First Rain On Earth: भरोसा नहीं होगा, डायनासोरों की बादशाहत से पहले, 20 लाख साल तक लगातार हुई थी बारिश!
First Rain On Earth: डॉ. संदीप सिंहमार। पृथ्वी पर इंसान ही नहीं डायनासोर की बादशाहत से पहले एक ऐसा दौर रहा है कि यहां लाखों वर्षों तक लगातार बारिश होती रही। हाल ही में हुए एक रिसर्च में ऐसा दावा किया गया है की करोड़ों वर्ष पहले पृथ्वी पर ऐसी घटना घटी...
कहानी: बहू का दर्द
Story: जाने क्यों आज अपने बेटे प्रतीक का पक्ष ले रही सीमा को मन ही मन दुख हो रहा था अपनी बहू तारा के लिए। क्योंकि वो गलत का साथ दे रही थी। ऐसे पति के साथ कोई रह भी कैसे सकता है? बस सीमा तो अपने बेटे कि उजड़ती गृहस्थी को नहीं देख पा रही थी इसलिए अपने ब...
थ्री इन वन एक साथ, कि पूनम रात सुहानी…
आई कार्तिक दिखी चतुर्दिक, नूर भरी बरसात।
युवा रूप में ‘एमएसजी’, थ्री इन वन एक साथ।
थ्री इन वन एक साथ, कि पूनम रात सुहानी।
नूर इलाही की ये भी, कहे एक कहानी।
आज खुशी में मस्ती में, झूम रहा है हर इक।
करने हमें निहाल, बेमिसाल आई कार्तिक।।
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नाच उठी हैं खुशी में रूहें ….
कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन लिया सच्चे दाता रहबर साईं जी ने अवतार जी।
नाच उठी हैं खुशी में रूहें और सब दिलों में छाई उमंगों की अजब बहार जी।
नूरे खुदाई की हर अदा इलाही ओजस्वी वाणी व परम् सादगी अपार जी।
जिन मौला दाता ने कुल आलम को दिखाई जीने की सच्च...
सृष्टि की धुरी, सदा संभालें सन्त…
संत सनातन आदि युग, सृष्टी का आगाज।
संत सदा परहित रहें, सदा संवारें काज।
सदा संवारें काज, राज कहा तुलसी जी ने।
दीन्हे कानन हाथ, उन्हें हम भी नहीं चिन्हे।
उन बिन सब प्रलय गह्यो, सब विनशै सब अन्त।
‘बघियाड़’ सृष्टि की धुरी, सदा संभालें सन्त।।
स्वांती बूंद दर्श की देकर खत्म करी प्रतीक्षा…
इच्छा प्रति आपके, प्रतीक्षा में आहें!
पल प्रतिपल हरपल तुम्हें, अपलक निहारें राहें!
अपलक निहारें राहें, चाहें नयन चकोरे!
अपने रंग रंगरेज रंगो, हम रह जाएं न कोरे!
जो चाहो करवाते रहना, देना ऐसी शिक्षा!
स्वांती बूंद दर्श की देकर खत्म करी प्रतीक्...
सूरज निकलने वाला है…
सूरज निकलने वाला है कि भोर हो रहा है
चिड़ियों का चहचहाना चहूं ओर हो रहा है
ये चिह्न हैं आगाज-ए-सनम के
और लोग कह रहे हैं कि शोर हो रहा है।
हर बात के पीछे कोई बात होती है-2
कोई पर्दानशीं होता है जब रात होती है।
कुछ हस्तियाँ ऐसी होती हैं कि
लाख ...
महक रहा है आलम दम-दम, रौनक लगी फिजाओं में … Saint Dr MSG
महक रहा है आलम दम-दम, रौनक लगी फिजाओं में।
यूं लगता है फूल बिखेरे, सृष्टि उनकी राहों में।
सृष्टि उनकी राहों में अब तोरण द्वार बनाए हैं।
दिल अजीज वो पिया हमारे, अहो भाग हैं आए हैं।
मद मय मानिन्द मलय पवन, छोह से उनकी बहक रहा।
हर्ष हिलोरें ...
कह रही है ये हवा, आ रहे शाहों के शाह
धरा पर आकाश नन्हीं बूंद क्यों बरसा रहा?
शीतल मंद समीर भी सुन!
सन-सन-सन कुछ गा रहा
धरा ने भी हरित परिधान क्यों धारण किया?
बन गई दुल्हन संवर के किससे ये घूंघट किया?
हरित हार श्रृंगार करके किसका इंतजार करती?
अलंकृत हो करके क्यों है खुशी का इजहार...
प्यासी रूहें.. पुकार रही हैं, पिया मेरे कब आओगे
प्यासी रूहें.. पुकार रही हैं, पिया मेरे कब आओगे
दर्शन की ये प्यास ओ रब्बा, आकर तुम्हीं बुझाओगे
तेरे दीवाने, तेरी राहों में फूल बिछाए बैठे हैें
ईद दिवाली साथ मनेगी, आस लगाए बैठे हैें
पतझड़ के इस मौसम में कब बहारें लाओगे??
प्यासी रूहें.. पुकार रही...