मैं डाकू को डाकू कहने की हिम्मत करने वाला हूँ….
राष्ट्र जागरण के यज्ञ में कविताओं की दी गई आहुति
हरिओम पंवार समेत कई कवियों ने काव्य रस से श्रीताओं को खूब हंसाया | Firozabad News
फिरोजाबाद (सच कहूँ न्यूज़)। Firozabad News: कस्बा सिरसागंज में आयोजित हो रहे तीन दिवसीय विराट आर्य महाकुंभ कार्य...
एक झूठी दिलासा
Jhuthi Dilasa Story: टोनी के पापा चले गए इस संसार से जब तीन साल का था टोनी। ‘‘सबके पापा हैं। मेरे पापा कहाँ हैं। आते नहीं हैं। रामू के पापा तो चले गए थे वो तो आ गए। मिठाइयाँ लाए थे। टॉफियाँ लाए थे। मेरे पापा पता नहीं कब आयेंगे। आयेंगे तो खूब बात करूँ...
Happy Father’s Day : एक ऐसा ‘शब्द’ जिसके बिना किसी के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती!
Happy Father's Day : किसी के भी जीवन में पिता की क्या भूमिका होती है, इसे शब्दों में बयां करने की भी जरूरत नहीं है। पिता हर संतान के लिए एक प्रेरणा हैं, एक प्रकाश हैं और संवेदनाओं के पुंज हैं। इसके महत्व को दर्शाने और पिता व पिता तुल्य व्यक्तियों के ...
कहानी: बहू का दर्द
Story: जाने क्यों आज अपने बेटे प्रतीक का पक्ष ले रही सीमा को मन ही मन दुख हो रहा था अपनी बहू तारा के लिए। क्योंकि वो गलत का साथ दे रही थी। ऐसे पति के साथ कोई रह भी कैसे सकता है? बस सीमा तो अपने बेटे कि उजड़ती गृहस्थी को नहीं देख पा रही थी इसलिए अपने ब...
पावन मुकद्दस महा परोपकार माह का हुआ आगाज़
खण्डो ब्रह्माडो के मालिक हैं शाहों के शाह सतनाम
जिन्हें दुनिया खोजती खोजती मर गई ये हैं वो भगवान।
जिन्हें शाह मस्ताना जी महाराज दो जगवाली ने दिया ऊंचा मुकाम
डेरा सच्चा सौदा क़ी दूसरी पतशाही का उत्तराधिकार किया प्रदान।
और मालिक का रूप कहलाये ...
Literature : मोतीलाल का किशोर बेटा जब घर से निकल गया तो…!
पीलीबंगा, हनुमानगढ़ (निशांत)। मोतीलाल का किशोर बेटा जब घर से निकल गया तो मोतीलाल की पत्नी निर्मला को इतना शोक लगा कि वह बुक्का फाड़कर और माथा पीट-पीटकर रोने लगी। अड़ोसी-पड़ोसी दौड़े आए और धीरज बंधाने लगे- कोई बानही, बबलू घर से ही तो गया है दो चार दिन में ...
बेइंतिहा खुशियाँ बहारें साथ लाए हैं MSG
मेरे साईं सतगुरु MSG दाता आएं हैं।
बेइंतिहा खुशियाँ बहारें साथ लाए हैं।
हम शहंशाह जी के पावन चरण कमलों में ये अर्ज करते हैं।
परमानेंट सदा हमारे साथ रहकर खुशियों के खजाने लुटाने की इल्तजा करते हैं।
बेपरवाह जी के पाक पवित्र अवतार दिवस का पावन M...
हिसाब बराबर
Sahitya: दादाजी, पापा और मानी बाजार गए। मानी बोली, ‘‘पापा। भूख लगी है।’’
पापा बोले-‘‘घर जाकर खाना खाएँगे।’’
उसने पूछा, ‘‘घर कब जाएँगे?’’
दादा हँसे। बोले, ‘‘अभी तो आए हैं।’’
मानी उदास हो गई। बोली, ‘‘तेज भूख लगी है।’’
पापा समझाने लगे, ‘‘बाजार का न...
कहानी: आत्म-मंथन
Story: सुनो सखी रेवा, कैसा जमाना आ गया है? कैसी विक्षिप्त मानसिकता में जी रहे हैं लोग? कैसी विक्षिप्त चाहत है लोगों की? औरत ही जन्म का आधार होती है लेकिन जन्म का आधार ही आधार को जन्म नहीं देना चाहता।
मीनू मेरे पड़ोस में रहती है। तीन बहनों में सबसे बड़...
Sahitya: विलासिता का दुख!
Sahitya: जब कभी भी किसी विकसित देश में उपलब्ध आम जनसुविधाओं के बारे में सुनता या पढ़ता हूं तो हृदय से हूक उठ जाती है। अब इसका अर्थ आप यह कदापि ग्रहण न करें कि मैं उनकी सुविधा-सम्पन्नता से जल उठता हूं। बिना किसी आत्म प्रवंचना के कहूं तो मुझे यह उनकी वि...