दी। उन सज्जन ने अपनी पत्नी से कहा-उठ! द्वार खोल दे। पत्नी द्वार के करीब सो रही थी। पत्नी ने कहा...
Chandrayaan-4: चंद्रयान-3 के बाद अब चंद्रयान-4 की तैयारी, इसरो ने दी बड़ी खुशखबरी
मुज्जफरनगर (सच कहूं/अनु सैनी)। Chandrayaan-4: 2023 में चंद्रयान-3 ने इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैड किया था, इसके बाद 14 दिनों तक वह चंद्रमा पर एक्टिव रहा और उसके भेजे गए इनपुट्स के आधार पर कई जांच हुई, जो अब भी कभी-कभी ह...
कविता: मैं किसान हूँ…
हा मैं किसान हूँ
जमीं को चीर कर अन्न उगाने वाला।
खुद की पेट काट कर भी
सबकी भूख मिटाने वाला।
सरकार की बीमार
मानसिकता का
शिकार हो कर भी पेट भरने वाला
आय दोगुनी का लॉलीपॉप दे कर ।
एक्ट ला हमें खत्म करने वाली
सरकार के खिलाफ है हम
न हम हिंदुस्ता...
माता कभी कुमाता नहीं होती
मां! पता नहीं क्यों, तू हर समय मुझे डांटती रहती है। अब मैं बड़ा हो गया हूं। तेरी प्रताड़ना मुझे अखरती है। हां रे सोहन? मंै तो भूल गयी थी...अच्छा याद दिलाया। अब तो तू बड़ा हो गया है। मैं तो शायद उतनी की उतनी ही हूं । ...तेरे और मेरे में अन्तर जरूर घट गया...
लघु कथा : रिया का स्वाभिमान
रिया कमरे के एक कोने में पड़ी सिसक रही थी। कल रात पहली बार राहुल ने उस पर हाथ उठाया था। खता क्या थी उसकी? बस यही न कि उसने राहुल के देर रात घर लौटने की वजह पूछ ली थी। इस जरा से सवाल पर राहुल अपना आपा खो बैठा और गालियों की बौछार शुरू कर दी। ऊपर जाते हु...