कहानी : काव्या
सुलभ के साथ हम कमरे में बैठकर चाय की चुस्कियां ले रहे थे। शाम के पांच बज रहे थे। कमरे में दीवार पर टंगी घड़ी टिक-टिककर अपने मंजिल की तरफ बढ़ रहीं थी। शैलजा भाभी ने चाय और नाश्ता बनाकर टेबल पर रख दिया था। हम दोनों अपनी बातों में मशगूल थे। विदेश में रहने...
Father: पिता
शाह ने खाना पहुँचाने वाले सैनिक से औरंगजेब को अनेकों बार खबर भिजवाई कि वह उससे मिलना चाहता है, पर औरंगजेब एक बार भी मिलने नहीं आया। अब शाह का कलेजा जलता रहता था।
काकोरी कांड: एक चादर के कारण चार क्रांतिकारियों को हुई थी फांसी की सजा
सच कहूँ डेस्क | जंग-ए-आजादी के दौरान सन् 1925 में एक घटना घटी। यह घटना स्वतंत्रता आन्दोलन में मील का पत्थर मानी गई थी क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध युद्ध करने के लिए आवश्यक हथियारों को खरीदने के लिए 9 अगस्त 1925 को ब्रिटिश द्वारा रेल से ल...
ग़जल : तीरो-तलवार से नहीं होता
तीरो-तलवार से नहीं होता
काम हथियार से नहीं होता
घाव भरता है धीरे-धीरे ही
कुछ भी रफ्तार से नहीं होता
खेल में भावना है ज़िंदा तो
फ़र्क कुछ हार से नहीं होता
सिर्फ़ नुक्सान होता है यारो
लाभ तकरार से नहीं होता
उसपे कल रोटियां लपेटे सब
कुछ भी...
Durga: दुर्गा
शहर में कहीं भी जाना हो, ठाकुर पारा के लोगों को ताजिया पारा से होकर गुजरना मजबूरी थी। चाहे फिर वह स्कूल-कालेज हो, कोर्ट-कचहरी, अस्पताल- बाजार हो, वाया ताजिया पारा के बिना उनका निस्तार ही संभव नहीं था। पूरा शहर मेनरोड के दोनों ओर बेतरतीब बसा हुआ था। छ...
महाराजा सूरजमल
सच कहूँ डेस्क। राजस्थान की रेतीली जमीन में चाहे अनाज की पैदावार भले ही कम होती रही हो, पर इस भूमि ने कई वीरों को जन्म दिया है। अपने पराक्रम और शौर्य के बल पर इन वीर योद्धाओं ने राजस्थान के साथ-साथ पूरे भारतवर्ष का नाम समय-समय पर रोशन किया है।
कर्न...
भरया रहवै भंडार
मरयादा कुल की रखै, जाण नहीं दे आण।
तीन रूप नारी धरै, माँ, बेट्टी अर भाण।।
बिजली पाणी मेह की, हर देखै बाट।
अनदात्ता भूक्खा मरै, दुनिया करती ठाट।।
जाड्डो-पालो-घाम-लू, बल्हद-खेत अर क्यार।
बीज-दराती-हल-कस्सी, सब किसान का यार।।
ज्यूं जवान सै स...
कहानी : वीरता पुरस्कार
फौजी संतराम के घर से पत्र आया था। एक पत्र ही तो है जो दूर देश की सीमा पर डटे प्रहरियों को उनके घर वालों से जोड़े रखता है। ये पत्र जब खुलते हैं तब कभी फौजियों के चेहरे खुशी से चमक उठते हैं, कभी दुख में डूब जाते हैं।
फौजी संतराम को अक्सर उसकी पत्नी और ...
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे वीर कुंवर सिंह
एक नजर
नाम वीर कुंवर सिंह
अन्य नाम बाबू कुंवर सिंह
जन्म तारीख नवम्बर 1777
जन्म स्थान शाहाबाद (वर्तमान भोजपुर)
पिता का नाम राजा शाहबजादा सिंह
मृत्यु 26 अप्रैल 1858
वीर कुंवर सिंह मालवा के सुप्रसिद्ध शासक महाराजा भोज के वंशज थे। कुँवर सिंह के पा...
Nazran da Noor: नजरां दा नूर
अंधेरे को चीरती गोल रोशनी अपने गंतव्य की ओर भागी जा रही थी। रिटायर्ड मेजर सरदार गुलबाग सिंह। नियम और उसूलों के पक्के। सुबह चार बजे नहीं कि लेफ्ट-राइट शुरू। वह अपनी चाय बनाकर पी चुके हैं। खिड़की पर बूंदों की दस्तक ने सन्नाटा तोड़ा। निगाहें उस पार देखने ...