Sahitya: विलासिता का दुख!
Sahitya: जब कभी भी किसी विकसित देश में उपलब्ध आम जनसुविधाओं के बारे में सुनता या पढ़ता हूं तो हृदय से हूक उठ जाती है। अब इसका अर्थ आप यह कदापि ग्रहण न करें कि मैं उनकी सुविधा-सम्पन्नता से जल उठता हूं। बिना किसी आत्म प्रवंचना के कहूं तो मुझे यह उनकी वि...
नाच उठी हैं खुशी में रूहें ….
कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन लिया सच्चे दाता रहबर साईं जी ने अवतार जी।
नाच उठी हैं खुशी में रूहें और सब दिलों में छाई उमंगों की अजब बहार जी।
नूरे खुदाई की हर अदा इलाही ओजस्वी वाणी व परम् सादगी अपार जी।
जिन मौला दाता ने कुल आलम को दिखाई जीने की सच्च...
Louis Braille: जिसने नेत्रहीनों के लिए शिक्षा के द्वार खोले
लुई के जीवन ने यह साबित किया कि समर्पण, लगन और संघर्ष से हर बाधा को पार करना संभव
Louis Braille: पेरिस के पास स्थित गांव कूप्रे में एक विशेष दिन का आयोजन हो रहा था। सुबह से ही सरकारी अधिकारी, नेता और स्थानीय लोग गांव की ओर जुट रहे थे। गांव का कब्रिस...