‘मैसूर का शेर’ टीपू सुल्तान
टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवम्बर 1750 को दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक के मैसूर देवनाहल्ली में हुआ था। इनका पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था। योग्य शासक के अलावा टीपू एक विद्यवान और एक कुशल सेनापति थे। इनके पिता का नाम हैदर अली और मां का नाम फकरुन...
अकेली लड़की
जी सुनती हो’ सुलभ ने शैलजा के लिए आवाज लगाई थी। ‘अभी आयीं।’ बोलिए, शैलजा कमरे में पहुँचते ही कहा था। ‘अरे भाई, कुछ पल तो अजीत के साथ भी बीता लो, बेचारा विदेश से आया है। जल्द ही लौट जाएगा, इतना समय कहां है। कोई घर आया है तो तुम्हें फुर्सत ही नहीं मिलत...
प्रेरक प्रसंग : अहंकार
ए क गाय घास चरने के लिए एक जंगल में चली गई। शाम ढलने के करीब थी। उसने देखा कि एक बाघ उसकी तरफ दबे पांव बढ़ रहा है। वह डर के मारे इधर-उधर भागने लगी। वह बाघ भी उसके पीछे दौड़ने लगा। दौड़ते हुए गाय को सामने एक तालाब दिखाई दिया। घबराई हुई गाय उस तालाब के अं...
किसान
करके मेहनत कड़ी किसान,
देता सबको रोटी दान।
गरमी-सरदी से कब डरता,
खेतों की रखवाली करता।
आँधी, वर्षा या तूफ़ान,
निडर जुटा है सीना तान।
मेहनत करना हमें सिखाए,
सच्चाई की राह दिखाए।
रहता उजले-उजले मन का,
सच्चा सेवक यही वतन का।
नरेन्द्र अ...
अकेली लड़की
अजी सुनती हो’ सुलभ ने शैलजा के लिए आवाज लगाई थी। ‘अभी आयीं।’ बोलिए, शैलजा कमरे में पहुँचते ही कहा था। ‘अरे भाई, कुछ पल तो अजीत के साथ भी बीता लो, बेचारा विदेश से आया है। जल्द ही लौट जाएगा, इतना समय कहां है। कोई घर आया है तो तुम्हें फुर्सत ही नहीं मिल...
कहानी : दादी मां : Grandmother
राखी से दो दिन पहले ही वजीरचन्द अपनी बहन और जीजा को मनाकर घर ले आया और विदा करते समय कपड़े, मिठाइयां, रुपये इत्यादि देकर उन्हें खुशी-खुशी विदा किया।
खूब लड़ी मर्दानी…
साल 1858 में जून का 17वां दिन था जब खूब लड़ी मदार्नी, अपनी मातृभूमि के लिए जान देने से भी पीछे नहीं हटी।(Jhansi ki Rani)
‘‘मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी’’ अदम्य साहस के साथ बोला गया यह वाक्य अब तक हमारे कानों में गूंज रहा है। सोने की चिड़िया कहे जाने वाले...
कहानी: शिव ने अपने सपनों को लगाए पंख
शिव के माता-पिता उसके स्कूल के शिक्षक के गये एवं उनसे बात करते हैं कि शिव पहले बहुत पढ़ाई करता था लेकिन अब उसका ध्यान ना तो पढ़ाई में और ना ही किसी अन्य कार्यों में लगता है।
Short Story: लघु कथा : वरदान
विचित्र है जीवन के रंग, कब वरदान अभिशाप बन जाए और अभिशाप वरदान, नहीं कहा जा सकता। कुछ महीने पहले एक परिचित की मृत्यु हुई, रात दिन शराब के नशे में धुत रहते थे, अच्छी भली नौकरी थी मगर काम पर नहीं जाते थे, जाते थे तो करने की हालत में ही नहीं होते थे, नश...
Life Success: कविता : जीवन की सफलता…
है जिन्दगी रेगिस्तान की माफिक,
मृगतृष्णा-सी सारे वादें हैं।
सच्चे रिश्ते हैं क्षण-भंगुर,
सबकुछ यहां छलावा है।।...
मुखौटे के पीछे आदम,
सच तो जैसे इक सपना है।
अजनबी-से चेहरे सारे,
कौन यहां पर अपना है?...
कठपुतली के मानिंद हैं सब,
किसकी चलती मर...